Muzrim ya Mulzim? - 7 books and stories free download online pdf in Hindi

मुजरिम या मुलजिम? - 7

अंकुश जो इस वक्त प्रिंसिपल ऑफिस में बैठा हुआ था उसने प्रिंसिपल को अच्छी तरीके से डरा दिया था। प्रिंसिपल भी अपने सामने एक इनकम टैक्स ऑफिसर को देखकर काफी घबरा गया था। उसने डरते हुए कहा।
" देखिए सर यह बात आज से 5 साल पहले की है इसलिए ज्यादा कुछ मुझे कुछ याद नहीं है जितना याद है उतना मैं आपको बता देता हूं।"
अंकुश ने अपने दोनों हाथों को आपस में फोल्ड किया और कुर्सी में आराम से पीठ टिकाटे हुए कहने लगा।
" प्रिंसिपल सर मैं मानता हूं कि इस बात को 5 साल हो गए हैं लेकिन इतनी जरूरी बात के कुछ मुद्दे अब भूल जाए, यह मैं नहीं मान सकता। आप चुपचाप पूरी बात मुझे बताइए।"
प्रिंसिपल ने अपना पसीना पौंछा और कहा।
" सर निहाल दत्त हमारे यहां के एक बहुत अच्छे शिक्षक थे और वह बिल्कुल ऐसे नहीं थे जैसा कि उनके बारे में कहा जा रहा था।बल्कि वह तो सारे स्टूडेंट को अपने बच्चों की तरह मानते थे लेकिन कुछ लड़कियां उनके लुक के ऊपर कुछ ज्यादा ही फ़िदा थी।"
श्रुति ने फोन पर पूछा।
" अंकुश तुमने फोन रिकॉर्डिंग ऑन रखी है ना?"
" हां हां..."
अंकुश ने देखा तो प्रिंसिपल उसकी तरफ देख रहा था। इसलिए हम कुछ नहीं मैं चेहरा सख्त किया और कहा।
" हां हां तो आगे क्या हुआ बताइए।"
प्रिंसिपल नॉर्मल हुआ और आगे कहा।
" सर मैं आपको बता दूं कि निहाल दत्त करीब 35 साल के आसपास का होगा लेकिन वह अपने आपको इतना फिट रखता था जैसे कि वह कोई बीच पच्चीस साल का लड़का हो। इसीलिए लेडी टीचर तो लेडी टीचर स्टूडेंट्स लड़कियां भी उनके पीछे पागल थी।
आपको पता है एक बार तो एक लड़की ने निहाल दत्त को रोज़ तक दे दिया था। वह तो निहाल सर ने सबको यह कह दिया कि वह सिर्फ स्टूडेंट और टीचर वाला प्यार है और वह उन्हें अपने बड़े भाई की तरह मानती है। लेकिन असल बात तो कुछ और थी। मैंने सुना था कि वह लड़की.."
कहते हुए प्रिंसिपल कुछ याद करने लगा। याद करते-करते जैसे उसे कुछ याद आया हो वैसे उसने चुटकी बजाते हुए कहा।
" हां अपर्णा। उस लड़की का नाम अपर्णा था जिसने निहाल दत्त को गुलाब का फूल दिया था। वह लड़की अपर्णा और जिसका मर्डर हुआ था वह लड़की मित्तल एक दूसरे से बहुत जलती थी क्योंकि दोनों ही निहाल दत्त की फेवरेट स्टूडेंट थी। दोनों में होड़ लगी रहती थी कि कौन निहाल सर के आसपास रहेगा।"
जैसे जैसे प्रिंसिपल अपनी बात कर रहा था वहां बैठे अंकुश को बहुत ताज्जुब हो रहा था। प्रिंसिपल जीन लड़कियों की बात कर रहा था उनकी उम्र उस वक्त 12 से 13 साल की ही रही होगी। इस उमर में बच्चों को पढ़ाई में ध्यान देना चाहिए और यह लड़कियां कुछ और भी सोचने में लगी हुई थी। इन लड़कियों की वजह से निहाल दत्त जैसे टीचर को काफी शर्मिंदगी महसूस होती होगी। यह सब सोचकर अंकुश अपना सर हिला रहा था।
प्रिंसिपल की बातों से हमको उसको यह तो समझ आ गया था कि गलती सिर्फ निहाल दत्त की नहीं थी लड़कियां भी उनके पीछे उतनी ही पागल थी। प्रिंसिपल के पास से सारी जानकारी लेने के बाद अंकुश ने पूछा।
" वह सब कुछ तो ठीक है सर लेकिन क्या आप मुझे उन दोनों लड़कियों का एड्रेस दे सकते हैं?"
प्रिंसिपल ने कुछ सोचते हुए कहा।
" अपर्णा दीक्षित के बारे में मुझे पता है क्योंकि उनके पिताजी मेरे पहचान के हैं। उसका मैं ड्रेस आपको दे सकता हूं लेकिन यह जो दूसरी लड़की है वह तो मर चुकी है और उसके परिवार के बारे में मुझे कुछ नहीं पता।"
अंकुश और श्रुति यहां पर इसीलिए आए थे कि उन्हें मित्तल के परिवार के बारे में कुछ पता चले लेकिन वह तो उनके हाथ नहीं लगा था। लेकिन उन लोगों के हाथ में मित्तल की राइवल अपर्णा के बारे में कुछ जानकारी जरूर हाथ लगी थी।
प्रिंसिपल ने अपने फाइल में से अपना का एड्रेस निकाला और अंकुश को देते हुए कहा।
" सर आप कह रहे थे आपको आपकी बेटी का एडमिशन कराना है। उसके बारे में कुछ कहेंगे क्या?"
अंकुश ने वह एड्रेस लिया और वहां से उठ कर खड़ा हो गया। अपने कपड़े को बराबर करते हुए उसने कहा।
" हां हां मैं देखता हूं।"
अंकुश ने एड्रेस लिया और वहां से बाहर निकल गया। वह इतनी स्पीड में वहां से बाहर की तरफ भगा जैसे कि उसकी चोरी पकड़ी जाएगी और किसी भी पल उसे वहां से कुत्ते की तरह पीट-पीटकर निकाला जाएगा। जब तक वह कार के पास नहीं पहुंचा तब तक वह बिना पीछे मुड़े आगे तेजी के साथ चलता ही रहा।
अंकुश जिस तरह से भाग रहा था उसे देखकर वहां खड़ा हुआ गार्ड भी अपना सर खुजाने लगा। उसने कार के अंदर बैठकर लंबी लंबी सांसे लेना शुरू किया और फिर आंखें बंद करके सिर के ऊपर अपना सर टिका दिया। वहां बैठी हुई श्रुति उसकी तरफ बड़ी हैरानी से देख रही थी।
श्रुति ने उसके कंधे पर मारते हुए कहा।
" यकीन नहीं होता तु एक रिपोर्टर है। तुझे कौन सा क्रिमिनल के वहां भेजा था एक सीधा-साधा प्रिंसिपल ही तो था। तू तो इस तरह से डर रहा है जैसे कि तुझे आतंकवादियों के बीच में उसका इंटरव्यू लेने के लिए भेज दिया हो।"
श्रुति के ऐसा कहने पर अंकुश ने अपनी आंखें खोली और उसकी तरफ देख कर बोला।
" अगर ऐसा है तो तू खुद क्यों नहीं गई मुझे क्यों भेजा? बड़ी आई झांसी की रानी बनने वाली।"
श्रुति ने अपना चेहरा आईने में देखा और अपने गाल पर उंगली लगाते हुए कहा।
" वह क्या है ना कि मैं एक बच्चे की मां दिखती नहीं हूं। और जरा अपने आप को देख, ऐसा लगता है कि दो-दो बच्चे जवान होने वाले हैं।"
अंकुश ने अपने आपको आईने में देखा और अपने बाल बिगाडना शुरू कर दिया। उसने अपनी उंगलियों से बालों को इधर-उधर किया और चश्मा निकालकर पीछे की सीट में फेंक दिया। शर्ट के ऊपर के दो बटन खोलें और पीछे पड़ा हुआ जैकेट पहन लिया।
उसने अपने आपको आईने में देखा और एक राहत की सांस लेते हुए कहने लगा।
" थैंक गॉड! अपने आप को देख कर बहुत डर लगने लग गया था।"
श्रुति में एक लंबी नजर उसके ऊपर डाली और फिर अपना चेहरा घुमा कर कहा।
" तुम्हारा कुछ नहीं हो सकता। खैर यह वक्त इन सब बातों का नहीं है हमें आगे की काम के बारे में सोचना होगा कि हमें क्या करना है। सबसे पहले एक काम करते हैं अपर्णा दीक्षित के घर जाते हैं।"
श्रुति कि ऐसा कहते ही अंकुश जो अब तक आराम से बैठा हुआ था वह कड़क हो गया और उसकी तरफ देख कर कहने लगा।
" अरे ओ बुलेट ट्रेन! तुझे क्या सारे काम आज ही करने हैं? सवेरे से इधर से उधर घूम रहे हैं पेट में खाना तक नहीं है। अपना नहीं तुम मेरा तो सोच। हमें ऑफिस जाकर सारी डिटेल देनी है। अच्युत सर को सारी इनफार्मेशन भी देनी है।"
श्रुति ने वक्त देखा तो 4:00 बज रहे थे। उसने आंखें बड़ी करके कहा।
" हे भगवान! इतना वक्त हो गया? मुझे तो पता ही नहीं चला। तुम ठीक कह रहे हो हमें ऑफिस जाना होगा, अपर्णा दिक्षित के घर हम कल चले जाएंगे।"
अंकुश ने एक लंबी सांस ली और उसको छोड़ते हुए कहने लगा।
" थैंक गॉड मुझे तो लगता था तु मुझे आज इधर से उधर भगाने ही वाली है। आज इतना थक गया हूं कि बहुत अच्छी नींद आने वाली है।"
श्रुति ने एक नजर उसके ऊपर डाली और कार स्टार्ट कर दी। कुछ ही देर में वह लोग न्यूज़पेपर ऑफिस में पहुंच गए थे। अच्युत इस वक्त अपने केबिन में कुछ जरूरी काम कर रहा था तभी उसे दरवाजे पर नॉक की आवाज सुनाई दी।
" कम इन।'
बिना अपनी नजरें दरवाजे पर टिकाए उसने कहा। श्रुति और अंकुश अंदर आ गए। अंदर आते ही श्रुति ने जो भी काम किया था वह पूरा बताने लगी। अच्युत जो काम कर रहा था उसे उसने छोड़ दिया और बड़ी ही गौर से उन दोनों की बातें सुनने लगा। अच्युत ने पेन के ऊपर का हिस्सा अपने मुंह में रखा और सोचते हुए कहा।
"वेल डन! तुम लोगों ने अच्छा काम किया है। जैसे ही कुछ अपडेट होता है तुम मुझे बता देना। अभी तुम लोग जाओ और श्रुति मुझे आधे घंटे के बाद वापस यहां पर मिलो कुछ तुमसे कुछ काम है।"
अंकुश ने कुछ कहा तो नहीं लेकिन श्रुति की तरफ देख कर एक शरारती मुस्कान दे दी। श्रुति ने भी उसे आंख दिखाकर चुप किया और दोनों ने अपनी गर्दन हिलाई और वहां से चले गए। उन दोनों के वहां से जाने के बाद अच्युत ने अपनी पूरी पीठ कुर्सी पर टिका दी और पेन के ऊपर के हिस्से को अपने मुंह में दबाते हुए सोचने लगा।
" यह केस मैंने जितना सोचा था उससे भी ज्यादा गहरा लग रहा है। लेकिन एक बात मेरी समझ में नहीं आ रही है, ये लोग सिर्फ मित्तल के बारे में ही जानने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? इन्हें निहाल दत्त के बारे में क्यों कुछ पता करने की कोशिश करनी चाहिए। आखिर ऐसा क्यों है?"
अच्युत जो सोच रहा है क्या उसमें कुछ सच्चाई है? अपर्णा दीक्षित से इन लोगों को क्या हिंट मिल सकती है?


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