उजाले की ओर –संस्मरण Pranava Bharti द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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उजाले की ओर –संस्मरण

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नमस्कार मित्रो

जीवन के अनुभवों से हम न जाने कितना कितना सीखते हैं। एक दिन में न जाने कितनी बातें और यदि यह कहें कि हर पल, एक दूसरे से न जाने कितनी बातें सीखते हैं। इसका कारण यह है कि हम सबमें गुण हैं, अवगुण भी हैं। बुराई है तो अच्छाई भी है। हम सबमें कुछ न कुछ ख़ास है। वही हमें एक नाम देता है, एक पहचान देता है।

अखिल बड़ा परेशान! हर बात में उसे किसी न किसी की सलाह की ज़रुरत। चलो वो भी कोई बात नहीं लेकिन खुद की खूबियों को तो पहचानो भाई।

उसे लगता कि वह अकेले, बिना किसी की सलाह के कुछ कर ही नहीं सकता है और यहीं वह कमज़ोर पड़ जाता।

असल में हम जो सोचते हैं, उससे कहीं अधिक बड़ा काम करने की काबिलियत हममें होती है। लेकिन फिर भी हम हर काम क्यों नही कर पाते हैं? शायद हम संभव ओर असम्भव की उधेड़बुन में फंसे रहते हैं। हर काम करने से पहले हम सोचने लगते हैं कि यह काम हमसे हो पायेगा या नहीं? इस काम को करने की काबलियत हमारे अंदर है या नहीं?

फिर हम एक मित्र या दूसरे मित्र से सलाह लेते हैं। कोई कुछ सलाह देता है तो कोई कुछ और होता यह है कि हमारा आत्मविश्वास बनने के स्थान पर और कमज़ोर होता चला जाता है, वह सुदृढ़ बन ही नहीं पाता है।

ऊपर से आसपास के लोग सही सलाह नहीं दे पाते हैं। हर व्यक्ति अपने अनुभव के आधार पर सलाह देता है। लोग समाधान न बता कर मार्ग में आने वाली दिक्कतों के बारे में बात करते हैं। इससे काम करने वाले का मनोबल टूटता है। और अंत में वह काम करने का विचार ही छोड़ देता है।

अगर वह स्वयं कोई कोशिश भी करता है तो उस पर हमेशा नाकामयाबी का डर सताता रहता है। इसलिए लोगों की सुनिये परन्तु अपने ऊपर विश्वास बनाये रखिये। सफलता का रास्ता लम्बा होता है और लम्बा रास्ता तय करने में वक़्त लगता है।

कभी भी किसी लक्ष्य को पूरा करने के लिए शॉर्ट कट का सहारा लेने से आसानी से सफ़लता नहीं मिलती। लक्ष्य प्राप्त करने के लिए लगातार चलते रहना होता है।

सलाह लेने में कोइ हर्ज़ नहीं किंतु स्वयं के मस्तिष्क से सोच समझ कर निर्णय लेने में सार्थकता होती है और हम अपने लक्ष्य पर बेशक थोड़ी देर में सही अवश्य पहुँचने में सफ़ल होते हैं।

 

स्वस्थ वआनंदित रहें

आपकी अपनी मित्र

डॉ.प्रणव भारती