सबक जिंदगी के DINESH KUMAR KEER द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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सबक जिंदगी के

1. राहुल

राहुल कक्षा आठ में पढ़ता था। विद्यालय में राहुल का परीक्षा परिणाम पत्रक वितरण होना था, जिसकी वजह से राहुल के पापा जी, राहुल के विद्यालय में गये थे। राहुल का परीक्षा फल लेकर राहुल के पापा जी घर आ गये थे। घर आकर वह तुरन्त राहुल पर भड़के और उसे गुस्से में भरकर डाँटने लगे - "देखो - कितने कम नम्बर आये हैं गणित विषय में। मैंने तो कभी सोचा भी नहीं था कि इतने कम नम्बर आयेंगे! और बाकी विषयों में भी कोई बहुत अच्छे नम्बर नहीं मिले हैं। तुमने अगर ढंग से पढ़ाई की होती, तो ऐसा कभी नहीं होता... इतने कम नम्बर नहीं आते।"
राहुल चुप - चाप सुन रहा था और मन ही मन दु:खी था। राहुल ने अपने हिसाब से सही पढ़ाई की थी, मगर पापा जी, शायद परीक्षा फल से खुश नहीं थे। शाम हो गयी। सब लोग खाना खाकर अपने - अपने कमरों में आराम करने चले गये थे। सवेरा होने पर राहुल विद्यालय के लिए निकल गया। राहुल अपने साथ कुछ पैसे लेकर गया था, लेकिन छुट्टी होने के बाद राहुल घर नहीं लौटा। राहुल के माता जी - पिता जी बहुत परेशान हो गये। उन्होंने पुलिस को सूचना दी। उधर राहुल उदास मन से अजमेर जाने वाली बस में बैठ गया। अजमेर शहर में उतर कर इधर - उधर भटकने लगा।
जब राहुल के पास पैसे खत्म हो गये, तब वह डर गया। अब उसे घर की याद आने लगी। वह तुरन्त गाँव को जाने वाली बस में बैठ गया। जब बस परिचालक ने राहुल से टिकट के लिए पैसे माँगे तो राहुल के पास पूरे पैसे नहीं थे। बस परिचालक को कुछ शक हुआ तो उसने गंभीरता से राहुल से पूछा तो राहुल ने सच बता दिया।
बस परिचालक ने तुरन्त मानवता का परिचय देते हुए राहुल के माता जी - पिता जी को फोन किया और राहुल को बस स्टैंड पर लेने हेतु आने के लिए बुलाया। बस स्टैंड पर पहुँचकर राहुल के माता जी - पिता जी ने राहुल को देखा तो बहुत दु:खी हुए और रोने लगे। वे उससे कहने लगे - "बेटा! तुमने ऐसा क्यों किया?" लेकिन माता जी - पिता जी को इस बात का एहसास हो गया था कि उन्होंने क्या गलती की है। बस परिचालक ने पिता जी को अकेले में ले जाकर समझाया। पिता जी ने अपनी गलती के लिए माफी माँगी। उन्होंने बस परिचालक को धन्यवाद दिया और राहुल को लेकर घर आ गये। राहुल के पिता जी ने एक ऐसा सबक प्राप्त किया था, जो शायद उन्हें जीवन भर याद रहेगा।

संस्कार सन्देश :- हमें बच्चों पर उनकी योग्यता के विपरीत अनावश्यक रुप से अपनी आकाँक्षाओं को नहीं थोपना चाहिए।

2.
तुम मुझे जितनी इज़्ज़त दे सकते थे दे दी
अब तुम देखो मेरा सबर और मेरी ख़ामोशी

3.
मैं तो जिंदगी का दर्द - ए सितम बयां करता हूं,
लोग इसे ही मेरी शायरी समझ लेते हैं।

4.
दोस्ती नाम है सुख - दुःख की कहानी का,
दोस्ती राज है सदा ही मुस्कुराने का,
ये कोई पल भर की जान - पहचान नहीं है,
दोस्ती वादा है उम्र भर साथ निभाने का।