बागों में बहार है दिनेश कुमार कीर द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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बागों में बहार है

1.
किसी के होठों की मुस्कान बनकर देख,
ए आदमी, तू भी कभी इंसान बनकर देख
पहेलियां ये जिंदगी की हो जाएंगी हल,
मुश्किल वक्त में तू आसान बनकर देख
ये मायूस से चेहरे चाहते हैं मुस्कुराना,
उदासी में खुशी का फरमान बनकर देख
दूसरों के उसूलों पर चलने से है बेहतर
अपनी मर्जी का तू सुल्तान बनकर देख
अपने हाथों से रख बुनियाद सपनों की,
जहान में खुद अपनी पहचान बनकर देख
हासिल होगी ना खुशी बेशुमार दौलत से,
किसी की दुआओं से धनवान बनकर देख
ये हवाएं भी बहेंगी इक दिन हक में तेरे
मजबूत इरादों का तू तूफान बनकर देख

2.
सतरंगी ख्वाब दिखाते हैं,
जाने क्यों,

ये मौसम आते जाते हैं,
जाने क्यों

अजी, यह फूल भी बड़े दिल फरेब होते हैं
रोज खिल कर मुरझाते हैं,
जाने क्यों

परवरिश की थी जिनकी लहू से अपने
वही अब आंख दिखाते हैं,
जाने क्यों

दूर रहकर भी बादल प्यासी धरती का
दर्द समझ बरस जाते हैं
जाने क्यों

छुपा रखे हैं बगल में खंजर अपनों ने
लोग गैरों को आजमाते हैं,
जाने क्यों

ये तन्हाई में बैठकर अश्क बहाने वाले
महफ़िल में इतना मुस्काते हैं,
जाने क्यों

जो नसीबों में अपने होते नहीं शामिल
वो ही अक्सर दिल में समाते है,
जाने क्यों

3.
मेरी तमन्ना मेरा ख्याल धीरे - धीरे
बदल रहा है

क्या कहें दिल का हाल धीरे - धीरे
बदल रहा है

बदल रही है धीरे - धीरे अब रौनक
महफ़िल की

सुना है कि ये साल धीरे - धीरे
बदल रहा है

4.
तेरे आंगन की देहरी सी
तुझ में ही हूं कहीं ठहरी सी
तू मेरे पथ का दीप है साथी
मैं कोई राह अंधेरी सी
तुम बिन लगती भोर भी मुझको
तपती कोई दोपहरी सी
मेरी होकर भी क्यों बोलो
लगने लगी मैं तेरी सी
मौन वेदना की मैं परिभाषा
पीड़ हूं कोई गहरी सी
सुलग रही हूं चुपके - चुपके
मैं एक राख की ढेरी सी
अश्रु जल से है हो बोझिल
पलकें मेरी घनेरी सी
शीघ्र आओ प्रियतम मेरे
होने लगी अब देरी सी

5.
हर नारी की शान है साड़ी
संस्कृति की पहचान है साड़ी

कितनी पावन छटा बिखेरे
सुंदर सा परिधान है साड़ी

6.
गम को अपनी मुस्कान बना लो
ज़िन्दगी ज़रा आसान बना लो

मुमकिन नहीं कि भगवान बनो तुम
बस खुद को थोड़ा इन्सान बना लो

7.
एक छोटी चिड़िया सर्दी के मौसम में
दक्षिण की ओर उड़ रही थी.
ठंड इतनी थी कि...
चिड़िया के परों पर बर्फ जम गई
और वह एक बड़े खेत में
नीचे गिर पड़ी.

वहाँ पड़े - पड़े, एक गाय आई, और
उस पर गोबर गिरा दिया.
चिड़िया पर गोबर का ढेर पड़ा था.
और फिर उसे अहसास हुआ कि वह
गरम हो रही है.
गोबर बर्फ को पिघला रहा था.
वह गर्मी पाकर खुश हुई और
जल्द ही खुशी से गाने लगी.

एक बिल्ली ने
चिड़िया का गाना सुना
और जाँचने आई.
आवाज़ का पीछा करते हुए,
बिल्ली ने चिड़िया को
गोबर के ढेर के नीचे पाया, और
तुरंत उसे निकालकर खा गई.

कहानी की सीख:-
1. हर कोई जो आप पर
गंदगी डालता है...
वह आपका दुश्मन नहीं होता.
2. हर कोई जो आपको
गंदगी से बाहर निकालता है
वह आपका दोस्त नहीं होता.
3. और जब आप
बहुत बुरी स्थिति में हों, तो
चुप रहना ही बेहतर है.