द मिस्ड कॉल - 5 vinayak sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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द मिस्ड कॉल - 5

जादू है, नशा है
 

  अमोल अपनी नौकरी करने के लिए पुणे चला गया। मेरी उससे बीच-बीच में बातचीत होती रहती थी। मेरी राज्य सरकार में ही नौकरी थी, जबकि अमोल ने केंद्र सरकार की नौकरी ज्वाइन कर ली थी।

 एक दिन अमोल ने मुझे फोन किया था तो कुछ औपचारिक बातें करने के बाद मैंने उससे पूछ ही दिया, “और वहाँ कोई गर्लफ्रेंड बनी या फिर ऐसे ही घूम रहे हो?”

 “नहीं यार तुम्हें तो पता है मैं इन सारी चीजों से कितना दूर रहता हूँ।”

 “अरे यार अब क्या दूरी, अब कौन सी तुम्हें पढ़ाई-लिखाई की चिंता है? अब तो नौकरी हो गई है आराम से शादी होने से पहले कुछ दिन मजे ले लो, नहीं तो बीवी भी बोल देगी कि तुम्हें किसी चीज का कोई अनुभव ही नहीं है।” 

 “तुम भी न, हर बात में तुम्हें वही सब दीखता है।”

 “अरे पता नहीं तुमने क्या सोच लिया, मैं तो बस ये कह रहा था कि गर्लफ्रेंड होने पर कम से कम इस बात का अनुभव मिल जाता है कि लड़की के साथ कैसे घूमें कैसे बात करें और क्या क्या चीजें लड़कियों को पसंद आती हैं और क्या चीजें लड़कियों को पसंद नहीं आती हैं।”

“तुम तो ऐसे कह रहे हो, जैसे तुम्हें बहुत ज्यादा अनुभव हो गया हो इन सारी चीजों का। तुमने कितनी गर्लफ्रेंड बना ली इतने दिनों में।” अमोल ने मुझपर पलटवार किया।

“अरे मेरी बात तो अलग है। मैं जहाँ रह रहा हूँ, वहाँ यह सब नहीं कर सकते। मगर तुम बाहर हो, बाहर में यह सब बहुत ही आम बात है, वो भी पुणे जैसे शहर में।”

“नहीं यार रहने दो, क्या करना है? मुझे आराम से नौकरी करने दो, माँ-बाप लड़की खोज देंगे। उसके बाद देखा जाएगा जो भी हो।” अमोल ने थोड़ी देर सोचने के बाद जवाब दिया था।

मैंने भी उसके बाद ज्यादा जोर नहीं दिया और उसके बाद नौकरी-चाकरी की बातें करने लगा। वो भी अपने सहकर्मियों के कमीनेपन के बारे में मुझे बहुत ही ज्यादा रूचि लेकर बताने लगा। 

अमोल की जिंदगी फिर से बहुत सही चल रही थी मगर फिर उसे किसी अंजान नम्बर से फोन और मैसेज आने शुरू हो गए। उसने एक दिन मुझे फोन किया और पूछा, “अभी कहाँ हो, तुम मुझसे पाँच मिनट बात कर सकते हो?”

“हाँ-हाँ, बोलो क्या बात है? तुम इस तरह गुस्से में क्यों हो?” मैं उस समय फ्री ही था। मुझे उसकी आवाज से ही लग गया था कि वो गुस्से में है।

“श्याम, ये आदित्य साला फिर कमीने जैसा काम कर रहा।” उसकी आवाज से साफ़ जाहिर था कि उसे बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा है।

“अब क्या किया उसने?” आदित्य का नाम सुनकर मुझे भी थोड़ा गुस्सा आ गया। क्योंकि मुझे आदित्य ने उस समय वादा किया था कि वो अब ऐसा कुछ भी अमोल के साथ नहीं करेगा।

“मुझे फिर से एक अंजान नंबर से फोन आ रहा है। और जब कॉल नहीं रिसीव कर रहा हूँ तो मैसेज आ रहा है कि क्या हुआ आप मुझसे नाराज हो गए हो क्या? और हाँ इस बार वो लड़की की आवाज में फोन कर रहा है। साला इन लोगों को कोई काम-वाम तो है नहीं, बस यही सब करते रहना है सब दिन।”

“तुम अभी रुको मुझे वो नंबर दो, मैं आदित्य से बात करता हूँ।” मैंने अमोल को पूरी तरह विश्वास दिला दिया कि मैं आदित्य को समझा दूंगा कि वो ऐसा न करे।

 अमोल ने तुरंत मुझे वो नंबर दे दिया। मैंने भी बिना कोई देर किये उस नंबर पर कॉल लगा दिया। लगातार दो बार रिंग होने के बाद भी फोन किसी ने नहीं उठाया। उसके बाद मैं समझ गया हो न हो, यह आदित्य का ही काम है। लेकिन आदित्य अमोल को इतना बेवकूफ कैसे समझ सकता है कि वो दो बार एक बात में झाँसा खा जाएगा। मेरा नंबर देखकर आदित्य यह बात समझ गया होगा कि अमोल ने मुझे बता दिया है इसलिए वो मेरा नंबर नहीं उठा रहा है। 

“देख अभी तो कोई यह नंबर नहीं उठा रहा है। जहाँ तक मुझे लग रहा है, उसके अनुसार अब तुम्हें भी इस नंबर से कॉल या मैसेज नहीं आएगा। अगर फिर भी कोई कॉल या मैसेज आये तो मुझे बताना जरुर।”

“हाँ ठीक है।” 

अभी शाम बीती भी नहीं थी कि अमोल का फिर से फोन आ गया। मैं समझ गया हो न हो आदित्य ने फिर से उसे तंग किया है। 

“क्या हुआ फिर से फोन आया था क्या?” मैंने फोन उठाते ही पूछ दिया।

“हाँ, वो साला सुधरने वाला आदमी नहीं है।” अमोल कभी गाली नहीं देता था मगर आज वो इतने गुस्से में था कि अपनी हर बात में वो आदित्य को माँ-बहन की गालियाँ दे रहा था।

“तुम एक मिनट रुको, मैं अभी कॉल करता हूँ।”

मैंने फिर से कॉल किया। फिर से मेरा नंबर वो रिसीव नहीं कर रहा था। मैंने अब आदित्य के असली नंबर पर फोन मिलाया। इस बार एक ही बार में उसने फोन उठा लिया।

“हेल्लो।” आदित्य ने कहा।

“हाँ आदित्य फिर से ये क्या कर रहे हो तुम अमोल के साथ? क्यों बेचारे के पीछे पड़े हुए हो? क्यों तंग कर रहे हो उसे?” मैंने एक ही साँस में उसपर सवालों की बारिश कर दी।

“अरे थोड़ा सा साँस तो ले लो। तुम कहना क्या चाह रहे हो मुझे कुछ भी पता ही नहीं चल रहा है। अमोल से न जाने कितने दिनों से मेरी बात भी नहीं हुई है। पता नहीं उसका नंबर भी है अब मेरे पास कि नहीं है, और तुम बोल रहे हो कि मैं उसे तंग कर रहा हूँ। अरे भाई, कोई किसी को तब तंग करेगा न जब दोनों में कोई संपर्क हो, कोई बातचीत हो!” आदित्य ने अपना पक्ष रखते हुए अपने आप को बेक़सूर बतलाने की कोशिश की।

“देखो आदित्य ज्यादा स्मार्ट मत बनो। तुमने अपने दूसरे नंबर से उसे कॉल और मैसेज नहीं किया है?” मैंने अपना तेवर गर्म रखते हुए उससे प्रश्न किया।

“अरे भाई, मेरे पास उसका नंबर होगा तब तो दूसरे या तीसरे नंबर से उसे कॉल या मैसेज करूँगा। जब नंबर ही नहीं है तो मैं उसे कॉल कैसे करूँगा?” अब मुझे आदित्य की बातों में थोड़ी सच्चाई और ईमानदारी नजर आने लगी थी।

“अगर तुमपे विश्वास कर लिया जाए तो भी कोई और है जो अमोल को फोन और मैसेज करके तंग कर रहा है, वो भी लड़की की आवाज में।” 

“नंबर दो मुझे, मैं अभी पता लगा देता हूँ कौन है?” आदित्य ने अब मदद भाव दिखाना शुरू कर दिया।

“नहीं अभी तो मैं ही लगा हुआ हूँ। देखो अगर मुझसे नहीं होता है तो फिर तुम्हें ही यह काम सौंपा जाएगा। तुम तो ब्रह्मास्त्र हो, इन सारे कामों में तुम्हे इतनी जल्दी इस्तेमाल करना सही बात नहीं होगी।” मैंने आदित्य की थोड़ी बड़ाई करते हुए कहा। 

“हाँ-हाँ, जब चाहे मुझे याद कर लेना, मैं हमेशा तैयार ही हूँ।” आदित्य भी अपनी बड़ाई सुनकर फूल गया। 

अब मुझे यह समझ नहीं आ रहा था कि जब यह आदित्य भी नहीं है तो फिर और कौन है, और मेरा नंबर वो रिसीव क्यों नहीं कर रहा है? यही सोचकर मैंने एक बार फिर से फोन लगा दिया। इस बार भी घंटी बजी जा रही थी और कोई फोन उठा नहीं रहा था। जैसे ही मैंने फोन काटा मुझे ऐसा लगा जैसे उधर से किसी लड़की की आवाज आई थी। वो आवाज बहुत ही प्यारी लगी थी मुझे। मैंने फिर से तुरंत नंबर डायल कर दिया। फिर से पूरा रिंग गया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। मुझे ऐसा लगने लगा कि कहीं यह मेरी गलतफहमी तो नहीं, कहीं इसके पहले भी तो किसी ने फोन नहीं ही उठाया हो और मुझे यह भ्रम तो नहीं हो गया कि किसी लड़की ने फोन उठा लिया था। 

मैं यह सोचने लगा कि अगर यह मेरा भ्रम नहीं है तो उस लड़की की आवाज तो बहुत ही अच्छी है। कोई लड़का तो इस तरह की आवाज कतई नहीं निकल सकता है। और यदि वो लड़की है तो फिर वो कितनी खुबसूरत होगी? मेरे मन में न जाने कितनी कितनी खुबसूरत लड़कियों की तस्वीर आने लगी। मैं हर बार अपनी कल्पना में नयी तस्वीर बनाता और फिर उसे मिटा देता। यह सोचकर कि नहीं यह तो आवाज से मेल नहीं खा रही, वो जरुर थोड़ी और सुंदर होगी। मुझे यह अहसास हुआ कि यह जो कुछ मेरे साथ हो रहा है, वो अब से पहले कभी नहीं हुआ था।