जिन्दगी बहुत छोटी है DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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जिन्दगी बहुत छोटी है

1.
चलो मुस्कुराने की वजह ढूंढते हैं ऐ जिन्दगी
तुम हमें ढूंढो... हम तुम्हे ढूंढते हैं...!

2.
तुझसे इश्क़ मेरी मर्जी है,
इसमें भी मेरी ही तो खुदगर्जी है...!

3.
हमारी शक्ल पर हैं अर्जियां कुछ और कहती हैं,
मगर अख़बार की ये सुर्ख़ियां कुछ और कहती हैं
अजब ऐलान है सरकार का, हैं खैरियत से सब,
मगर उजड़े हुए घर, बस्तियां कुछ और कहती हैं...!

4.
आँखें रोती हो तेरी तो मैं फ़ना हो जाऊँगी
ज़ख़्म उभरे जो तेरी तो मैं दवा हो जाऊँगी
हो अँधेरे में जब कभी राहें तुम्हारी ए सनम
तुम्हारी राह का मैं जलता दिया हो जाऊँगी।

5.
अब सारी तस्वीरें हो गई पुरानी
उसे हमारी याद कम आती होगी...!

6.
मुस्कानें खो गईं सभी आहों की भीड़ में!
सपने जुदा हुए सभी अपनों की भीड़ में...!

7.
मुस्कान भरी तिरछी नज़र से मैने उसे कुछ कहा था
देखा तो था उसने मुझको, मुझमें, मैं ही मैं ना रही
मुझको देख हंस रहा है आईना भी आज
मेरी यूं हंसी हुई चेहरा, मुझमें, मैं ही मैं ना रही
कि उसकी बेरुखी हुई मेरी आंखों में सामिल
दुश्मन ये आशिकी हुई, मुझमें, मैं ही मैं ना रही
जैसे मैं हूं कोई और अजब सी दोस्ती हुई,
तब मेरी हाथों की लकीर मुझमें, मैं ही मैं ना रही
मेरी मुस्कुराती होठों ने कुछ इशारा किया उसे
सारे जहां ने देखा मुझमें, मगर मैं ही मैं ना रही...!

8.
नजर से गिरने वालो का,
कभी...
कद नहीं बढ़ता ...!

9.
बीच मझधार में खड़ी है कश्ती मेरी
हो चला वक्त तूफान को गुजरे हुए
हौसलों के सहारे है मंजिल मेरी,
डगमगाने लगे हैं कदम चलते हुए...!

10.
मेरा कथन :- किसी के लिए मामूली रहा अस्तित्व मेरा...
कोई आज तक दुआओं में माँगता है मुझे…!

किसी का उत्तर :- मैं हीं मैं ना रहा जबसे उसके घर पर जा रहा हूँ,
अब दुआओं में मांगने कितने दर पर जा रहा हूँ।

11.
मुझे देख कर जो तुझे सुकून मिलता है,
इस सारे मसले को लोग इश्क कहते हैं...!

12.
डूबी है कश्ती किनारे पे आके,
किसी को भंवर में ही मांझी मिला है...!

13.
मुझे मुस्कुराता देख
कई लोग मुस्कुरा दिए,
लगा ऐसा कि एक दिए
ने कई दिए जला दिए...!

14.
विचरों की, भावों की माला गुंथकर,
है मनाती शब्दों की त्योहार कविता।
कभी हास्य, शृंगार कभी वीर रस से
है करती साहित्य की सत्कार कविता।।

15.
जीवन कठिन है
लेकिन जब आप
समझदार नहीं होते हैं
तो यह और भी
कठिन हो जाती है
जिंदगी बड़ी
मजेदार है
कभी कभी
आपके कुछ दर्द
आपकी ताकत
बन जाते हैं।

16.
जरुरत नहीं सच को कि वो करे पर्दा किसी से,
जहां से बचने को झूठ क्या क्या नहीं ओढ़ती है
साथ ज़माने के खुद से भी लड़ता है आदमी,
जब हमारी बाहें संग औरों के हमारी हाथ मरोड़ती हैं...!

17.
वो बात करने तक को राजी नहीं है,
और हम होली पर रंग लगाने की हसरत जमाये बैठे हैं !

18.
नजरों से नजरें मिली, आँख को पढ़ ली
किसी को कुछ पता नहीं, बात भी कर ली...!

19. फासला
जिस घर में बजती हो कभी शहनाई खुशी की
उस घर में क्या कोई कभी मातम नहीं होता।
आग दोनों और हो बराबर की मुहब्बत में
हर किसी के साथ ये मेरी जानम नहीं होता।
नसीब में जिन के लिखा हो मौसम पतझड़ का
नसीब में उनके बहारों का मौसम नहीं होता।
शक़ की दरो - दीवार से जो पड़ जाते फासले
लाख कोशिश करो मगर फासला कम नही होता ।।

20.
अन्य लोगों से ना जलन करो
अरमानों से सदा चमन करो
हो सके तो जिंदगी में अपनी
अपने अहंकार का हवन करो...!