मुजरिम या मुलजिम? - 6 anita bashal द्वारा थ्रिलर में हिंदी पीडीएफ

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मुजरिम या मुलजिम? - 6

अंकुश जो इस वक्त काफी चिपकू दिख रहा था वह अपना चेहरा बिगड़ते हुए स्कूल के गेट के पास जाकर खड़ा रहता है। स्कूल गेट के बाहर एक चौकीदार बैठा हुआ था जिसने अंकुश को ऊपर से नीचे की तरफ देखते हुए पूछा।
" जी बताइए किस से काम है आपको?"
अंकुश ने अपने कान में हाथ रखा और फिर कुछ देर के बाद जवाब दिया।
"जी वो मुझे मेरी बेटी के लिए एडमिशन करवाना है। वह क्या है ना हमें अचानक यहां पर शिफ्ट होना पड़ा और मैंने स्कूल के बारे में बहुत कुछ सुन रखा है तो मुझे प्रिंसिपल से मिलना है। मैं डबल डोनेशन देने के लिए तैयार हूं।"
चौकीदार ने अंकुश को वहीं रुकने को कहा और अंदर चला गया। जैसे ही चौकीदार गेट के अंदर गया अंकुश ने कान में हाथ रखकर कहा।
" श्रुति की बच्ची तूने मेरे हुलिए का जो हाल क्या है ना उसके लिए मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूंगा। मेरा हैंडसम लुक तुम्हें चीख चीख कर बद्दुआ देगा।"
सामने से श्रुति का जवाब आया।
" कम ऑन यार कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है।कभी-कभी मिशन के लिए चिपकु भी बनना पड़ता है।"
अंकुश ने गुस्से से अपना हाथ कान से हटा लिया। उसने कान में ब्लूटूथ पहना हुआ था जिससे वह श्रुति से बात कर रहा था।श्रुति वहां पर होने वाली हर बातों को सुनना चाहती थी और अंकुश को आगे क्या करना है उसके बारे में बता रही थी।
तभी गेट पर खड़ा हुआ गार्ड बाहर आया और उसने अंकुश को अंदर आने के लिए कहा।अंकुश ने एक नजर बाहर की तरफ खड़ी हुई एक कार की तरफ डाली जहां से श्रुति ने उसे थम्स अप का इशारा किया। भगवान का नाम लेकर अंकुश अंदर चला गया।
वह गार्ड उसे वहां से सीधे प्रिंसिपल ऑफिस की तरफ ले गया जहां पर प्रिंसिपल बैठकर कुछ फाइल में लिख रहे थे। जैसे ही अंकुश अंदर आया वहां के प्रिंसिपल ने उठकर उनको अंदर आने का इशारा किया और अपना परिचय देते हुए कहा।
" जी नमस्ते मैं इस लावण्या गर्ल्स स्कूल का प्रिंसिपल हूं प्रफुल्ल डोडेजा। वैसे तो गार्ड ने मुझे बताया कि आपको यहां पर अपनी बेटी के लिए एडमिशन लेना है लेकिन अचानक स्कूल बदलने का रीजन जान सकता हूं?"
अंकुश ने यहां आने के पहले इन सब चीजों के बारे में कुछ डिसकस नहीं किया था।उसके चेहरे की हवाइयां उड़ने लगी तभी श्रुति ने धीमी आवाज में कहा।
" कहो कि तुम इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में काम करते हो और तुम्हारी बदले इस शहर में हो गई है।"
जैसे ही अंकुश ने सुना उसने अपने आप को सीधा किया और कड़क आवाज में कहा।
" मैं इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का एक ऑफिसर हूं और मेरी यहां कुछ दिनों पहले ही बदली हो गई है।"
इनकम टैक्स का नाम सुनकर प्रिंसिपल ने थूक गटकते हुए कहा।
" आप इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के हैं? यह तो बड़ी अच्छी बात है। वैसे भी हम लोग किसी से डोनेशन नहीं लेते हैं लेकिन... बीच में एडमिशन कराने का.. आप समझ सकते हैं ना।"
अंकुश को दिखाई दे रहा था कि प्रिंसिपल के चेहरे पर पसीने की बूंदे चमक रही है। पहले तो वह कुछ-कुछ डरा डरा हुआ था लेकिन जैसे ही उसने यह कहा कि वो इनकम टैक्स में काम कर रहा है उसके तो हाव-भाव ही बदल गए थे।
उसने अपने दोनों कोहनी को टेबल पर रखा और चेहरे पर मुस्कान लाते हुए पूछा।
" वैसे प्रिंसिपल साहब आपका स्कूल बहुत बढ़िया है। लेकिन 5 साल पहले जो कुछ भी हुआ...बस उसको लेकर कुछ डाउट है अगर आप उसे क्लियर कर दे तो मैं अपनी बेटी का एडमिशन यहां पर कर दूंगा।"
5 साल पहले की बात सुनकर प्रिंसिपल के चेहरे का रंग उड़ गया था। श्रुति भी बड़ी ही ध्यान से उसके बातों को सुनने की कोशिश कर रही थी। प्रिंसिपल सर ने अपनी जेब से रुमाल निकाला और पसीने को पोंछने लगे। टेबल पर रखा हुआ पानी का ग्लास एक ही झटके में पीकर उन्होंने खुद को शांत करते हुए कहा।
" देखिए वह जो कुछ भी हुआ था वह एक बहुत दर्दनाक घटना थी लेकिन उससे स्कूल का कोई कनेक्शन नहीं है।"
श्रुति ने तुरंत धीमी आवाज में कहा।
" उसके बारे में निहाल दत्त के बारे में जानकारी लो और इस वक्त मित्तल की फैमिली का करंट लोकेशन जानने की पूरी कोशिश करो।"
अंकुश ने प्रिंसिपल सर की तरफ देखा और मुस्कुराते हुए कहा।
" प्रिंसिपल सर कैसी बात कर रहे हैं? मुजरिम निहाल दत्त आपके स्कूल का ही तो टीचर था और विक्टिम मित्तल भी तो आपकी ही स्कूल की स्टूडेंट थी, फिर आप यह कैसे कह सकते हैं कि स्कूल का इससे कोई कनेक्शन नहीं है।"
प्रिंसिपल प्रफुल्ल बात को दबाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन सामने इनकम टैक्स ऑफिसर था इसलिए वह ज्यादा कुछ कह नहीं सकते थे। उसे डर था कि कहीं उसके मुंह से कुछ ऐसा वैसा निकल गया तो बात कुछ उल्टी ना हो जाए।
प्रिंसिपल डोडेजा ने चेहरे पर जबरदस्ती मुस्कान लाने की कोशिश की और कहा।
" हां यह बात सच है कि मुजरिम और विक्टिम दोनों ही हमारे स्कूल के थे लेकिन जो कुछ भी हुआ वह स्कूल से कनेक्टेड नहीं है क्योंकि यह सब कुछ लड़की के घर पर हुआ। और अब लड़की उस टीचर के पास पर्सनली ट्यूशन लेती थी।"
अंकुश ने कड़क आवाज में कहा।
" आपको पता है ना कि कोई भी टीचर किसी को ट्यूशन नहीं दे सकता? लेकिन फिर भी निहाल दत्त उस लड़की को ट्यूशन दे रहे थे और इसकी क्या गारंटी है कि जो तब हुआ वो अब नहीं होगा?"
प्रिंसिपल ने फिर एक बार अपने माथे का पसीना पहुंचा लेकिन इस बार उन्होंने कड़क आवाज में कहा।
" देखी आप इनकम टैक्स ऑफिसर इसका मतलब यह नहीं कि गड़े मुर्दे उखाड़ने लगे। जो कुछ भी हुआ वह 5 साल पहले हुआ था इससे आज का कोई कनेक्शन नहीं है। और अब आपको एडमिशन करानी है तो कहीं वरना.."
" वरना क्या प्रिंसिपल प्रफुल्ल डोडेजा? एक इनकम टैक्स ऑफिसर के ऊपर चिल्लाने के जुर्म में आपको क्या सजा मिल सकती है पता है ना? चुपचाप में जो पूछता हूं उसका जवाब दीजिए वरना इस वक्त ऑन ड्यूटी पर हूं और अब आप समझ सकते हैं कि ऑन ड्यूटी ऑफिसर के ऊपर चिल्लाने से क्या हो सकता है।"
अंकुश ने यह बात इतने कॉन्फिडेंस से कही थी कि प्रिंसिपल सर के माथे पर पसीने की बूंदों में बढ़ोतरी होने लगी। उन्होंने एक लंबी सांस ली और कहा।
" देखीये जो कुछ भी हुआ उसमें स्कूल का कोई फॉल्ट नहीं था लेकिन फिर भी अगर आप जानना ही चाहते हैं तो मैं आपको सब कुछ बताने के लिए तैयार हूं।"
आखिर क्या प्रिंसिपल प्रफुल्ल डोडेजा उनको सच बताएगा? श्रुति अपना यह मिशन पूरा कर पाएगी या नहीं?