हम दिल में उतर जायेंगे दिनेश कुमार कीर द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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हम दिल में उतर जायेंगे

1.
आज कुछ जज़्बात है
दिल में उनको कहने दो

सबके लिए गुमनाम हूँ
मुझे गुमनाम ही रहने दो

सारे जग को मान के अपना
हमने हाथ बढ़ाया

वक्त आने पर पता चला
कौन अपना कौन पराया

बे मतलब की इस दुनिया को
बेमतलब रहने दो

सबके लिए गुमनाम हूँ
मुझे गुमनाम ही रहने दो

अपना सब कुछ मान के उनको
हमने प्रीत निभाई

तोड़ के दिल मेरा उन्होंने
बेवफाई की रीत निभाई

झूठे प्यार से सच्ची वफा की
उम्मीद को रहने दो

सब के लिए गुमनाम हूँ
मुझे गुमनाम ही रहने दो

अपने दिल के जज़्बातों को
शब्दों में ढाल दिया

जो भी गम था सारा हमने
गज़लो में डाल दिया

मेरे लफ्जों को अब सबके
दिल को छू लेने दो

सब के लिए गुमनाम हूँ
मुझे गुमनाम ही रहने दो

2.
मै खुद के लिए बहुत खास हूं
क्योंकि मै खुद की फेवरेट हूं
अपने में मस्त रहती हुं

मुझे शौक नहीं किसी के लिए खास बनने
की मेरा अपना वजूद मेरे लिए बहुत खास है

बहुत ही सिम्पल है कहानी मेरी
अपनो की खुशियां है जिंदगानी मेरी

रिश्ता कोई भी हो दिल से निभाती हूं
अपने दर्द छुपा कर अपनो के लिए मुस्कुराती हूं

ज्यादातर लोगों को घमंड़ी लगती हूं
क्योंकि मै वहा कभी नहीं झुकती जहां मै सही हूं

3.
चेहरे की हंसी दिखावट सी हो रही है
असल जिंदगी भी बनावट सी हो रही है

अनबन बढ़ती जा रही है रिश्तो में भी
अब अपनों से भी बगावत सी हो रही है

पहले ऐसी थी नहीं जैसी हूं आजकल
मेरी कहानी कोई कहावत सी हो रही है

दूरी बढ़ती जा रही मंजिल से मेरी
चलते - चलते भी थकावट सी हो रही है

शब्द कम पड़ रहे मेरी बातों में भी
खामोशी की जैसे मिलावट सी हो रही है

और मशवरे की आदत ना रही लोगो को
अब गुजारिश भी शिकायत सी हो रही है

4.
जो होना है वह होकर रहेगा
आप बेवजह, घबराया ना करो,

गलतियां तो सबसे होती है आप
खुद को इतना, सताया ना करो,

नजर लग जाती है खुशियों को भी
आप सबके सामने, मुस्कुराया ना करो,

जिन्हें फुर्सत नहीं है अपनी जिंदगी से
उन्हें अपनी परेशानियां, बताया ना करो,

और जो जानबूझकर तकलीफ दे
उन्हें जरूरत से ज्यादा, समझाया ना करो,

5.
जिंदगी में सांस और विश्वास की
एक समान जरूरत होती है

सांस खत्म तो जिंदगी का अंत और
विश्वास खत्म तो संबंधों का अंत

पल पल से बनता है एहसास
एहसास से बनता है विश्वास

विश्वास से बनते हैं रिश्ते और
रिश्तों से बनता है कोई खास

6.
पीले पत्ते

टहनियों पर लगे पीले पत्ते
मत तोड़ो तुम,
चंद रोज में ख़ुद - ब - ख़ुद झड़ जायेंगे ...

बैठा करो कुछ तो बुजुर्गों के पास तुम,
एक दिन ख़ुद ही ये चुप हो जायेंगे ...

खर्चने दो उन्हें बेहिसाब तुम यारों,
एक दिन सब तुम्हारे लिए छोड़ जायेंगे ...

मत टोको उनको बार - बार
बात दुहराने पर,
एक दिन हमेशा के लिए
ख़ामोश हो जायेंगे ...

इनका आशीर्वाद सर पर
ले लिया करो तुम,
वर्ना तो फ़िर ये ...
तस्वीरों में ही नज़र आयेंगे ...

खिला दो उनको
कुछ उनकी ही पसंद का,
फ़िर श्राद्ध में भी देखना ...
खाने नहीं आयेंगे ...