कविता और कहानियाँ दिनेश कुमार कीर द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

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कविता और कहानियाँ

आरुष कक्षा पाँच में पढ़ता था । वह पढ़ने में बहुत ही होशियार था, किन्तु उसे कविता और कहानियों में रुचि नहीं थी । उसकी रुचि विज्ञान और गणित में थी । बाकी अन्य विषयों का भी उसे अच्छा ज्ञान था । प्रार्थना स्थल पर जब उससे कहानी या कविता वाचन के लिए कहा जाता तो वह मौन हो जाता । सभी अध्यापक और बच्चे उसकी हँसी उड़ाते । अपनी हँसी होते हुए देखकर उसे बहुत बुरा लगता और मन ही मन खीज भी होती, किन्तु वह किसी से कुछ नहीं कहता ।
दिन बीतते गये । कुछ दिनों बाद यह बात जब उसके माता - पिता को पता चली तो उन्होंने शाम को आरुष से इस बारे में पूछा ! आरुष ने कहा कि - "मैं क्या करूँ पापा ? मुझे कविता - कहानी पढ़ने में कोई रुचि नहीं होती है ।" आरुष के पापा ने कहा कि - "क्या इस तरह रोज अपनी हँसी उड़ाते हुए बच्चों को देखकर तुम्हें अच्छा लगता है ?"
"नहीं पापा !" आरुष ने कहा ।
उसके पापा ने कहा कि - "भले ही तुम्हें कविता - कहानियों में रुचि न हो, लेकिन स्कूल में जो गतिविधियाँ होती हैं, उनमें भी तुम्हारा दायित्व बनता है कि तुम भाग लो और सदा आगे रहो ।"
पापा की बात सुनकर आरुष बोला - "लेकिन मुझे तो कविता और कहानियाँ आती ही नहीं हैं, मैं उन्हें कैसे सुनाऊँगा ?" आरुष की जिज्ञासा देखकर उसके पापा ने कहा कि - "तुम उसकी चिन्ता मत करो ! मैं तुम्हें रोज शाम को एक कविता और कहानी सुनाऊँगा और उसकी गतिविधि भी सिखाऊँगा । दूसरे दिन तुम स्कूल में प्रार्थना स्थल पर उसे सुनाना । इससे तुम्हें धीरे - धीरे इनमें रुचि भी बढ़ेगी और अध्यापकों और बच्चों के सामने हँसी का पात्र नहीं बनना पड़ेगा ।" पापा की बात आरुष को अच्छी लगी ।
आरुष अब रोज शाम को अपने पापा से कहानी और कविता सुनता, याद करता और फिर दूसरे दिन स्कूल में उन्हें सुनाता । आरुष के मुँह से इतनी सुन्दर, प्रेरणादायक, उपयोगी कहानियाँ और कविताएँ सुनकर सभी अध्यापक और बच्चे दंग रह गये । उन्होंने जब आरुष से उसके व्यवहार में अचानक आये इस परिवर्तन के बारे में पूछा तो उसने बताया कि - "मेरे पापा शाम को मुझे रोज एक कहानी और कविता सुनाते हैं और उसकी गतिविधि भी रोज कराते हैं । वही मैं रोज यहाँ सुनाता हूँ ।" सभी ने आरुष के पापा की और आरुष की सराहना की । धीरे - धीरे आरुष को कविता और कहानियों में इतनी रुचि बढ़ने लगी कि आगे चलकर वह स्वयं कविता और कहानियाँ लिखने लगा । अब उसकी कविताएँ और कहानियाँ विभिन्न पत्र - पत्रिकाओं और समाचार - पत्रों में छपने लगी । बड़े होने पर वह देश में आयोजित विभिन्न कवि सम्मेलनों और विचार - गोष्ठियों में भाग लेने लगा, लेकिन उसने विज्ञान और गणित के प्रति अपनी रुचि कमजोर नहीं होने दी । उसने आगे बढ़ने के लिए अपना प्रयास सतत् जारी रखा ।

संस्कार सन्देश :- कविता और कहानियाँ हमारे जीवन के अंग हैं । ये हमें सदैव अच्छा कार्य करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं ।