इश्क़ होना ही था - 3 Kanha ni Meera द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इश्क़ होना ही था - 3




**"ओम नमः शिवाय**


** इश्क़ होना ही था part-3 **

अभी तक हमने देखा की दिया अपनी दोस्त अहाना के साथ मिताली के घर पर पहोच जाती है, पर वह जाकर भी वो थोड़ी सी उदास रहती है और मिताली को दिया की चिंता होने लगती है । इस वजह से वो दिया को अपने साथ ले जाती है...

रात को वो तीनो एक ही कमरे में होते है और वो बहोत सारी बाते करते है पर मिताली ने एक चीज़ पर ज्यादा दयान दिया की अब दिया पहले जैसे बाते नहीं करती और चुप चुप सी रहने लगी है...

" मुझे दिया के लिए कुछ तो करना पड़ेगा..."

मिताली सोचती है...

"चलो अब जल्दी सो जाते है, कल मेहँदी है और जल्दी उठना पड़ेगा..."

अहाना बोलती है और वो तीनो सो जाते है...

दूसरे दिन वो सब तैयार हो जाते है और आज के दिन महेंदी लगाने वाली आयी थी...

सब बारी बारी मेहँदी लगवा रहे थे और इस तरफ दिया एकेले बैठी होती है और सोच रही होती है...

"अगर हम आज साथ होते तो में भी मेहँदी लगवाती और..."

दिया सोच रही थी तफी पीछे से किसीकी आवाज आती है...

"excuse me...आप दिया हो...?"
एक लड़का उसके पास आता है और बोलता है...

"हां, पर आप कौन हैं...?"
दीया आश्रय साथ वह लड़का से पूछती है और दिया को उस लड़के को देख कर ऐसा लगता है की उसके कही तो उसे देखा है...

"मैं मिताली का भाई हूँ, मिताली ने तुम्हें बुलाया है ..."
लड़का दीया के सामने जाकर बोलता है...

दिया वहा से उठ कर जहा मिताली मेहँदी लगवा रही थी वहा जाती है...

"हां, बोलो क्या हुआ..."
दीया मिताली के सामने जाकर बोलती है...

"थोड़ी देर में मेरी मेहंदी पूरी हो जाएगी, फिर तुम भी मेहंदी लगवा लो..."
मिताली बोलती है...

मिताली के बाद दिया मेहँदी लगवाने के लिए बढ़ जाती है...

दीया को मेहंदी लगवाना बहुत पसंद होता है, और पर तफी उसे पहले की कुछ बाते याद आ जाती है ,जिस समय पर वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ होती है और उसके हाथ में मेहँदी लगी होती हैउसे देख कर वो बोलता है की तुम्हारे मेहँदी का रंग तो गहरा ही आने वाला है क्युकी में तुमसे बहोत प्यार करता हु...

दिया जो पहेली याद में होती है और उसे नहीं पता होता की कोई दूर से सिर्फ उसे ही कभ से देख रहा है...

"आपकी मेहँदी लग चुकी है..."

मेहँदी वाली बोलती है तभ जाकर दिया अपने ख्यालो से बहार आती है...

"दिया यहाँ आ जाओ..."

मिताली बोलती है...

दिया जाकर मिताली के साथ बैठ जाती है और वहा अहाना भी बैठी होती है...

"मुझे पानी पीना है..."
दिया मिताली से बोलती है...

"अरे, सबके हाथों में मेहंदी लगी है, मैं किसे बोलू...?"
मिताली आसपास देखकर बोलती है...

"अक्षत... अक्षत..."
मिताली उसी लड़के को बुलाती है, जिससे कुछ वक्त पहले दिया ने बात की थी...

अक्षत वहा आ जाता है...

"हा , बोलो..."

अक्षत एक बार दिया के सामने देखता है और फिर मिताली के सामने देख कर बोलता है...

" मुझे और दिया को पानी पीना है और हमारे हाथो में मेहँदी लगी हुई है तो तुम जाकर हमारे लिए पानी ले आओ ना..."

मिताली बोलती है...

अक्षत थोड़ी देर में 2 गिलास पानी लेकर आता है, पहले मिताली को पानी पीने देता है...

और फिर दूसरा गिलास दिया के सामने रखता है...

"तू जे ही पिलाना पडेगा उसके हाथ में भी मेहँदी लगी है..."
मिताली अक्षत के सामने देखते हुए कहती है...

दिया ये सुन कर मिताली के सामने देखने लगती है पर वो भी जानती थी की मिताली सही बोल रही है...

अक्षत दिया को पानी पिलाने लगया है तभी दोनों की नजर एक दूसरे से मिलती है तभी दिया जल्दी से दूसरी तरफ देखने लगती है...

अक्षत जो मिताली के चाचा का बेटा है और जब अक्षत मिताली क घर आया था तब उसने दिया को वहा पहली बार देखा था और देखते ही वो दिया को पसंद करने लगता है...

अक्षत जब अपनी बात मिताली को कहता है तब वो उसे बताती है , की उसकी जिनगी में पहले से ही कोई था और ये सुनने के बाद अक्षत को बुरा लगता है पर जब मिताली उसे बताती की वो लड़का केसा है । तो अक्षत को वो पसंद नहीं आता और जब ये पता चला की उसने दिया के साथ क्या किया तो वो गुस्सा हो जाता है...

मिताली चाहती थी की दिया अब आगे बढ़ने के बारे में सोचे और फिरसे पहले की तरह खुश रहने लग जाये और इस लिए ही उसने अक्षत को बार बार दिया से बात करवा ने की कोशिश कर रही थी...

"में चाहती हु की तुम दिया से बात करो और उसे आपने दिल की बात कहो..."

मिताली अक्षत से बोलती है...

"हा, में अपनी पूरी कोशिश करुगा की उसे खुश कर सकू..."

अक्षत बोलता है...

अब मिताली को कुछ भी करके अक्षत की बात दिया से करवानी थी इसी लिए वो बार बार अक्षत को दिया के पास भेज रही थी पर मिताली को ये भी डर था की अगर दिया को पता चला तो वो उसे गुस्सा ना हो जाये...

मिताली अक्षत को जा कर ये बता देती है की दिया कोनसे रंग के कपडे पहने वाली है और दिया को क्या पसंद है और क्या नहीं ये सब पहले से ही सब अक्षत को बता दिया था...

अक्षत भी अब बार बार दिया को ही देख रहा था और उसके साथ बात करने की कोशिश भी कर रहा था...

मिताली अक्षत के पास जाती है...

"सुनो कल हल्दी है और तुम याद है न क्या करना है...?"

मिताली स्माल करके बोलती है...

"हा , मुझे अच्छी तरह से याद है..."

अक्षत बोलता है और वहा से चला जाता है...

मिताली भी वहा से सब के साथ आकर बैठ जाती है...

"अक्षत और मिताली मिल कर क्या करने वाले है...?"

"क्या मिताली जो सोच रही है वो कर पायेगी...?"

"अक्षत की बात सुन कर दिया क्या करेगी...?"

"दिया सब भूल कर पनि जिनगी में किसीको लाएगी...?"

ये जाने के लिए बने रहिये मेरे साथ....

इश्क़ होना ही था....

अगर मेरी कहानी आपको पसंद आये तो मुझे कमेन्ट कर के जरूर बताना...

इश्क़ होना ही था का part-4 आपके सामने 25 September को आ जायेगा...