Muzrim ya Mulzim? - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

मुजरिम या मुलजिम? - 2

अहमदाबाद शहर...
गुजरात का एक ऐसा शहर जहां पर हमेशा भागा डोरी चालू रहती है। यहां पर भी किसी के पास समय नहीं होता कि कौन क्या कर रहा है और क्यों कर रहा है यह जानने का। यहां पर दूसरों की बात जानने वाले सिर्फ कुछ लोग होते हैं और उनमें से एक लोग हैं जर्नलिस्ट।
विश्वास प्रकाशन ऑफिस...
एक नया खुला हुआ न्यूज़पेपर का ऑफिस है। अभी नया नया खुला है तो ज्यादा बड़ा नहीं है कुछ चंद लोग हैं जो यहां पर काम करते हैं। कांच का केबिन है जहां पर यहां के मालिक मिस्टर अच्युत सोनी अपना काम कर रहे थे। तभी वहां पर प्यून ने दरवाजे को नौक कर के अंदर आने की परमिशन मांगी। अच्युत ने सिर्फ अपना सर हिलाया। प्यून ने बताया कि नहीं आई हुई जर्नलिस्ट हमसे मिलना चाहती है। अच्युत ने हां में गर्दन हिलाई।
प्यून के वहां से जाने के तुरंत बाद दरवाजा खोलते हुए एक लड़की अंदर आ गई। वह इतनी हड़बड़ी में ठीक है उसने अंदर आने के लिए परमिशन भी नहीं मांगी। वह सीधा अच्युत के सामने आकर खड़ी हो गई और लगभग चिल्लाते हुए कहा।
" गुड मॉर्निंग सर।"
उस लड़की के अचानक आ जाने की वजह से अच्युत अपनी आंखें छोटी करके कहा।
" यह क्या तरीका है मिस श्रुति खन्ना.. बॉस के केबिन में इस तरह से आते हैं क्या?"
श्रुति ने वाइट कलर का टॉप और जींस पहना हुआ था और टॉप के ऊपर एक स्टॉल लपेटा हुआ था। उसे हमेशा अपने बाल खुले रखने की आदत थी।आज भी उसने अपने बालों को खुला रखा हुआ था जो उसके कमर तक जा रहे थे। उसने अपने दांतो के बीच में जुबान को कुचलते हुए कहा।
" सॉरी बॉस। लेकिन मैं आपसे परमिशन मांगने आई हूं।"
अच्युत ने फाइल को साइड में रख कर उसकी तरफ देख कर पूछा।
" कौन सी चीज की परमिशन चाहिए आपको? कहीं आपको कोई बड़ी प्रकाशन कंपनी से कॉल तो नहीं आया? अगर आप जाना चाहती है तो प्लीज यू इसमें किसी को रोकने नहीं वाला।"
श्रुति ने अपनी गर्दन को जल्दी-जल्दी में हिलाते हुए कहा।
" नहीं नहीं मैं इसे छोड़कर कहीं नहीं जा रही हुं। वह क्या है ना मैंने सोचा है कि क्यों ना मैं एक आर्टिकल लिखु वह भी एक ऐसे केस के बारे में जो अभी तक सोल्व नहीं हुआ है लेकिन फिर भी मुलजिम को सजा दे दी गई है।"
अच्युत यह न्यूज़ पेपर अभी अभी खोला था और अपने नए न्यूज़पेपर के ऑफिस को पहचान देने के लिए उसे कोई ऐसे आर्टिकल की जरूरत थी जिससे कि उसका प्रकाशन बढ़ जाए। लेकिन इतना बड़ा रिस्क लेना उसके लिए सही था या नहीं वह सी के बारे में सोच रहा था। उसने सोचा कि पहले किसके बारे में जान लिया जाए फिर डिसाइड करते हैं कि क्या कर सकते हैं।
श्रुति ने देखा कि अच्युत ने अपनी पेन को दातों के बीच में दबाकर कुछ सोच रहा था। श्रुति को लगा कि कहीं यह परमिशन को कैंसिल ना करते हैं इसलिए उसने रिक्वेस्ट करते हुए कहा।
" बस अपने लिए गोल्डन चांस है।आपको पता है मैं किस-किस के बारे में बात करने वाली हूं उसके बारे में ज्यादा लोगों ने कुछ लिखा नहीं है।उस वक्त इसके बारे में बहुत चर्चा हुई थी लेकिन वह चर्चा कुछ समय तक चली उसके बाद में ठंडी हो गई। आज तक नहीं पता कि वह इंसान सच में गुनहगार था भी या नहीं।और तो और गुनेगार पूरी तरह से साबित हुए बिना ही उसे फांसी की सजा दी गई।"
अच्युत ने पैन को साइड में रखा।उसकी आदत थी जब भी वह कोई गहरी सोच में पढ़ता था तो उसके हाथ में जो कुछ भी चीज होती थी उसे अपने दांतो के बीच में चबाता रहता था। किसी स्कूल के बच्चे की जैसी आदत थी उसकी। कई बार उसे इस बात के लिए डांट भी पड़ी थी लेकिन आदत जाने वाली चीज थोड़ी ना होती है। उसने श्रुति की तरफ देखकर पूछा।
" लुक श्रुति खन्ना, तुम्हें तो पता ही होगा कि यह एक नया न्यूज़पेपर है तो जब तक में केस की डिटेल जान नहीं लेता मैं कोई परमिशन नहीं देने वाला। इसलिए सबसे पहले तुम मुझे इस केस के बारे में अच्छे से बताओ अगर मुझे ऐसा लगा कि हां इसके इसके बारे में हम कुछ कर सकते हैं तो ठीक है वरना मैं इसे कैंसिल कर दूंगा।"
श्रुति ने ओके कहा और अपनी बात की शुरुआत की।
" बॉस ने किस-किस के बारे में बात करती हूं वह आज से 5 साल पहले हुआ था। पंजाब के एक स्कूल टीचर जिन के बदले यहां पर हो गई थी, उनकी पत्नी और बेटी पंजाब में ही रहते थे और वह यहां पर अपना काम करते थे। मैंने पता किया कि वह दिखने में काफी हैंडसम थे और कई सारी लड़कियां उनके पीछे पागल भी थी.."
श्रुति बात करते-करते इधर से उधर टहल रही थी। अच्युत अपनी नजर श्रुति के ऊपर गड़ाए हुए था। श्रुति ने आगे कहा।
" वक्त था १ दिसंबर २०१८ का। कहा जाता है कि स्कूल की टीचर निहाल दत्त एक अपार्टमेंट में किराए पर रह रहे थे। उन्हीं के एक स्टूडेंट मित्तल गोहिल उसी पर अपार्टमेंट में रहती थी। मितल एक एवरेज स्टूडेंट थी इसलिए उसके पेरेंट्स ने निहाल दत्त से कहा था कि वह स्कूल के बाद उन्हें ट्यूशन दिया करें। मित्तल के माता-पिता ने आरोप लगाया था कि निहाल दत्त उनकी बेटी के साथ गलत व्यवहार करता है।
उनकी शिकायत के बाद अपार्टमेंट वाली निहाल दत्त को वहां से निकल जाने के लिए कह दिया था। दिन था १ दिसंबर का। मित्तल के पेरेंट्स किसी काम के लिए बाहर गए थे और वह लड़की घर में अकेली थी। उस दिन के 2 दिन पहले ही निहाल दत्त ने अपना निहाल दत्त ने अपना अपार्टमेंट खाली कर दिया था लेकिन उस दिन उसने कहा कि उसका कुछ सामान यहां पर रह गया है इसलिए वह वापस आया है।
करीब 3 घंटे बाद सब ने देखा कि निहाल दत्त वहां से बाहर चला गया है। किसी को कुछ पता नहीं चला लेकिन जब मित्तल के पेरेंट्स वापस आए तो उनके सामने उनकी बेटी की डेड बॉडी पड़ी थी। तब सबका शक मित्तल दत्त के ऊपर ही गया। उसे गिरफ्तार किया गया ज्यादा सबूत तो नहीं था लेकिन मित्तल के घर पर निहाल के एक शर्ट का बटन पड़ा था और उसकी रिस्ट वॉच वहीं पर थी।
बस इतनी सबूत के बिनाह पर उसे फांसी की सजा दी गई। ज्यादा वक्त भी नहीं लगा सिर्फ 1 हफ्ते के अंदर उसे सजा ए मौत दे दी गई। कुछ लोगों ने कहा कि यह एक साजिश है जिसमें निहाल दत्त को फंसाया गया है लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ और उसको फांसी हो गई।"
पूरी बात खत्म करने के बाद श्रुति ने अच्युत की तरफ देखा जो ध्यान से उसके बात सुन रहा था। श्रुति ने वापस अच्युत के पास आकर दोनों हाथ टेबल पर रखे और उसकी तरफ देखकर पूछा।
" तो बताइए सर क्या आप मुझे परमिशन देंगे?"
" नो ....."
क्या श्रुति अच्युत को मना पाएगी या नहीं? जो कहानी श्रुति ने बताई थी क्या वह सच थी?


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