द मिस्ड कॉल - 2 vinayak sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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द मिस्ड कॉल - 2

सर्च ऑपरेशन
 

 अब आप सोच रहे होंगे कि वो शरारत क्या थी? दरअसल हुआ यूँ कि अमोल ने स्नातक के बाद अगले साल एसएससी की नौकरी हासिल कर ली। लेकिन मेरिट लिस्ट आने से लेकर नौकरी ज्वाइन करने के बीच का जो खाली समय होता है, अमोल के लिए वही समय अकेलेपन को लेकर आया। अमोल जिस चीज की चाहत में था, वो उसे मिल गयी थी। उसके पास आजकल करने के लिए कुछ था नहीं।इसी बीच आदित्य ने एक शरारत की और अमोल उसमें फँस गया। 

 तब अमोल के पास भी अपना मोबाइल था और उस समय वो हमेशा तत्पर रहता था। कोई भी मोबाइल कॉल अगर वो मिस कर जाता, तो कॉल बैक जरुर करता था। उसे ऐसा लगता था जैसे हो न हो, एसएससी से ही कॉल आया होगा उसके जोइनिंग के लिए। वो अपना ईमेल भी अक्सर चेक करता रहता था। 

 अमोल पढ़ाई और नौकरी के लिए इतना ज्यादा समर्पित था कि जब तक उसने मेरिट लिस्ट में अपना नाम देख नहीं लिया था, तब तक उसने फेसबुक तक पर अपना अकाउंट नहीं बनाया था। मेरिट लिस्ट में नाम आने के बाद उसने फेसबुक पर अपना अकाउंट बनाया था। 

 मैं और बाकी सबलोग थोड़े कच्चे निकले इस मामले में, हमलोग यही सोच रहे थे कि अमोल अपने पहले प्यार को भूल गया था। एक दिन फेसबुक पर कुछ सर्च करने के लिए आदित्य ने ही उसका फोन माँगा था। वो किसी की प्रोफाइल सर्च करना चाहता था, मगर उस समय उसके मोबाइल में नेट काम नहीं कर रहा था। सभी लोग शाम में ग्राउंड में टहल रहे थे। आदित्य का सपना था कि वो आर्मी में ऑफिसर बने, इसलिए वो ग्राउंड में दौड़ने जाता था। एक-दो बार उसने NDA का भी एग्जाम दिया था, मगर वो SSB में कांफ्रेंस आउट हो गया था। अब वो सीडीएस के लिए लगा हुआ था। 

 उसने एक डिफेन्स अकेडमी के फेसबुक पेज को ही सर्च करने के लिए अमोल से उसका मोबाइल माँगा था। अमोल ने तुरंत फेसबुक खोलकर उसकी तरफ मोबाइल बढ़ा दिया। जैसे ही आदित्य ने सर्च पर क्लिक किया, उसपे पहले से सर्च किये कुछ नाम नीचे लिखकर आ गए। उन नामों में सबसे पहला नाम था ‘भावना शर्मा’ का। आदित्य ने उस समय अपना काम कर लिया। जिस कोचिंग को वो ढूँढना चाह रहा था, उसे उसने ढूँढ लिया। 

 अगले दिन मुझसे आदित्य ने पूछा, “श्याम तुम्हें क्या लगता है, अमोल भावना को भूल गया है?” बहुत दिनों बाद किसी के मुँह से भावना का नाम सुनकर मैं चौंक गया। दसवीं के बाद न तो वो दिखी थी और न ही किसी ने उसके बारे में कभी कोई बात ही की थी। आज अचानक से भावना का नाम आदित्य से सुना तो मैं बहुत आश्चर्य में पड़ गया। वो ये बोल रहा था कि अमोल भावना को नहीं भूल पाया होगा।

 “भाई भावना को वो दसवीं में ही भूल गया था। अपने करियर को लेकर वो इतना ज्यादा सीरियस था कि अपनी नौकरी के सामने वो ऐश्वर्या राय तक को भूल सकता था, ये तो फिर भी भावना ही थी।” मैंने पूरे विश्वास के साथ आदित्य को जवाब दिया।

 “श्याम तुम अमोल के इतने क्लोज हो फिर भी यह नहीं जान पाए कि उसके दिल से भावना कभी गयी ही नहीं। वो अभी भी भावना को प्यार करता है।” आदित्य का यह जवाब सुनकर फिर से मेरी भौंहें तन आयीं। 

 “क्या बात कर रहे हो यार! ये बात भले है कि कुछ समय के लिए अमोल, भावना की ओर आकर्षित हुआ था, मगर वो उससे प्यार करता था, या करता है, यह तो मैं बिलकुल भी नहीं मान सकता।” मैंने जवाब दिया।

 “श्याम तुम्हें पता है कल शाम को जब हमसब ग्राउंड में थे, मेरा नेट ठीक से काम नहीं कर रहा था और मुझे फेसबुक पर एक कोचिंग का पेज देखना था तो मैंने अमोल का फोन माँगा था।” 

 “हाँ तो!” 

 “तो हुआ ये कि जैसे ही मैं सर्च वाले आप्शन में कुछ लिखता, उसमें पहले से सर्च किये नाम नीचे दिखाने लगे। तुम्हें पता है, सबसे पहला नाम किसका था?”

 “भावना का?” मैंने चकित चेहरे के साथ उससे प्रश्न किया।

 “बिलकुल।” बदले में आदित्य ने मुझे जवाब दिया।

 “अच्छा इसका मतलब अभी भी जनाब के दिलो-दिमाग पर भावना ही छाई हुई है...”

 “और नहीं तो क्या? और अब देखना मैं क्या करता हूँ। जो परम ब्रह्मचारी का चोला पहने ये घूम रहा है, इसके चोले को मैं निकालता हूँ। तुम बस मेरा साथ देना। साथ इतना देना कि तुम अपना मुँह बंद रखना, इससे ज्यादा मैं तुमसे और कुछ करने को नहीं कह रहा हूँ।”

 “मगर तुम करोगे क्या?” मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आदित्य करना क्या चाह रहा है।

 “घबराओ मत, मैं ज्यादा कुछ नहीं करूँगा, बस एक आशिक की आशिकी दुनिया के सामने लाऊँगा। तुम बस अपना मुँह बंद रखना।” 

 “ठीक है।” कहके मैंने अपनी सहमती दे दी।

 अगले महीने दुर्गा पूजा आने वाली थी। दुर्गा पूजा में हमारे यहाँ बहुत ही भव्य मेला लगता है। रावण-वध का भी आयोजन किया जाता है और उसमें तो आसपास के गाँव से भी बहुत सारे लोग वध देखने आते हैं। दिसम्बर में अमोल को सरकार की नौकरी के लिए चले जाना था और उससे ठीक दो महीने पहले थी दुर्गापूजा। 

 आदित्य ने एक दिन एक नया नम्बर लेकर अमोल को वाट्स अप्प पर मेसेज किया।

 “हाय, हाउ आर यू?”

 “आई ऍम फाइन। लेकिन आप हैं कौन, पहले ये बता दीजिये।” अमोल ने जवाब दिया और बेसब्री से मैसेज का इन्तजार करने लगा। चाहे अननोन मैसेज के लिए हम अपने आप को कितना भी निर्लिप्त क्यों नहीं दर्शा लें, लेकिन जब भी कोई अननोन मैसेज आता है तो उसे किसने भेजा है, यह जानने की प्रबल इच्छा हमारे अन्दर कुलाचे मारने ही लगती है। यही अमोल के साथ भी हुआ। 

 उसने मैसेज कर दिया और फिर यह सोचा कि जो भी होगा वो रिप्लाई कर ही देगा। मगर जब एक घंटे बाद भी उसे कोई रिप्लाई नहीं आया तो उसने फिर से मैसेज किया।

 “आप कौन हैं और आपको मेरा नम्बर कहाँ से मिला? क्या आप मुझे पहचानते हैं?” इतना भेजने के बाद उसने देखा कि उधर से मैसेज पढ़ लिया गया है। वो थोड़ी देर तक मोबाइल ही देखता रहा।  

 उसने देखा कि सामने वाले की तरफ typing... लिखा हुआ आ रहा है। वो सोचने लगा कि अब रिप्लाई आ जाएगा। वो देखता कि थोड़ी देर तक typing लिखा हुआ आता रहता था, फिर बंद हो जा रहा था। उसके कुछ देर बाद फिर typing लिखा आ जाता, फिर न तो कोई मैसेज आये और न ही typing ही दिखाता था। दो मिनट और जब कोई रिप्लाई नहीं आया, तब उसने फिर से मैसेज किया।

 “आप क्या लिख रहे हैं? अपना नाम लिखने में भी आपको इतना सोचना पड़ रहा है? अगर कुछ समझ नहीं आ रहा तो बस इतना ही लिख दीजिये कि मैसेज गलती से चला गया। न तो आप मुझे जानते हैं और न ही मैं आको जानता हूँ।”

 “नहीं मैं आपको जानती हूँ और आप भी मुझे जानते हैं; शायद भूल गए हैं आप थोड़ा।” क्रिया के अंत में जब अमोल को स्त्रीलिंग दिखा तो उसे बहुत हैरानी हुई कि उसे कौन सी लड़की जानने लग गयी। उसने अपने जीवन में उन तमाम लड़कियों को तुरंत याद कर लिया, जिससे उसने बात की थी। उसे कोई भी लड़की इस तरह से याद नहीं आई कि कोई उसे याद रख सके। एक मिनट भी आज तक उसने किसी लड़की से बात नहीं की थी। उसे कोई लड़की क्यों याद रखने लग गयी?

 उसने अपने दिमाग पर जोर दिया कि अभी-अभी उसने फेसबुक पर नया अकाउंट बनाया है, कहीं वहाँ तो गलती से उसका नम्बर नहीं रह गया। फिर दिमाग को पूरी तरह खंगालने पर उसे जवाब मिला कि उसने तो यही सोचकर बस ईमेल-आईडी ही डाली थी कि अगर उसने फेसबुक पर नम्बर डाल दिया तो उसका मिसयूज भी हो सकता है। इसपर मैंने उसे कहा भी था कि वो कौन-सा लड़की है, जो कोई उसके नम्बर का मिसयूज करेगा। उसे मेरी यही बात याद आ गयी। तब वह स्योर हो गया कि उसने तो कहीं भी अपना नम्बर नहीं दिया है, फिर ये कौन उसे चाहने वाली आ गयी।

 “आपको बताना है तो आप अपना नाम बता दीजिये, नहीं तो मैं आपको ब्लॉक कर रहा हूँ।” जैसे ही अमोल ने यह मैसेज भेजा, आदित्य को लगा जैसे सच में यह ब्रह्मचारी लड़का उसे ब्लॉक कर देगा। 

 वह फिर से कुछ-कुछ टाइप कर मिटाता रहा ताकि अमोल को यह लगे कि वो कुछ टाइप कर रहा है और उसे कोई जवाब मिल जाएगा। जब तक वो कुछ टाइप कर रहा था, तब तक वह सोच भी रहा था कि अब बोला क्या जाए। तभी उसके दिमाग में एक जवाब आ गया, जो उसने तुरंत ही टाइप कर दिया।

 “आप मेरी फेसबुक प्रोफाइल क्यों चेक करते रहते हो?” जैसे ही अमोल ने यह मैसेज देखा वो तो जैसे सदमे में आ गया। उसने सोचा कि फेसबुक पर कभी यह तो पता चलता नहीं कि किसने किसकी प्रोफाइल देखी है। यह बात तो उसने ही बहुत ज्यादा जानने कि कोशिश की थी कि उसकी प्रोफाइल कौन देखता है, लेकिन पता नहीं लगा पाया था। चूँकि वो फेसबुक पर अभी बिलकुल ही नया था इसलिए उसने यह सोच लिया कि हो सकता है उसे पता चल गया हो कि उसकी प्रोफाइल मैं सर्च कर रहा हूँ।

 अमोल ने अब कोई भी जवाब उस नम्बर पर नहीं दिया और फिर तुरंत उसने मुझे मैसेज किया।

 “यार ये बता अगर हम किसी की फेसबुक प्रोफाइल सर्च करें तो क्या उसे यह पता चल जाएगा कि मैंने उसकी फेसबुक प्रोफाइल सर्च की है?” मैं उस समय आदित्य के साथ ही बैठा था और आदित्य मुझे दिखाकर उसे मैसेज कर रहा था। जैसे ही मेरे मोबाइल पर मैसेज आया, आदित्य ने मुझे तुरंत ही कहा कि देखो कहीं ऐसा तो नहीं कि अमोल ने ही तुम्हें मैसेज किया हो।

 जब मैंने देखा तो सचमुच अमोल का ही मैसेज आया हुआ था। आदित्य ने मेरे हाथ से मेरा मोबाइल ले लिया और मैसेज पढ़कर हंसने लगा। मुझे भी हँसी आ रही थी। 

 “देखा मैंने कहा था न, कि ये आशिक तो है मगर डरपोक आशिक है। साला टेंथ से उसपर लाइन मार रहा है मगर डरता उससे कहीं ज्यादा है। बताओ अब तो नौकरी लग गयी, अब तो लड़की का बाप भी अपनी बेटी का हाथ इसके हाथ में दे देगा; मगर देखो इसको!” 

 “हाँ यार ये तो है, प्यार तो वो करता है मगर कहने से देखो कितना डरता है। फेसबुक अकाउंट भी बनाया तो सबसे पहले उसी का प्रोफाइल सर्च किया। एक काम करें, जरा देखें तो अब भावना दिखती कैसी है।” मैंने आदित्य से कहा तो वो मान गया।

 उसने अपने मोबाइल में फेसबुक खोला और उसका नाम लिखकर सर्च कर दिया। भावना का प्रोफाइल ऊपर ही दिख गया। वो अब पहले से काफी ज्यादा खूबसूरत दिख रही थी।

 “कुछ नहीं, मेक अप और फोटो एडिटिंग का असर है। मगर यह देखकर हमारा गुमनाम आशिक तो पागल ही हुआ जा रहा होगा।” 

 “हाँ यार ये बात तो सही कही तुमने।” मैंने आदित्य के बात में अपनी सहमती जता दी।

 जैसे ही हमदोनों को उसकी तस्वीर निहारने से फुर्सत मिली, मेरा ध्यान उसके मेरिटल स्टेटस पर गया। ‘इंगेज्ड’...