द मिस्ड कॉल - 3 vinayak sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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द मिस्ड कॉल - 3

मिलन की घड़ी
 

 “लो हमारा आशिक तो यह देखकर सदमे में होगा। अब तुम उसे क्या ब्लैकमेल कर लोगे?” मैंने आदित्य से पूछा। 

 “ये तो सच में घनी समस्या हो गयी। मगर एक बात मत भूलो कि अमोल भी है मैन और कहा गया है, ‘ऑल मेन आर डॉग्स’। तो रोटी का एक टुकड़ा फेंकने में मुझे कोई दिक्कत नहीं लग रही है और उसका असली इम्तिहान भी अभी ही हो जाएगा कि वो कितना पेसेंस रख सकता है। रुक, अब देख मैं उसे क्या जवाब देता हूँ।” 

 “हाँ यार पता तो चल ही जाता है मगर उसके लिए कुछ ख़ास सेटिंग करनी पड़ती है, वो मुझे भी नहीं पता है। मेरे एक दोस्त ने कभी बताया था कि पता चल जाता है और उसने देखा भी है कि कौन-कौन उसकी प्रोफाइल चेक करता है।” ये मैसेज आदित्य ने मेरे मोबाइल से अमोल को भेज दिया।

 “अरे यार...!” उधर से अमोल का जवाब आ गया।

 “क्या हुआ?” फिर से आदित्य ने ही मेरे मोबाइल से उसे जवाब भेजा।

 “कुछ नहीं, तुम अभी कहाँ हो?” अमोल ने पूछा।

 “मैं यहीं आया हूँ यार अपने साथ के एक बाबू साहब के साथ चाय पी रहा हूँ। आना है क्या तुम्हारे पास, बताओ?” ये जवाब मैंने अपने मोबाइल से टाइप किया।

 “नहीं रहने दो। वैसे बात क्या हुई, एकाएक तुम फेसबुक रिलेटेड बात क्यों पूछने लगे?” इस बार मैंने ही यह मैसेज किया और आदित्य मुझे देखकर मुस्करा रहा था।

 “नहीं कुछ नहीं, मैं नया-नया फेसबुक पर हूँ न तो मुझे भी यह लग रहा था कि मैं भी जानूँ कि कौन-कौन मेरे फेसबुक प्रोफाइल को सर्च करने की कोशिश करता है। लेकिन अब जब तुम्हारे दोस्त ने यह बताया ही नहीं कि कैसे पता चलता है तो फिर रहने दो।” अमोल का जवाब मिला।

 “ठीक है।” मैंने कहा और फिर मैंने मैसेज करना बंद कर दिया। मैंने यह सोचा कि अब मेरा उसे ज्यादा तंग करना ठीक नहीं। पहले से आदित्य उसे बहुत तंग कर रहा है।

 “वो गलती से क्लिक हो गया था। आपका नाम सजेशन में दिखा रहा था, मैंने स्क्रॉल किया लेकिन आपका प्रोफाइल खुल गया। मुझे माफ़ कीजियेगा आगे से बिलकुल नहीं देखूँगा आपका प्रोफाइल।” अमोल ने तुरंत अपनी गलती भी मान ली थी और यह मैसेज आदित्य को कर दिया था। आदित्य और मेरी हँसी रुक ही नहीं रही थी।

 “अच्छा तो आप मुझे जान गए कि मैं कौन हूँ?” आदित्य ने मैच करती थोड़ी शर्माती हुई एमोजी के साथ यह मैसेज भेज दिया।

 अमोल और किसी लड़की के प्रोफाइल चेक ही नहीं करता था, इसलिए वह निश्चिन्त हो गया कि हो न हो यह भावना ही होगी। 

 “हाँ मैंने लड़की में केवल आपकी ही प्रोफाइल देखी है, इसलिए मुझे पता है आप कौन हैं। मगर एक बात जो अब तक मेरी समझ में नहीं आ रही है, वो यह है कि आपको मेरा नम्बर कैसे मिल गया!” अमोल ने मैसेज किया।

 अमोल के इस मैसेज का जवाब देने में आदित्य को ज्यादा दिक्कत नहीं हुई क्योंकि उसने यह सोच ही रखा था कि जब वो बताएगा कि वो भावना है, तब वो ये सवाल जरुर करेगा कि उसे उसका नम्बर कैसे मिल गया।

 “अरे आपका नम्बर किसके पास नहीं होगा। बचपन से आप पढ़ने में तेज थे। सभी आपसे पढ़ाई में हेल्प लेते ही रहते थे। नौकरी भी देखिये न आपने जल्दी ही कर ली। तो आपका नम्बर मिलना कोई बड़ी बात थोड़े ही न है। आपके नम्बर के साथ मुझे आपके बारे में और भी बहुत कुछ पता है।” आदित्य ने मैसेज किया।

 आदित्य के मैसेज को पढ़कर अमोल के चेहरे का रंग क्रमशः बदल रहा था। उसे यह जानकर बहुत ख़ुशी मिली कि भावना को यह बात पता चल गयी है कि वो अब नौकरी पा चुका है। उसके दिमाग में एक पल को उससे शादी का ख्याल तो आया मगर तुरंत ही वो ख्याल इसलिए छू-मंतर हो गया क्योंकि उसने भी यह देख रखा था कि भावना के फेसबुक का स्टेटस इंगेज्ड है। किससे इंगेज्ड है, यह जानकारी भावना ने छिपा रखी थी।

 “एक बात बताइए आप भावना ही हैं न?” अमोल ने मैसेज किया।

 “कौन भावना?” आदित्य ने मजे लेने की कोशिश की। 

 “तब कौन हैं आप? मैंने तो फेसबुक पर केवल भावना की ही प्रोफाइल देखी है। अगर आप भावना नहीं हैं तो आप मुझे मैसेज न करें और आप मुझे ब्लॉक भी कर सकती हैं; मुझे आपसे कोई बात नहीं करनी है और न ही आपका नाम ही जानना है।” अमोल का मैसेज आदित्य के मोबाइल पर आया।

 “यार देख बातचीत तक नहीं हुई है, फिर भी अमोल भावना के लिए कितना लॉयल है। अगर भावना जान जाए, तब तो सही में अमोल को अपना दिल दे देगी। बताओ कौन लड़कियों को ठुकराता है बिना किसी लडकी को पाए। हमें तो कोई लड़की एक मैसेज करे, हम दस कर देंगे। ब्लॉक करने की तो बात दूर-दूर तक दिमाग में नहीं आएगी। मानना पड़ेगा इस अमोल को भाई!” आदित्य ऐसे बोल रहा था मानो उसे अमोल में असली आशिक नजर आ गया हो।

 “तो अब तुम क्या करने जा रहे हो?” मैंने आदित्य से पूछा।

 “अब क्या, धीरे-धीरे प्यार को बढ़ाना है, भावना से इसको मिलवाना है।” बोलकर आदित्य ने मुझे आँख मार दी।

 “अरे आप मुझे इतना प्यार करते हैं, मुझे तो बिलकुल भी पता नहीं था। मैं आपको क्यों ब्लॉक करुँगी?” आदित्य ने मैसेज कर दिया।

 अमोल के दिल में बुलबुले उठने लगे। भावना से यह सुनकर वो कितना खुश था इसका अंदाजा वो भी नहीं लगा सकता था। वो अब कुछ और सोच ही नहीं पा रहा था, मगर तभी इंगेज्ड शब्द फिर से उसके दिमाग में कौंधा।

 “मेरे प्यार करने, न करने से अब क्या फर्क पड़ेगा? अब तो आप इंगेज्ड हो चुकी हैं।” अमोल ने बहुत ही उदास मन से टाइप किया।

 आदित्य इसका क्या जवाब दे वह सोच में पड़ गया। “अरे अभी शादी तो नहीं हुई है न, एकबार शादी से पहले मैं आपसे मिलना चाहती हूँ।” आदित्य ने झट से मैसेज भेज दिया।

 अमोल के मन में एक दिया जो बुझ रहा था, उसकी लौ फिर से तेज हो गयी। 

 “बताइए कहाँ आ जाऊँ मिलने के लिए?” अमोल ने मैसेज किया।

 “अरे आप कहीं भी मत आइये। मैं ऐसे नहीं मिल सकती। मैं तब मौसी के यहाँ रहती थी, अभी अपने घर पे ही रह रही हूँ। यहाँ मैं ज्यादा बाहर नहीं निकलती। हाँ, रावण-वध देखने मैं फिर से मौसी के यहाँ जाने वाली हूँ, तब आप मुझसे वहीं मिल लीजियेगा।” 

 “ठीक है, पक्का आइयेगा, मैं आपका इन्तजार करूँगा।”

 अमोल के इस मैसेज के बाद तो जैसे आदित्य की हँसी का ठिकाना ही नहीं रहा। आदित्य मुझसे यही कह रहा था कि “प्यार सच में लोगों को अँधा बना देता है। देखो पढ़ाई-लिखाई में इतना ठीक लड़का, एक बार भी यह नहीं सोच पाया कि फोन कर के कन्फर्म कर लिया जाए कि वो लड़की से बात कर रहा है या लड़के से। आराम से सबकुछ विश्वास करते चला गया।”

 “हाँ यार ये तो है, मगर तुम जो ये उसके साथ कर रहे हो, वो सही तो है न? देखो वो भावना के लिए कितना सीरियस है ये तो हम सब को पता है। इतने सालों से उससे कोई बातचीत नहीं हुई, पहले भी उनके बीच दोस्ती नहीं थी, मगर न जाने अब उसमें कहाँ से साहस आ गया कि वो सीधे बोल रहा है कि मिल लेते हैं। ऐसे में अगर उसे पता चलेगा कि वो भावना थी ही नहीं जिससे वो बात कर रहा था तो सोचो उसपे क्या बीतेगी?” 

 मेरी बात को आदित्य बहुत ही गंभीर होकर सुन रहा था। मगर उतनी गंभीरता से उसने मेरी बात ली नहीं। उसने कहा,

 “कुछ नहीं होगा। बस तुम अपना मुँह बंद रखना। जैसे इतने सालों से वो भावना से दूर था, एक बार और दूर हो जाएगा। थोड़ा दुर्गापूजा का मजा भी तो लेने दो।” 

 इधर मिलने वाली बात से अमोल इतना खुश था कि उसके पाँव जमीन पर पड़ ही नहीं रहे थे। वो अब बार-बार भावना का फेसबुक प्रोफाइल चेक कर रहा था। वो सोच रहा था कि उसको फ्रेंडशिप रिक्वेस्ट भेज दे मगर फिर वो यह सोचकर रुक जाता था कि अगर वो उसका फेसबुक फ्रेंड हो गया तो बाकी के दोस्तों को भी पता चल जाएगा। जब बात हो ही रही है तो फिर क्या जरुरत है कि फेसबुक पर भी फ्रेंड हुआ जाए। वो बस बार-बार उसकी तस्वीर देखे जा रहा था और जल्दी से दुर्गापूजा आने का इन्तजार कर रहा था।

 मैं जब अमोल से मिला तो वो बहुत खुश दिख रहा था। मैंने भी थोड़ा मजे लेने के लिए पूछ दिया।

 “क्या बात है अमोल बहुत ही खुश दिखाई दे रहे हो, कोई विशेष बात है क्या?”

 मेरे एकाएक इस तरह के सवाल से वो थोड़ा-सा चौंक गया। उसे लगा जैसे मैंने उसकी चोरी पकड़ ली है। “नहीं ऐसी तो कोई बात नहीं है। वैसे खुश रहना तो अच्छी ही बात है।”

 “हाँ अच्छी बात तो है मगर आज कुछ ज्यादा ख़ुशी...!”

 “हाँ वो दुर्गापूजा शुरू हो रही है न दो दिन बाद तो इसीलिए खुश हो रहा हूँ। इस साल दुर्गापूजा में घर पे हूँ, पता नहीं अगले साल से कहाँ रहूँ। तुम्हारी तरह राज्य सरकार की तो नौकरी मिली नहीं है मुझे। केंद्र सरकार की नौकरी में तो तुम्हें पता ही है कि पूरे देश में कहीं भी पोस्टिंग आ सकती है, तब कहाँ तुम और कहाँ यहाँ के लोग।”

 उसने जो ‘यहाँ के लोग’ कहा था उसमें यकीनन भावना ही थी। लेकिन अब उसे और ज्यादा तंग करना मैंने ठीक नहीं समझा।

 “हाँ ये बात तो ठीक ही कह रहे हो।” मैंने कहा और फिर हमदोनों आगे बढ़ चले।

 भावना मतलब आदित्य और अमोल के बीच अब चैटिंग थोड़ी ज्यादा होने लगी थी। एक दिन अमोल ने मैसेज किया कि मिलने से पहले क्या मैं आपसे एक बार फोन पर बात कर सकता हूँ। इसपर आदित्य ने उसे बहुत ही सुलझा हुआ जवाब दिया ताकि उसे कोई शक न हो।

 “नहीं यहाँ घर में मैं आपसे फोन पर बात नहीं कर सकती। हर वक्त मेरे पास कोई न कोई जरुर होता है। हाँ, अगर मैं बाहर निकली तो मैं ही आपको कॉल कर लूँगी।” आदित्य ने मैसेज किया।

 इन्सान को जिन्दा रखने की सबसे बड़ी संजीवनी उम्मीद ही है और वही आदित्य ने अमोल को थमा दी थी। अमोल अब हर समय इस उम्मीद में रहता कि भावना घर के बाहर निकलेगी और फिर कभी उसे कॉल करेगी, मगर ऐसा बिलकुल भी नहीं हुआ। 

 दुर्गापूजा शुरू हो गयी और भावना ने अमोल को बताया कि वो नवमी के दिन आ रही है। नवमी के दिन वो बाहर नहीं निकलेगी मगर दसवीं के दिन वो रावण-वध देखने आएगी और वहीं वो अमोल से मिल लेगी। अमोल बेसब्री से रावण-वध का इन्तजार करने लगा। यह पहली बार था, जब वो अपने रिजल्ट के अलावा किसी और चीज का इतनी बेताबी से इंतजार कर रहा था।

 नवमी के दिन अमोल ने मैसेज किया।

 “कल आप कॉल करेंगी या फिर कल भी मैसेज से बात होगी? और मैसेज पर ही मिलना भी तो कहीं नहीं हो जायेगा?” इतना लिखने के बाद उसने एक जीभ निकाली हुई और एक आँख बंद वाली एमोजी भेज दी।

 “अरे नहीं-नहीं, कल मिलेंगे जरुर। हाँ मैं कुछ लोगों के साथ रहूँगी तो हो सकता है कॉल न करके कल सीधे आमने-सामने मुलाक़ात ही हो जाए।” आदित्य ने मैसेज किया।

 “कोई बात नहीं।” अमोल ने मैसेज किया।

 आखिर वो दिन भी आ ही गया जिसका इन्तजार अमोल करीब बीस दिनों से कर रहा था। मैं, आदित्य, अमोल और हमारे दो अन्य दोस्त एक साथ रावण वध देखने गए। आदित्य ने चुपके से अमोल को मैसेज किया।

 “आप मैदान पहुँच गए हैं क्या?” 

 “हाँ मैं पहुँच गया हूँ, आप कहाँ हैं?” अमोल ने बहुत ही फुर्ती से टाइप किया।

 “मैं अभी घर से निकल रही हूँ। बस पंद्रह मिनट में पहुँच जाऊँगी।” आदित्य के इस जवाब पर मैंने पूछा कि अब क्या होगा, जब भावना अमोल से मिलने नहीं आएगी। आदित्य ने कहा, “बस तुम देखते जाओ क्या होता है।” फिर मैं चुप हो गया।