इश्क़ होना ही था - 32 Kanha ni Meera द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इश्क़ होना ही था - 32

** ओम नमः शिवाय **


** इश्क़ होना ही था part- 32 **

अभी तक हमने देखा की डॉक्टर बताते है की नितिन के पास बस 12 धंटे का ही समय है और अक्षत जो मिताली को लेने के लिए आया था वो दिया को देख कर ही अपनी हिम्मत हार जाता है...

दिया के समजाने के बात अक्षत हिम्मत करके मिताली के रूम में जाता है...

मिताली और अहाना वहा बैठी थी और एक दूसरे से बाते कर रही थी...

"मिताली..."

अक्षत सिर्फ इतना ही बोलता है तभी मिताली जल्दी से अक्षत के पास आ जाती है...

"नितिन को अब कैसा है...?

और अब कब तक वो हॉस्पिटल से घर आएगा...?"

मिताली बोलती है...

"अक्षत तुम्हे हॉस्पिटल ले जाने के लिये आया है..."

अक्षत जो कब से बस मिताली को ही देखे जा रहा था, तो दिया बोलती है...

"हां तो चलो जल्दी..."

मिताली बोलती है...

वो सब वहा से हॉस्पिटल आने के लिए निकल जाते है और दीपाली बहन जो बहार गए थे उन्हें भी फोन करके हॉस्पिल आने के लिए केह देते है...

थोड़ी देर में सब हॉस्पिटल पहोच जाते है और मिताली सबसे आगे चल रही थी और सब उसके पीछे...

मिताली नितिन के पास जाती है और नितिन जो अपनी आँखे भी मुश्किल से खोल पा रहा था...

"नितिन..."

मिताली बोलती है और उसका हाथ पकड़ कर रोने लगती है...

"मेरे बच्चो का दयान रखना और में तुमसे बहोत प्यार करता हु... "

नितिन बोलता है...

"हां में जानती हु और में भी तुमसे बहोत प्यार करती हु..."

मिताली बोलती है...

नितिन इसारे से शिव और अक्षत को बुलाता है...

"तुम दोनों मेरे बच्चे और मिताली का दयान रखना..."

नितिन इतना भी बड़ी मुश्किल से बोलता है...

वो खुद ये जानता था की उसके पास अब समय नहीं रहा....

"हां पर तुम जल्दी ठीक हो जाओ..."

मिताली बोलती है....

वहा नितिन के मम्मी पापा भी आ जाते है जिन्हे पहले से ही पता था...

वो नितिन के पास बैठ कर रोने लगते है...

"मिताली तुम चलो थोड़ी देर बहार..."

अक्षत बोलता है और मिताली को बहार ले कर जाता है...

अहाना और दिया दोनों बहार ही खड़े थे और दिया ने अब तक सब कुछ अहाना को बता दिया था...

वहा सब ये बात जानते थे और सब यही सोच रहे थे की जब ये बात मिताली को पता चलेगी तो इस हालत में सब उसे कैसे सभालेगे...

सब नितिन से मिलते है और नितिन सबसे अपने बच्चे को सभालने के लिए ही कह रहा था...

थोड़ी देर बाद सब नितिन से मिल कर बहार आते है...

" शिव, अक्षत तुम दोनों को नितिन अपने पास बुला रहा है..."

जोशना बहन बोलती है...

मिताली जल्दी से रूम में जाती है...

नितिन जिसके सर पर चोट लगने की वजह से उसे ब्रेन हेमरेज हो गया था और अब उसका कोई इलाज ही नहीं था...

उसकी आखरी इच्छा बस यही थी की वो मिताली और अपने बच्चे के पास आखरी तक रखना चाहता है...

वो दोनों आ कर नितिन के आजु बाजु बढ़ जाते है...

"में जानता हु की अब बहोत कम समय है मेरे पास...

तुम दोनों मुझसे वादा करो की तुम मिल कर मिताली और मेरे बच्चे को सभाल लोगे... "

नितिन इतना ही बोलता है की शिव और अक्षत के आँखों से आँशु आने लगते है...

"और एक वादा की..."

नितिन बोलता है और वो दोनों उसे ही देख रहे थे...

"हां बोलो जीजू..."

शिव इतना भी मुश्किल से बोलता है...

"मेरी मिताली की जिनगी में किसी ऐसे को ले कर आना जो उसे सभाल ले और में जनता हु वो नहीं मानेगी पर तुम दोनों उसके लिए ये करना..."

नितिन बोलता है...

"हां हम पर यकींन करो हम सभाल लेंगे..."

अक्षत और शिव दोनों बोलता है....

"आखरी बार गले तो लगो मेरे साले साहेब..."

नितिन बोलता है तो शिव और अक्षत दोनों उसके गले लग जाते है...

"और हां ये भी की में जानता हु की तुम दिया से और तुम अहाना को पसंद करते है तो तुम सब साथ मिल कर रहना हमेशा..."

नितिन बोलता है...

"चलो अब मुझे मिताली से बहोत सारी बाते करनी है..."

नितिन बोलता है...

"हां हमें उसे भेजते है..."

अक्षत बोलता है और वो दोनों बहार चले जाते है...

मिताली अंदर आती है और नितिन के पास आ कर बेथ जाती है....

नितिन अपना हाथ मिताली के बालो में फेरता है और उसे अपने करीब आने के लिए कहता है...

मिताली भी जो कितने दिनों से नितिन से दूर थी आज वो उसे पल भर के लिए भी दूर नहीं होना चाहती थी और वो जा कर नितिन के गले लग जाती है...

"तुम जानते हो तुमें उस हालत में देख कर में कितनी डर गयी थी..."

मिताली बोलती है...

नितिन सिर्फ हम में जवाब देता है...

"अब में तुम खुदसे कभी दूर नहीं जाने देने वाली...

जल्दी से बस अब घर जाना है मुझे तुम्हारे साथ..."

मिताली बोले जा रही थी और नितिन जो हम हम में ही जवाब दे रहा था...

नितिन जिसकी आँखों से आँशु बेहते जा रहे थे और उसे ये ही नहीं समज आ रहा था की अब आगे क्या होगा...

"मिताली तुम अपना और हमारे बच्चे का बहोत ही दयान देना है...."

नितिन बोलता है...

"हां पर अब तुम घर आ जाओगे ना तो क्या ही टेन्शन है..."

मिताली बोलती है...

नितिन और मिताली उसी तरह बाते करते रहते है और इसी तरह मिताली सो जाती है...

"हर बार की तरह आज भी तुम बाते करते करते सो गयी...

पता नहीं जब तुम्हारी आंख खुलेगी तभ में रहुगा या नहीं..."

नितिन अपने मन में बोलता है और अपने हाथ से मिताली के बालो में हाथ फिराए जा रहा था...

बहार सब

"नितिन के जाने के बाद क्या ये दोनों भाई उसे सभाल पाएंगे...?"

"मिताली क्या अपनी जिनगी में किसी और की हो पायेगी...?"

हां में जानती हु की अभी थोड़ा सा मुश्किल है ये पार्ट पर जितना आपके लिए मुश्किल है उतना मेरे लिए भी ये लिखना है...

इश्क़ होना ही था ....

अगर मेरी कहानी आपको पसंद आये तो मुझे कमेन्ट कर के जरूर बताना ...

इश्क़ होना ही था का part -33 आपके सामने 22 february को आ जायेगा ...

इस कहानी में जुड़ने के लिए आप सभी का सुक्रिया...