द मिस्ड कॉल - 9 vinayak sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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द मिस्ड कॉल - 9

सच का सामना
 

 इस बात को बताकर कोयल तो बहुत खुश थी मगर मेरा गला सूख गया। मैं क्या बोलूँ ये समझ नहीं आ रहा था। जितनी खुश कोयल थी कायदे से उतना खुश मुझे भी होना चाहिए था मगर डर ने मुझे अपने वश में कर लिया था। मैंने अपने आप को तैयार किया और फिर बोलना शुरू किया।

 “अरे वाह यह तो बहुत ही ख़ुशी की बात है, इतने दिनों बाद तुम मोरादाबाद आ रही हो। मगर तुम तो कह रही थी कि एडमिशन हो जाने के बाद भी कुछ दिनों तक तुम नहीं आओगी, कुछ दिन पढाई शुरू हो जाने के बाद ही आने के लिए सोचोगी। फिर एकाएक ऐसा क्या हो गया जो तुम आ रही हो?”

 “लगता है मेरे आने से तुम खुश नहीं हो, इसलिए ऐसा बोल रहे हो।” मुझे ऐसा लगा जैसे कोयल मेरी भावना को समझ गयी कि मैं उसके आने की खबर से खुश नहीं हूँ।

 मैं कोयल से बहुत ज्यादा प्यार करता था और वो भी मुझसे उतना ही प्यार करती थी। मगर वो जिस इंसान को सोचकर मुझसे प्यार कर रही थी मैं वो इंसान था ही नहीं। हमारे बीच जो रिश्ता था उसकी बुनियाद ही झूठ थी और यही मेरे डर का कारण भी था। मैं क्या करूँ मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, मगर फ़िलहाल मुझे कोयल को यह विश्वास दिलाना था कि मैं उसके आने से खुश हूँ।

 “अरे कोयल कैसी बात कर रही हो तुम। तुम्हारे आने से मैं खुश नहीं रहूँ ऐसा कभी हो सकता है क्या? ऐसा तुम सोच भी कैसे सकती हो। तुम्हारे आने की बात से अगर सबसे ज्यादा कोई खुश होगा तो वो मैं ही हूँ। वो तो तुमने कहा था कि अभी आना मुमकिन नहीं हो पायेगा और फिर तुमने बताया कि तुम आने वाली हो तो मुझे लगा कि कहीं कोई और बात तो नहीं हो गयी। इसलिए मैंने बस पूछ दिया।” 

 “नहीं-नहीं कोई और बात नहीं। सलाह देने वाले तो बहुत सलाह देते हैं। सभी की बात नहीं मानी जा सकती न? ऐसे ही काफी समय हो गया घर गए हुए। पहले एग्जाम की तैयारी, फिर एग्जाम, फिर रिजल्ट और अब आगे एडमिशन फिर पढ़ाई ऐसा ही हाल रहा तो मैं घर ही नहीं जा पाऊँगी। इसलिए मैंने घर जाने का फैसला किया। और हाँ सबसे जरुरी बात, मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही है और तुमसे मुझे एक बार और जरुर मिलना है मैं इसलिए भी आ रही हूँ। एक मैं हूँ जो तुमसे मिलने के लिए बेचैन हूँ, और एक तुम हो जो मेरे आने की बात से भी दुखी हो रहे हो।” कोयल ने जब अपनी बात खत्म की तो ऐसा लगा जैसे वो बहुत ज्यादा दुखी है। 

 मैं दुखी नहीं था, मैं चिंतित था।” मैं बस यही सोच रहा था कि मैं कोयल को कैसे बताऊँ कि मैं वो नहीं हूँ, जिसके बारे में वो सोच रही है। फिर मैंने तय किया कि अब चाहे जो हो मैं उसे बता दूँगा कि मैं कोई और हूँ। उसकी बात ख़त्म होने के बाद मैंने थोड़ी देर तक चुप रहा फिर मैंने बोलना शुरू किया,

 “कोयल शायद ही कोई और होगा जो तुम्हारे आने से उतना खुश होगा जितना मैं हूँ। मगर एक बात है जो तुमसे काफी दिनों से कहना चाहता था, लेकिन कभी भी हिम्मत ही नहीं जुटा पाया। अगर अब भी नहीं कह पाऊँगा तो शायद बहुत ही ज्यादा देर हो जायेगी।” 

 “ऐसी क्या बात है श्याम, जो तुम मुझसे कहना चाहते थे और अब तक नहीं कह पाए। सबकुछ तो शेयर कर चुके हैं हम। हमारे बीच अब भी कुछ बचा है क्या?”

 “हाँ कोयल हमारे बीच एक बहुत ही बड़ी बात अभी भी बची है जो मुझे बहुत पहले ही बता देनी चाहिए थी।”

 “श्याम मैं काफी खुश हूँ अभी, मुझे डराओ मत प्लीज। जो भी बात है जल्दी से बता दो।” कोयल ने जवाब दिया।

 “कोयल दरअसल मैं वो नहीं हूँ जिसके बारे में तुम सोच रही हो।” न जाने कितनी ज्यादा हिम्मत जुटानी पड़ी मुझे अपनी एक यह लाइन बोलने के लिए। क्योंकि यह बस एक पंक्ति नहीं थी यह वो सच था, जिसके बाद शायद मैं कोयल की नजरों में गिर जाता और वो मुझसे दुबारा कभी बात नहीं करती। अपनी बात मैंने पूरी की उसके बाद मैं चुप होकर कोयल के जवाब का इन्तजार करने लगा।

 मुझे किसी धमाके का इन्तजार था। मेरी हालत किसी ऐसे वैज्ञानिक की तरह थी जिसे न चाहते हुए भी अपनी बनाई मिसाइल से अपना ही नुक्सान करना था। 

 “ये क्या कह रहे हो तुम श्याम? तुम श्याम नहीं हो?” कोयल का जवाब आया।

 “नहीं, मैं तो श्याम हूँ, मगर मैं वो नहीं जिससे तुम शादी में मिली थी।” मैंने जल्दी से जवाब दिया और कोयल का कंफ्यूजन दूर करने की कोशिश की। 

 “मुझे पता है, तुम वो नहीं हो जिससे मैं शादी में मिली थी। तुम कोई और ही हो।” कोयल ने बहुत ही आसानी से कह दिया; जैसे उसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा हो। मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि कोयल का इतना सामान्य रिएक्शन क्यों था।

 “क्या? तुम्हें पता था कि मैं वो लड़का नहीं हूँ, जिससे तुम शादी में मिली थी। तुम्हें कैसे पता चला और तुमने इस बारे में मुझे कुछ कहा क्यों नहीं?” मैंने पूरे आश्चर्य में डूबते हुए उससे जल्दबाजी में अपना सवाल किया।

 “अरे जब तुमसे अच्छे से बात होने लग गयी थी तो मैंने वो कागज़ एक बार फिर से देखना चाहा, जिसपर उस लड़के ने मुझे अपना नम्बर लिख कर दिया था। मैंने देखा तो वो अलग नम्बर था, उसका नम्बर उस नम्बर से एक अंक अलग था, जिसपर मैं बार-बार फोन कर रही थी और कोई उठा नहीं रहा था। उस दिन मुझे तुमपर बहुत गुस्सा आया था और मैंने यह सोचा था कि तुम्हें फोन करके बहुत डाँट लगाऊँ, मगर तब तक तुम मुझे इतने अच्छे लगने लगे थे कि मैंने तुम्हें डाँटना उचित नहीं समझा। मैंने यही सोचा कि तुमने भी बताने की कोशिश की होगी, मगर हमारी बात इतनी आगे बढ़ चुकी थी कि तुम मुझे यह बताकर खोना नहीं चाहते होगे और शायद इसीलिए तुमने मुझे सच नहीं बताया होगा।” कोयल ने अपनी लम्बी मगर मुझे सुकून देने वाली बात ख़त्म की।

 “अच्छा तो तुम्हें पता चल गया था। यार बात बिलकुल यही है जो तुम कह रही हो। मैंने भी कई बार सोचा था कि हमारे रिश्ते के बीच की बुनियाद ही झूठ है इसलिए मुझे यह सच बता देना चाहिए, मगर हिम्मत नहीं कर पाया मैं।” मैंने कोयल की बात ही दोहरा दी।

 “अरे यार अब छोड़ो भी, अब रहने भी दो। ये बताओ मुझसे पहली बार मिलने के बारे में सोचकर तुम्हें कैसा लग रहा है?”

 “बहुत ही ज्यादा नर्वस फील कर रहा हूँ और एक बात और है...” मैं बोलकर चुप हो गया।

 “क्या एक बात और है?” कोयल ने झट से मुझसे प्रश्न किया।

 “कोयल मैं उतना ज्यादा स्मार्ट नहीं हूँ, जितना शायद तुम्हारा वो शादी वाला लड़का था। मैं शायद तुम्हे पसंद नहीं आऊँगा।” मैंने अपना डर कोयल के सामने जाहिर किया।

 “तुमसे बड़ा बेवकूफ और बुद्धू मैंने आजतक नहीं देखा है।” कोयल ने जवाब दिया।

 “हाँ तुमने मुझे आजतक देखा ही नहीं तो मुझसे बड़ा कैसे देख सकती हो? मैं सच में अच्छा नहीं दीखता। बहुत ही औसत दर्जे का दीखता हूँ।” मैंने हलके से मजाक के साथ अपनी बात पूरी की।

 “अरे पागल अब तुम जैसे भी दीखते होगे मुझे पसंद हो।” कोयल ने बहुत ही प्यार जताते हुए कहा।

“तो फिर मिलते हैं तीन दिन बाद...” मैंने कोयल से कहा। 

“हाँ बिलकुल।” कोयल ने कहा और फिर बाय बोलकर फोन रख दिया।