साथिया - 68 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 68

उस एजेंट ने अपना फोन निकाल कर अक्षत के सामने कर दिया और उसमें एक वीडियो चल गया।

वीडियो देखते-देखते अक्षत की आंखों से आंसू निकल उसके गालों पर आ गए तो वही एजेंट के चेहरे पर भी दर्द उभर आया

"इसके बाद क्या हुआ?" अक्षत ने वीडियो बंद करते हुए उसकी तरफ देखकर कहा।

"सर इतना वीडियो तो वहां मौजूद एक लड़के को जैसे तैसे पैसे देकर मैंने ले लिया है। वो आजकल के लड़के हर बात का वीडियो बना लेते है तो इसने बना लिया पर सोशल मीडिया पर नही डाला वरना गाँव का और उन लोगो का नाम आता।" एजेंट बोला तो अक्षत ने लाल आँखों से उसे देखा।

"इसके आगे की खबर सिर्फ दो लोग दे सकते हैं...!"एजेंट ने कहा।

"कौन दो लोग? मेरी उनसे मीटिंग फिक्स करो..!! और हम दोनों उनसे मिलने चलेंगे।" अक्षत ने कहा।

"एक तो यहीं पर है मुंबई में दूसरा उसी गांव के पास के एक दूसरे गांव का आदमी है।" एजेंट बोला।

"कौन है वह लोग?" अक्षत ने पूछा।

"निशांत के चाचा और सौरभ के पापा सुरेंद्र ठाकुर...!! और गांव में नदी किनारे रहने वाला एक मछुआरा। यह दोनों आगे की सच्चाई जानते हैं और शायद कुछ हद तक सुरेंद्र की बेटी आव्या भी जानती है। यह सब तो वह वीडियो है जो गांव की चौपाल पर हुआ पर निशांत के घर पर सांझ के साथ क्या हुआ इस बात को आव्या और सुरेंद्र जानते हैं। और उसके बाद कहां गई कैसे उसकी मौत हुई इस बात को सुरेंद्र और वह मछुआरा जानता है।"एजेंट बोला।

"सबसे पहली बात तो सांझ की मौत नहीं हुई है इसलिए बार-बार यह कहना बंद कीजिए। सांझ जिंदा है और वह वापस आएगी। मैं उसे लेकर आऊंगा। बस अब मुझे इन लोगों से मिलना है अभी के अभी चलो।" अक्षत बोला।

"आज तो नहीं हो पाएगा क्योंकि मैंने पता किया था सुरेंद्र अभी यहां पर नहीं है...!! किसी काम के सिलसिले से बाहर गए हैं। शायद दो-तीन दिन में आ जाएंगे और सुरेंद्र ही बता पाएंगे कि वह मछुआरा कौन है? क्योंकि उसके बारे में सिर्फ मुझे पता चला है कि कोई मछुआरा है पर उस एरिया में सभी ज्यादातर मछुआरों के ही घर है। और मुझे नहीं पता कि उनमें से कौन है और मैं इस तरीके से पूछताछ भी नहीं कर सकता वरना पांसा उल्टा पड़ सकता है।" एजेंट बोला।

"ठीक है आप पता करो कि सुरेंद्र कब वापस आ रहे हैं..? बाकी मैं भी सौरभ से बात करके पूछ लेता हूं कि वह कब आ रहे हैं? जैसे ही वह आते हैं उनसे मिलने चलेंगे। सारे काम एक तरफ सबसे पहले हम सुरेंद्र से मिलेंगे और उनके बारे में जानेंगे और रही बात आव्या की तो बच्ची है वह। मैं उससे ऐसी कोई भी बात अभी नहीं करना चाहता जिससे वह नर्वस हो। उससे भी अगर पूछताछ करनी होगी तो सुरेंद्र के सामने ही करेंगे।" अक्षत ने कहा।

"ठीक है सर...!" एजेंट बोला।

"यह वीडियो मुझे फॉरवर्ड कर दीजिए। बाकी मिलते हैं।" अक्षत ने कहा।

"क्या करेंगे देखकर कर रहने दीजिए ना..!"एजेंट बोला।

"तुमसे जितना कहा है उतना करो...!; जब एक बार देख लिया तो दस बार देखने में भी क्या बिगड़ना है। इस वीडियो का एक- एक पल मुझे मेरी सांझ के और करीब ले जा रहा है और साथ ही साथ मेरे मन में इस बात को भी मजबूत करता जा रहा है कि मुझे उन लोगों को नहीं छोड़ना है किसी भी हाल में।" अक्षत ने कहा और उठकर चला गया क्योंकि उसे पार्टी में भी जाना था जहां से उसने कहा था कि वह मनु को पिक कर लेगा क्योंकि मनु ऑलरेडी शाम को ही पार्टी में चली गई होगी और अभी अच्छी खासी रात हो गई थी।

उधर पार्टी अपने पूरे शबाब पर थी। मनु अपने दोस्तों के साथ गप्पे मारने में पार्टी इंजॉय करने में बिजी थी तो वही निखिल और रिया अपनी प्लानिंग करने में...!"

नील भी आया था और अपने कुछ दोस्तों के साथ एक तरफ खड़ा था। हालांकि उसका मन नहीं लग रहा था क्योंकि उसका खास दोस्त अक्षत अब तक नहीं आया था। इशान जो कि मुंबई में था इसलिए वह भी यहां नहीं आ पाया था और नील अच्छा खासा बोर फील कर रहा था।

नील कोल्ड ड्रिंक पी रहा था कि तभी उसे अपना सर घूमता हुआ सा महसूस हुआ। उसने अपनी कोल्ड ड्रिंक देखी। और लगा उसे कि शायद कुछ गर्मी के कारण है तो उसने कोल्ड ड्रिंक पूरी पी ली।

अब उसे और भी ज्यादा बेचैनी होने लगी तो वह उठकर बाहर की तरफ जाने लगा। पर उसके पांव नहीं चल रहे थे तो उसने एक वेटर का सहारा लिया।

"सर मैं आपको रेस्ट रूम में ले चलता हूं, थोड़ी देर रेस्ट कर लीजिए। लगता है आपकी तबीयत खराब हो रही है। मैं किसी डॉक्टर को भी बुलाता हूं।" वेटर बोला और नील को वही एक रूम में ले जाकर लेटा दिया और बाहर निकल गया।

नील रूम में जाते ही बेहोश हो गया और उसके बेहोश होते ही रिया रूम के अंदर आ गई।

निखिल ने उसे थम्स अप किया और उसी के साथ रिया ने दरवाजा बंद कर लिया पर कुंडी नहीं लगाई थी।

इन सबसे अनजान मनु अपने दोस्तों के साथ बातें करने में बिजी थी।

निखिल मनु के पास आ गया।

अरे मानसी तुम यहां खड़ी हो नील कहाँ है? ' निखिल बोला।

" होगा कहीं भी मुझे क्या और मैं क्या करूं?" मनु बोली।

" अरे मतलब मतलब अक्षत का दोस्त है इस वजह से मैं तुमसे कह दिया। बाकी किसी और से तो उसकी ज्यादा बनती नहीं है। अक्षत और इशान आए नहीं है तो मेरे ख्याल से हमें चलकर देखना चाहिए कि आखिर कहाँ है।तुम्हें अगर अकेले चलने में कंफर्टेबल नहीं है तो मैं चल ही रहा हूँ। वेटर बोल रहा था कि वही एक रूम में है तो एक बार देख ले कि तबियत तो ठीक है न उसकी।"नील बोला।

मनु ने उसकी तरफ देखा।

" दोस्त है हमारा और अगर पार्टी छोड़ के रूम में है तो जरूर कोई बात होगी। ठीक हुआ तो इट्स ओके वरना हम दोनों मिलकर घर ड्रॉप कर देते हैं या किसी डॉक्टर के पास लेकर चलते हैं।" निखिल बोला।

मनु कुछ देर सोचती रही और फिर उठ खड़ी हुई।

"अच्छा चलो...!" मानसी बोली और निखिल के साथ चल दी।

निखिल ने और दो-चार दोस्तों लड़के और लड़कियों को भी बुला लिया नील को ढूँढने के बहाने से।

"इसी रुम में नील आया है ना..? क्या हुआ उसकी तबीयत ठीक नही थी क्या??" निखिल ने वेटर से पूछा।

" तबीयत तो मुझे ठीक ही लग रही थी वह खुद ही चल कर आए थे, और मुझसे कहा कि अगर रूम हो कोई तो दे दो। बाकी मैंने कहा कि क्यों चाहिए तो बोले की तबीयत ठीक नहीं है और कोई अंदर न आये। मुझे पैसे भी दिये वेटर नजर झुका के बोला।

रिया ने आँखे छोटी कर देखा।

उन्होंने मना किया था किसी को बताने को पर मैंने आपको बताना जरूरी समझा...! वो कॉलेज की पार्टी है और उसमे ये सब करना...!! हो सकता है मुझे समझने में कुछ भूल हो गई हो पर वाकई में उनकी तबीयत ठीक है और...?" वेटर ने कहा।

" और...?" मनु बोली।

" छोड़ो न उसे...! हम देख लेते है..!" निखिल बोला और आगे बढ़ गया।

" जाने दो न निखिल...!! हो सकता है थकान हो गई हो इसलिए रेस्ट करने आ गया हो या कोई ऑफिशियल मीटिंग हो। तुम जाकर देख लो मैं चलती हूं।" मनु बोली और जाने लगी।

"अरे जब यहां तक आई हो तो एक बार देख लेते हैं ना क्या पता वाकई में कोई प्रोबलम हो। और यह वेटर कौन सा होशियार है जो इसे समझ में आएगा कुछ।" निखिल बोला तो बाकी दोस्त भी बोलने लगे।

"हां एक बार चल कर देख लेते हैं आखिर पार्टी छोड़ रूम में क्या कर रहा है। सब ठीक होगा तो हम वापस से पार्टी में चले चलेंगे।" निखिल के दोस्त बोले जो कि निखिल के साथ ही मिले हुए थे और आगे बढ़ गए।

मनु का दिल न जाने क्यों अंदर जाने के लिए नहीं हो रहा था। एक अजीब सी घबराहट उसे महसूस हो रही थी। क्यों हो रही थी यह वह नहीं जानती थी पर निखिल के कहने पर बाकी दोस्तों के साथ वह भी रूम की तरफ बढ़ गई और उन लोगों ने जैसे ही दरवाजा खोल सब की आंखें फटी की फटी रह गई तो वही मनु की आंखों में आंसू भर आये।

"यह लो हम तो सोच रहे थे कि यह बीमार है या ऑफिसियल वर्क कर रहा है पर यह तो यहां इंजॉय कर रहा हैं अपनी गर्लफ्रेंड के साथ टाइम स्पेंड कर रहा है।" निखिल ने शरारती मुस्कान के साथ कहा तो बाकी सब लोग भी हंसने लगे।

" ये नही सुधर सकते...!! शादी तक का इंतजार नही हुआ।" निखिल बोला।

मनु ने नजर उठाकर वापस देखा।

बेड पर रिया और नील और बेहद आपत्तिजनक हालत में थे शरीर पर कपड़े लगभग ना के बराबर थे। रिया ने खुद को एक चद्दर से लपेट कर रखा था जबकि नील का आधा शरीर खुला ही दिख रहा था।

मनु तुरंत पलट कर खड़ी हो गई और जैसे तैसे खुद के आंसुओं को समेटने लगी।

वहां खड़े निखिल के दोस्त सीढ़ियां बजाने लगे और हूटिंग करने लगे तो कुछ उन लोगों का वीडियो बनाने लगे और फोटो खींचने लगे।

आहट सुनकर रिया तुरंत उठ खड़ी हुई और जल्दी से अपने कपड़े समेटकर बाथरूम में चली गई तो वही नील अभी वैसे ही सो रहा था।

मनु ने एक बार पलट कर देखा कि रिया वहां नहीं है पर नील सो रहा है

" कितना बेशर्म और बेगैरत है। इतना शोर हो रहा है फिर भी सो जा रहा है एक तो हरकतें ऐसी करता है उस पर से...!!" मनु दुखी हो खुद से बोली।

आज जो एक हल्की सी उम्मीद मनु के दिल में नील और खुद के लिए थी वो भी खत्म हो गई।

मनु ने खुद के दर्द को दिल में दबाया और जैसे ही पलट कर देखा सामने अक्षत खड़ा।

न जाने क्यों पर इस समय मनु अपनी भावना नहीं छुपा पाई और एकदम से अक्षत के गले लग कर जोर से रो पड़ी।

"क्या हुआ? " अक्षत ने उसके सिर पर हाथ रखकर कहा तो मनु कोई जवाब नहीं दिया।।

"कुछ नहीं मैं गाड़ी में वेट करती हूं तुम्हारा..!! तुम आ जाओ। प्लीज मुझे घर जाना है।" मनु बोली और जाने लगी पर अक्षत ने उसका हाथ पकड़ लिया।

"पर हुआ क्या है?" अक्षत ने कहा तो मनु ने धीमे से उस दरवाजे की तरफ देखा।

अक्षत ने मनु का हाथ थामा और उसे कमरे की तरह बढ़ गया।

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव