बेटा-बेटी (दोनों कुल का नाम करते हैं) DINESH KUMAR KEER द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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बेटा-बेटी (दोनों कुल का नाम करते हैं)

1. बेटा - बेटी

एक छोटे - से गाँव में एक परिवार रहता था । परिवार बहुत ही समझदार और खुशहाल था । परिवार में एक बुजुर्ग दादी माँ थीं, जिनकी बात हर किसी को माननी पड़ती थी । परिवार में तीन बेटे और तीन बहुएँ भी थी, जो सदैव दादी माँ की बात को मानती थी ।
एक दिन दादी माँ ने सबको बुलाकर कहा कि - "मुझे इस परिवार में बेटियाँ नहीं चाहिए, इसलिए आप सभी इस बात का ध्यान रखें ।"
बस ! क्या था ? जब भी किसी के बेटी होती तो वह उसे किसी दूसरे व्यक्ति को गोद दे देते थे ।
एक बार सबसे छोटी बहू की बेटी हुई तो उन्होंने उसे किसी को नहीं दिया और दादी माँ से कह दिया कि - "बेटा हुआ हुआ है । कुछ समय में जब बेटी बड़ी होने लगी तो उन लोगों ने उसे बाहर शहर के हॉस्टल में पढ़ने भेज दिया । कुछ साल के पश्चात खूब पढ़ाई करके बेटी आई० ए० एस० अधिकारी बन गयी । किस्मत से उसकी पोस्टिंग उसी शहर में हो गयी, जहाँ उसका परिवार रहता था । बेटी को दादी माँ की सारी बातों की भी जानकारी थी ।
शहर में आते ही एक बड़ा कार्यक्रम रखा गया । इससे पूर्व गाँव की सारी समस्याओं का समाधान कर दिया गया । सभी बुजुर्गों के लिए सम्मान समारोह भी रखा गया । समारोह में दादी माँ भी आयीं, उन्हें बहुत अच्छा लगा । वह बोल पड़ी - "काश ! मेरी भी आपके जैसे पोती होती, लेकिन मेरे घर की बेटियाँ तो इतना नहीं पढ़ती हैं ।"
अचानक छोटी बहू बोल पड़ी - "ये आपकी पोती ही तो है ।"
"अरे, ऐसा कैसे हो सकता है ? मैंने तो अपने घर बेटियों को तो पलने ही नहीं दिया ।"
"नहीं - नहीं दादी माँ ! ये आपकी पोती ही है ।"
तभी वह माफी माँगते हुए सारी बात बताती है । दादी माँ को अब अपनी गलती का अहसास होता है । वह कहती है कि "मेरी सोच कितनी गलत थी । सच बेटियाँ हों या बेटे हों, दोनों ही कुल का नाम करते हैं ।"

संस्कार सन्देश :- हमें कभी भी किसी को कम नहीं समझना चाहिए ।


2. सुख और दुख

एक छोटा - सा गाँव था । उस गाँव में एक गरीब परिवार रहता था ।
उस परिवार में एक आदमी अपने चार साल का बेटा और पत्नी सीमा के साथ रहता था । उसकी पत्नी बहुत बीमार रहती थी । वह आदमी सब्जियाँ बेचता था । एक दिन सीमा ने घर में पालक - पनीर बनाया । उसके घर में सभी ने कहा "अरे ! पालक - पनीर तो बहुत अच्छा बना है ।"
यह सुनकर सीमा के मन में एक तरकीब सूझी ।
दूसरे दिन से सीमा पालक - पनीर बनाकर बेचने लगी । आय बढ़ने से उसने अपना इलाज कराया । धीरे - धीरे उसकी बीमारी ठीक हो गयी । धीरे - धीरे उनकी आय और बढ़ने लगी और कुछ ही दिनों में वे अमीर हो गये । उनकी सारी गरीबी और दुःख दूर हो गया था ।

संस्कार सन्देश :- इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि यदि हम गरीब हैं, तो मेहनत से हम अमीर हो जाते हैं ।