तुम्हारे बिना मेरे जीवन का कोई मतलब नहीं DINESH KUMAR KEER द्वारा रोमांचक कहानियाँ में हिंदी पीडीएफ

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तुम्हारे बिना मेरे जीवन का कोई मतलब नहीं

1.
एक बार समुद्र के बीच में एक बड़े जहाज पर बड़ी दुर्घटना हो गयी...
कप्तान ने शिप खाली करने का आदेश दिया...
जहाज पर एक युवा दम्पति थे...
जब लाइफबोट पर चढ़ने का उनका नम्बर आया तो देखा गया नाव पर केवल एक व्यक्ति के लिए ही जगह है...
इस मौके पर आदमी ने औरत को धक्का दिया और नाव पर कूद गया...
डूबते हुए जहाज पर खड़ी औरत ने जाते हुए अपने पति से चिल्लाकर एक वाक्य कहा...
अब प्रोफेसर ने रुककर स्टूडेंट्स से पूछा – तुम लोगों को क्या लगता है, उस स्त्री ने अपने पति से क्या कहा होगा?
ज्यादातर विद्यार्थी फ़ौरन चिल्लाये – स्त्री ने कहा होगा – मैं तुमसे नफरत करती हूँ! I hate you!
प्रोफेसर ने देखा एक स्टूडेंट एकदम शांत बैठा हुआ था, प्रोफेसर ने उससे पूछा कि तुम बताओ तुम्हे क्या लगता है?
वो लड़का बोला – मुझे लगता है, औरत ने कहा होगा – हमारे बच्चे का ख्याल रखना!
प्रोफेसर को आश्चर्य हुआ, उन्होंने लडके से पूछा – क्या तुमने यह कहानी पहले सुन रखी थी?
लड़का बोला - जी नहीं, लेकिन यही बात बीमारी से मरती हुई मेरी माँ ने मेरे पिता से कही थी...
प्रोफेसर ने दु:खपूर्वक कहा – तुम्हारा उत्तर सही है !
प्रोफेसर ने कहानी आगे बढ़ाई – जहाज डूब गया, स्त्री मर गयी, पति किनारे पहुंचा और उसने अपना बाकि जीवन अपनी एकमात्र पुत्री के समुचित लालन - पालन में लगा दिया...
कई सालों बाद जब वो व्यक्ति मर गया तो एक दिन सफाई करते हुए उसकी लड़की को अपने पिता की एक डायरी मिली...
डायरी से उसे पता चला कि जिस समय उसके माता - पिता उस जहाज पर सफर कर रहे थे तो उसकी माँ एक जानलेवा बीमारी से ग्रस्त थी और उनके जीवन के कुछ दिन ही शेष थे...
ऐसे कठिन मौके पर उसके पिता ने एक कठोर निर्णय लिया और लाइफबोट पर कूद गया...
उसके पिता ने डायरी में लिखा था – तुम्हारे बिना मेरे जीवन का कोई मतलब नहीं, मैं तो तुम्हारे साथ ही समंदर में समा जाना चाहता था...
लेकिन अपनी संतान का ख्याल आने पर मुझे तुमको अकेले छोड़कर जाना पड़ा...
जब प्रोफेसर ने कहानी समाप्त की तो, पूरी क्लास में शांति थी...


इस संसार में कईयों सही गलत बातें हैं लेकिन उसके अतिरिक्त भी कई जटिलतायें हैं, जिन्हें समझना आसान नहीं... इसलिए ऊपरी सतह से देखकर बिना गहराई को जाने - समझे हर परिस्थिति का एकदम सही आकलन नहीं किया जा सकता।


2.
पुरुष का रोना
व्याकुल कर जाता है,
उस आसमान को
जिसने अपना दर्द
हंसते हंसते
सौंप दिया था,
एक दिन बारिश को !

पुरुष का रोना
हरबार ढूंढता है
मां का आँचल,
प्रेमिका का काजल,
बहन का कंधा
किसी तकिए का कोना!

पुरुष के रोते ही
पुरुष हो जाती है
वह स्त्री
जो सहेजती है
उसके आँसूं ,
और मर जाता है
वह दर्द जो
जीत कर
मुस्कुरा रहा था
उस पुरुष से !

पुरुष के रोने से
टूट जाते हैं पितृसत्ता पर लगे
पाषाण हृदय ताले
और खुल जाते हैं द्वार
उन कोमल अहसासों के
जो उसे उसके भी
इंसान होने का
अहसास दिलाते हैं !

पुरुष के रोते ही पृथ्वी,
आकाश से
अपनी गति, स्थिति और
कक्षा की मंत्रणा कर
हिसाब किताब लगाती है उसके
उन आँसुओं का,
जो ग्रहों की चाल के सारे गणित
बिगाड़ कर रख देते हैं!
हे स्त्री !
अगर तुमने किसी रोते हुए पुरूष को समेटा है, सौंपा है गर अपना कंधा, उसे हारने पर लगाया है उसे गले से तो यकीनन तुम इस धरा की सबसे खुबसूरत स्त्री हो।