Muzrim ya Mulzim? - 9 books and stories free download online pdf in Hindi

मुजरिम या मुलजिम? - 9

अच्युत इस वक़्त श्रुति को डीप किस कर रहा था। एक लम्बी किस के बाद अच्युत ने उसे छोड़ा। श्रुति अपनी सांसे संभालने भी कोशिश करने लगी। अच्युत को इस वक़्त श्रुति बहुत ही सुन्दर दिख रही थी। श्रुति का पूरा शरीर हील रहा था। इससे पहले कि वो खुदको संभाल पाती अच्युत ने फिर से उसे किस करना शुरू कर दिया।
श्रुति ने बड़ी मुश्किल से खुद को संभाला और उसे अपने से दूर धकेलते हुवे कहा।
" सर आप क्या इससे ही अपना पेट भर लेंगे? मैंने डिनर भी रेडी कर दिया है।"
अच्युत ने श्रुति को कमर से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और नजदीक लेट हुए कहा।
" सर मै ऑफिस में हूं। इस वक़्त मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड हूं और एक बॉयफ्रेंड अपनी गर्लफ्रेंड को किस ही करेगा ना।"
कहते हुवे अच्युत फिर से एक बार अपना चहेरा उसके नजदीक लाने लगा। श्रुति ने अपना हाथ अच्युत के होंठो पर रखा और दूर धकेलते हुवे कहा।
" ओके तो अच्युत प्लीज़ मेरी इतनी कैपेसिटी नहीं है, तो पहले खाना खालो।"
अच्युत ने श्रुति के हाथो को अपने होंठो के बीच दबाते हुवे कहा।
" ठीक है मैं पहले डिनर कर लेता हूं लेकिन उसके बाद क्या करना है, पता है ना?"
श्रुति ने मुस्कुराते हुए अपना चेहरा हिला कर हां कहा। अच्युत ने मुस्कुराते हुए उसके बालों को हल्के से पींच किया और अंदर आ गया। जैसे ही अच्युत श्रुति के सामने से दूर हुआ श्रुति का हंसता हुआ चेहरा मुरझा गया। लेकिन उसने कुछ नहीं कहा और अच्युत के पीछे पीछे अंदर आ गई।
अच्युत इस वक्त डाइनिंग टेबल के सामने खड़ा था और उसके सामने कई सारी चीजें बनी हुई देखकर उसने अपनी दोनों हथेलीयों को आपस में मलते हुए कहा।
" लगता है तुमने कभी टेस्टी खाना बनाया है। तुम ठीक कह रही थी हमें आज रात की एनर्जी के लिए कुछ बढ़िया खाना खाना ही चाहिए। क्योंकि आज रात में तुम्हें बिल्कुल छोड़ने वाला नहीं हूं।"
श्रुति ने सिर्फ उसको देखते हुए मुस्कुरा दिया। लेकिन श्रुति इस वक्त जबरदस्ती मुस्कुरा रही थी यह उसकी मुस्कुराहट देखकर ही पता चल रहा था। उसने बिना कुछ कहे खाना परोसना शुरू कर दिया। अच्युत जैसे जैसे खाना खा रहा था वैसे वैसे वह उसके खाने की तारीफ कर रहा था।
करीब 40 मिनट के बाद उनका खाना हो गया था और श्रुति सारे बर्तन को समेटे हुए किचन में ले जाने लगी। तब तक अच्युत टीवी के सामने बैठकर न्यूज़ देख रहा था कि तभी श्रुति ने अपने हाथ में दो आइसक्रीम बाउल को लाते हुए कहा।
" आप आइसक्रीम तो खाना पसंद करते हैं ना? दरअसल मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं मीठे में क्या बनाऊं इसलिए सोचा आप आइसक्रीम ही ले आती हूं।"
तब तक श्रुति ने दोनों बाउल को सामने टेबल पर रख दिया था।अच्युत ने टेबल पर रखे हुए बाउल की तरफ देखा और फिर अपनी नजर श्रुति की तरफ करके कहा।
" वेल, मुझे आइसक्रीम से कोई प्रॉब्लम नहीं है लेकिन मैं जिस तरह से आइसक्रीम खाना चाहता हूं उससे हो सकता है तुम्हें प्रॉब्लम हो।"
श्रुति को कुछ समझ नहीं आ रहा था वह सवालिया नजरों से अच्युत की तरफ देख रही थी। इससे पहले कि वह कुछ पूछ पाती अच्युत ने उसे कंधे से पकड़ा और पीछे की तरफ धकेल दिया। पीछे की तरफ से धकेले जाने की वजह से वह सोफा पर लेट गई।
इससे पहले कि वह संभल पाती अच्युत ने अपनी उंगली में आइसक्रीम को लेकर श्रुति के होठों पर लगा दिया। बिना किसी वार्निंग के उसने अपने होठों से आइसक्रीम को खाना शुरू कर दिया। श्रुति की आंखें बड़ी हो गई थी और उसे यह सब कुछ अच्छा नहीं लग रहा था लेकिन फिर भी वह किसी पुतले की तरह वैसे ही पड़ी रही।
अच्युत श्रुति के होंठ, उसके गाल, उसकी गर्दन से होते हुए उसके बदन पर उसी तरह से खेल रहा था। श्रुति की आंखें खींच गई थी जिसे देखकर यह लग रहा था कि उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा है लेकिन पता नहीं क्यों यह सब कुछ सहे जा रही थी।
श्रुति ने अपनी आंखें बंद कर ली थी और वह किसी लाश की तरह पड़ी हुई थी। अचानक से ही अच्युत ने श्रुति को अपनी गोद में उठा लिया और उसे बेडरूम की तरफ ले जाने लगा। जब श्रुति को यह एहसास हुआ कि अच्युत ने उसे गोद में उठाया हुआ है और वह हमसे कहीं ले जा रहा है तो उसने अपनी आंखें खुली और अपने आसपास देखने लगी।
वह समझ गई कि उसे कहां ले जाया जा रहा है। वह हैरानी से अच्युत की तरफ देखने लगी लेकिन अच्युत के चेहरे पर बहुत ही गहरी मुस्कान थी। अच्युत ने उससे बड़े ही प्यार से बिस्तर पर लेटा दिया और बिस्तर पर नजर डालते हुए अच्युतने सोचते हुए कहा।
" यहां पर कुछ तो कमी है?"
श्रुति भी अपने आसपास बड़ी बड़ी आंखें करके देखने लगी। अच्युत ने चुटकी बजाई और वहां से बाहर निकल गया। इससे पहले कि श्रुति बेड से उठ पाती अच्युत अपने हाथ में उसका ही लिया हुआ बुके लेकर आ गया। श्रुति तब तक उठ कर बैठ गई थी लेकिन अच्युत ने उसे वापस लेटा दिया और बूके के गुलाब के फूल की पंखुड़ियों को पूरे बेड पर फैलाने लगा।
ये सब देखकर श्रुति काफी परेशान दिखाई दे रही थी। उसके माथे पर पसीने की बूंदें चमक रही थी और चेहरे पर घबराहट साफ झलक रही थी। अच्युत ने गुलाब की पंखुड़ियों को श्रुति के ऊपर भी डालना शुरू कर दिया और बुके को साइड में रखते हुए श्रुति की तरफ देख कर कहा।
" अब ऐसा कुछ लग रहा है जैसे कि यह हमारी फर्स्ट नाइट है।"
कहते हुए उसने अपने दोनों हाथ श्रुति के कंधे के पास रखें और उसकी तरफ झुकने लगा। श्रुति की आंखें परेशानी के कारण इधर से उधर हील रही थी उसके हाथ भी कांप रहे थे। जैसे ही अच्युत के होठों ने श्रुति के गर्दन को छुआ श्रुति ने अपनी आंखें बंद की और जोर का धक्का देते हुए कहा।
" नहीं मैं ऐसा नहीं कर सकती।"
श्रुति ने अच्युत को इतनी जोर से धक्का दिया था कि अच्युत कुछ दूर जाकर नीचे गिर गया।श्रुति उठ कर बैठ गई और अपना चेहरा छुपा कर फूट-फूट कर रोने लगी। अच्युत तब तक वापस उठ कर खड़ा हो गया था और उसने अपने दोनों हाथ बांधकर श्रुति की तरफ देखते हुए पूछा।
" मैं जानता था तुम उन लड़कियों में से नहीं हूं अपना काम निकलवाने के लिए कुछ भी कर सकती है। लेकिन फिर भी तुमने इस केस के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया।सच सच बताओ तुम इस केस में इतना इंवॉल्व क्यों हो?"
श्रुति अभी भी अपना चेहरा छुपा कर रो रही थी लेकिन अच्छे से उसके दोनों हाथ पकड़ कर उसके चेहरे से हटाकर उसके सामने आकर पूछा।
" श्रुति आंसर मी राइट नाउ।"
श्रुति की आंखें इस वक्त बंद थी लेकिन फिर भी उसे अच्युत की आंखें चुभ रही थी। उसने अपनी आंखें धीरे-धीरे खोली और अच्युत की तरफ देख कर कहा।
" मेरे पास है ही क्या जो मैं गवा दूं। मेरा सब कुछ तो 5 साल पहले ही तबाह हो गया था। मेरा हंसता खेलता परिवार एक ही पल में खत्म हो गया था। मेरी मां ने अपने आप को मार डाला और मेरे पिता को समाज ने।"
अच्युत ने श्रुति के दोनों हाथों को छोड़ दिया और उसके बाजू में बैठकर उसकी बातों को ध्यान से सुनने लगा। श्रुति ने अपने दोनों हाथों से अपने आंसुओं को पहुंचा और अपना चेहरा सख्त करते हुए कहा।
" मेरा नाम श्रुति निहाल दत्त है और मैं इस केस के मुजरिम और मुलजिम निहाल दत्त की बेटी हूं।"
क्या श्रुति जो कह रही है वह सच है? क्या अच्युत इन सब के बारे में पहले से ही जानता था? श्रुति ने किसी ने खुद का सौदा कर दिया था?


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