दिल मे हो तुम दिनेश कुमार कीर द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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दिल मे हो तुम

1.
हां मुझे इश्क़ है...
सुनो...
तुम समझोगे नहीं लेकिन,
फिर भी बता दूं तुम्हे,
कि हां मुझे इश्क़ है तुमसे,
और खुद से भी क्यूंकि,
मुझमें भी तुम ही तुम रहते हो,
मेरे सीने में धड़कन कि तरह,
मेरे दिल में सांसों कि तरह,
मेरे दामन में खुशबू की तरह,
मेरी बातों में मिठास की तरह,
मेरी जिस्म में रूह की तरह,
मेरे सजदों में इबादत की तरह,
मै जिन बारिशों में भीगी उन बूंदों की तरह,
मुझे छूकर गुजरने वाली उस हवा की तरह,
मेरे आंखो में लगे काजल की तरह,
मेरे होंठो की उस हलकी सी लाली की तरह,
मुझे मिलता नहीं ऐसा कुछ भी,
जहां या जिसमें तुम नहीं शामिल,
तो बताओ किया न मैंने एक मुकम्मल इश्क़...

2.
मैं वो किताब हूं...
लिखा है

जिस के पहले पन्ने पर प्रेम
और आखरी पन्ने पर प्रतीक्षा...

बीच के हर पन्ने पर
खामोश एहसास है
आंसुओ से लिपटे हुए दर्द का...

कभी फुर्सत में बैठ कर
पढ़िये मेरे अल्फाजों को...

तुम पर ही शुरू और
तुम पर ही खत्म होंगे...

3.
सुनो...

शब्दों के कुछ फूल चुने हैं
मैंने तुम्हारे लिए,

लिखना तो बहुत था,
मगर लफ़्ज़ों से परे हो तुम
क्या लिखूं तुम्हारे लिए
कौन से लफ़्ज़ों में तराशूं तुम्हें
तुम वो हवा जो

हर रोज मुझे छूकर गुजरते हो
तुम वो रोशनी मेरी जो
दिन में सूरज,और रातों में तारे हो
तुम वो ज़िंदगी जो

हर पल, हर लम्हा चाहिए मुझे
तुम वो हसीन ख्वाब जो
जो हर हाल में पूरा करना है मुझे
तुम वो फूलों की खुशबू जो
हर पल महकाती है मुझे
तुम्ही मेरे दिन और रात

तुम्हारे लिए क्या लिखूँ,
तुम हो,
हाँ बस तुम ही तुम हो...

4.
"तुमसे एक मुलाक़ात के इंतज़ार में,
कुछ लम्हें ज़िंदगी के बचा कर रखे हैं मैंने

कुछ अल्फ़ाज़ जो अनकहे हैं,
अभी लबों से सी कर रखे हैं मैंने

कुछ हसीं ख़्वाब जो अधूरे हैं,
अभी सजा कर रखे हैं मैंने

कुछ सवाल जो अनकहे हैं,
अभी सीने में दबा कर रखे हैं मैंने

कुछ ख़्वाहिशें जो मुक़म्मल होंगी शायद,
अभी धड़कनों से बांध कर रखीं हैं मैंने

कुछ शिकायतें जो तुमसे हैं मेरी,
अभी ज़ुबां पर रोक कर रखीं हैं मैंने

कुछ एहसास जो अनछुए हैं,
अभी संजो कर रखे हैं मैंने

कुछ जज़्बात जो ज़हन में दफ़न हैं,
अभी आँखों में छिपा कर रखे हैं मैंने

तुमसे एक मुलाक़ात के इंतज़ार में,
कुछ लम्हें ज़िंदगी के बचा कर रखे हैं मैंने"

5.
यादें

जानते हो तुम, सच्चे प्रेम की यादें
कभी भी पंचत्व में विलीन नही होती
ये रहती है सदैव आपके साथ अनंतकाल तक
आप कितने भी मुखौटे लगा ले चेहरे पे
झूठी खिलखिलाती मुस्कान के ,किंतु
आपका प्रेम हमेशा जीवित रहेगा आपके भीतर
एकांत में वो हमेशा हावी रहेगा आप के ऊपर
आप रोएंगे, चीखेंगे पर आपकी आवाज
घुट कर रह जायेगी आप के ही भीतर
नम धुंधली आंखो से आप एक एक करके
यादों की किताबके पन्ने पलटेंगे, और घिरते जायेंगे
उसकी यांदो के साथ, सच्चा प्रेम वो शाश्वत है
जैसे आप अपनी मृत्यु को नही टाल सकते
ठीक वैसे ही आप सच्चे प्रेम को भी स्वयं के
भीतर से नही निकाल सकते

6.
सतरंगी रंग

दिसंबर की सर्द बरसात की रात
बारिश की टिप टिप आती आवाज
किसी मधुर संगीत से कम नही लगती मुझे
जानते हो क्यों...
याद है न तुम्हे इन्ही दिसंबर की सर्द रातों में
घंटो सिर्फ हम बात करने में निकाल दिया करते थे
मीलों की दूरी होते हुए भी जैसे
एक दूसरे के प्रत्यक्ष होते थे
हां तुम तो बहुत पहले ही मुझे पूरी तरह भुला चुके हो
पर मुझे याद है हर मौसम में बिताया हुआ
हर महीना, दिन पल, क्षण तेरे संग
जिसमे मैने अपने प्रेम से सतरंगी रंग भरे थे
जिसे तुम बेरंग कर गए...