साथिया - 66 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 66

"बेटा दूसरे के घर में रह रही हो और उसके बाद यह एटीट्यूड...! हम भी देखते हैं कौन करता है तुमसे शादी?? कोई ढंग के परिवार का लड़का तो तुमसे शादी करेगा नहीं...!! मिसेज दीवान बोली ।

"नहीं करेगा तो मैं यहीं रह लूंगी इनकी बेटी बनकर। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है और ना ही इन लोगों को फर्क पड़ेगा मेरे यहां रहने से पर आपके जैसे घटिया सोच वालों के यहां शादी करके जाने से तो अच्छा है कि मैं जिंदगी भर कुंवारी रहूं...!" मनु ने दोनों हाथ जोड़कर कहा।

" और हां मिसेज दिवान ..! आप हमारे घर आई थीं मेहमान थी इसलिए आपकी बेइज्जती नही की वरना हमारी बेटी के बारे मे कोई गलत बात बोल तो हम उसे समझा देते इस तरीके से कि वो दोबारा कुछ भी बोलने से पहले सौ बार सोचे।" साधना बोली।

" और मुझे खुशी है कि आपका ये चेहरा अभि सामने आ गया और हमारी बच्ची की जिन्दगी बच गई। आइंदा कोशिश कीजिएगा कि मेरे सामने आप लोग न आए कभी वरना लिहाज अब मैं भी नहीं रख पाऊंगा।" अरविन्द ने हाथ जोड़कर कहा।।

मिस्टर एंड मिसेज दीवान संजना का हाथ पकड़ कर बाहर निकल गए।

जाते-जाते आरव ने उन लोगों को देखा और उनके आगे हाथ जोड़ लिए।।

" माफी चाहूंगा मम्मी पापा के व्यवहार के लिऐ पर मुझे सच में नहीं पता था कि वह इस तरीके का व्यवहार करेंगे या उनकी सोच ऐसी होगी। जानता हूं कि मेरी माफी मांगने से कुछ भी सही नहीं हो जाएगा पर फिर भी हो सके तो मुझे माफ कर दीजिएगा !" आरव ने कहा और फिर वह भी चला गया।


उनके जाते ही सब लोगों के चेहरे पर तनाव आ गया।

ईशान ने तुरंत टेबल पर रखी मिठाई की प्लेट उठाई और मिठाई मनु के सामने कर दी।


" सच्ची चुड़ैल आज तो तूने सच में चुड़ैल वाला रूप दिखाकर उस डायन को यहां से बाहर का रास्ता दिखा दिया...! बाय गॉड बड़ा ही दिल खुश कर दिया आज तो तूने। इसी बात पर मुंह मीठा किया जाए।" ईशान ने एक मिठाई का पीस लेकर मनु मुंह में ठूंस दिया।

बाकी सब लोगों ने नाराजगी से उसकी तरफ देखा।


"नाराज क्यों हो रहे हो आप लोग..? आप को तो खुश होना चाहिए ऐसे घटिया लोगों के घर जाने से हमारी मानसी बच गई। वह आज इसे उल्टा सीधा बोलकर बेइज्जत कर रहे है उस घर में क्या खाक इज्जत करते।।

आज वह आए थे रिश्ते का सौदा करने अगर वह शादी के लिए तैयार भी हो जाते तो अलग डिमांड करते। इसकी प्रॉपर्टी पर उन लोगों की नजर होती। इसको मेंटली और फिजिकली टॉर्चर करते और फिर आप लोगों को और हम सबको ही तकलीफ होती क्योंकि हम मानसी को तकलीफ में नहीं देख सकते। इसलिए अच्छा ही हुआ ना आज थोड़ी सी तकलीफ हुई रिश्ता टूटने की पर बहुत बड़ी तकलीफ से तो बच गए ना हम।" ईशान बोला।

" इशू बिल्कुल ठीक कह रहा है, ऐसे लोगों के घर बेटी का ब्याह करने से तो अच्छा है उसे जिंदगी भर अपने घर पर रखें क्योंकि रिश्ते के खत्म होने की तकलीफ रिश्ते के ना जुड़ने से ज्यादा होती है।" अक्षत ने कहा तो सब लोगों ने उसकी तरफ देखा।


"वह मेरी मनु के लायक ही नहीं थे..!! ऐसी कंटाला औरत तो मैंने अपने जिंदगी में नहीं देखी। भगवान का लाख-लाख शुक्र है तो जो उनकी असलियत अभी दिख गई वरना बाद में क्या होता..!!' साधना ने कहा।

"वह सब ठीक है पर यह बताओ यह तुम सबको आजकल क्या कहते फिर रहे हो कि तुम शादीशुदा हो..?? तुम्हारी और सांझ शादी हो चुकी है।" अरविंद ने जैसे ही कहा अक्षत के चेहरे पर तनाव आ गया।

"तुम सांझ की यादों में डूबे रहते हो..!! दिन रात उससे बातें करते हो। कमरे में रहते हो हम लोग कुछ भी नहीं कहते। तुम्हें पूरा टाइम दे रहे हैं ताकि तुम नॉर्मल हो सको। उबर सको इन सब से पर इसका मतलब यह तो नहीं है बेटा कि तुम अब बाहर वालों को यह बोलने लगे कि तुम शादीशुदा हो। हम इस उम्मीद में है कि आज नहीं तो कल तुम फिर से नॉर्मल होगे और जिंदगी में आगे बढ़ोगे। पर इस तरीके से कैसे चलेगा ..?" साधना बोली।

"पर मैंने कुछ भी झूठ नहीं कहा है मम्मी...!!"अक्षत ने कहा तो साधना की आंखें बड़ी हो गई।

" पर यह झूठ ही तो है। तुम्हारी और सांझ की शादी कब हुई बेटा..?? फिर क्यों सबको से कह रहे हो कि तुम दोनों की शादी हो चुकी है।" साधना ने कहा तो अक्षत ने वही हॉल में जो ड्रार था वह खोला और उसमें से अपना बैग निकाल कर मैरिज सर्टिफिकेट उनके सामने रख दिया।

"यह क्या है? " अरविंद बोले।


"मेरी और सांझ की शादी का मैरिज सर्टिफिकेट..!! मेरे ट्रेनिंग पर जाने से पहले ही मैंने सांझ के साथ कोर्ट मैरिज कर ली थी। इस बारे में किसी को कुछ भी नहीं पता है। बाकी पारंपरिक रूप से शादी करने का डिसीजन हम लोगों ने मेरी ट्रेनिंग से लौटने के बाद का लिया था। मुझे जाना था पर न जाने क्यों मेरा दिल बेचैन हो रहा था इसलिए मेरी जिद के कारण ही साँझ ने भी हां कर दी और हम लोगों ने कोर्ट मैरिज कर ली थी। इसलिए जो कुछ भी मैं कहता हूं उसमें से एक शब्द भी गलत नहीं है और ना ही झूठ है।" अक्षत ने कहा और अपने कमरे में चला गया।

वह लोग बड़ी-बड़ी आंखों से उस सर्टिफिकेट को देख रहे थे जो कि इस बात का सबूत था कि अक्षत और सांस शादीशुदा है कानूनन पति-पत्नी भी।



उधर नील से बात करने के बाद रिया ने फोन को सोफे पर पटक दिया और आंख बंद करके बैठ गई।

"नहीं नहीं नील इतनी आसानी से तुम्हे नही छोड़ सकती और न ही मैं हार नहीं मान सकतीं हूँ। तुम्हें ऐसे जाने नही दे सकती हूं। तुम मेरा पहला प्यार थे पर अब तो मेरी जिद बन चुके हो। मेरा जुनून बन चुके हो और मैं उस मानसी को इतनी आसानी से जितने नहीं दूंगी। हमारा रिश्ता आगे चलेगा या नहीं चलेगा यह बाद में देखा जाएगा पर तुम्हारी शादी सिर्फ और सिर्फ मुझसे होगी और इसके लिए मुझे जो करना होगा वह मैं करूंगी। और अब मैं देखती हूं कि तुम कैसे पीछे हटते हो..?" रिया ने खुद से ही कहा कि तभी उसका फोन बज उठा।

फोन पर निखिल का नाम नाम देखकर रिया ने तुरंत फोन पिक कर लिया।

"इंडिया आ गई और मुझसे मिली भी नहीं...??" निखिल बोला।

"क्यों तुम कहीं की राजकुमार हो जो तुमसे मिलने के लिए दौड़ी चली आऊँ..?" रिया नाराजगी से बोली।

"क्या बात है इतनी नाराजगी क्यों है? जरूर तुम्हारे सो कॉल्ड बॉयफ्रेंड ने फिर से मूड ऑफ कर दिया तुम्हारा ..?" निखिल ने हंसकर कहा।

" हां यार बहुत ही आडियल है पर वह नहीं जानता कि उसका पाला भी किस से पड़ा है।" रिया बोली।


"क्या हुआ बताओ मुझे...?? क्या प्रॉब्लम है? हम दोस्त हैं। मैं तुम्हारी पूरी मदद करूंगा।" निखिल बोला तो रिया ने उसे सारी बात बता दी।



"तुम अगर चाहती हो कि उसकी शादी तुम्हारे साथ हो तो तुम्हारे साथ ही होगी।" निखिल बोला।

"शादी गई भाड़ में और प्यार गया तेल लेने...!!मुझे बस अब उसे अपने पैरों में झुकाना है और मैं झुका कर रहूंगी। मैं यह साबित करके रहूंगी कि उसे मेरे हिसाब से चलना ही होगा। वह चाहे कितनी भी बातें कर ले चाहे कितनी भी प्लानिंग कर ले चाहे कितना भी मुझसे दूर भाग ले पर मुझसे दूर नहीं रह सकता। भले शादी करके मैं एक महीने बाद ही उससे तलाक ले लूं पर अब उसे शादी तो मुझे ही करनी होगी। मैं भी देखती हूं कि उसकी और मानसी की लव स्टोरी कैसे पूरी होती है ..?" रिया गुस्से से बोली।

" अरे इतना सोचने की जरूरत नहीं है। अगले हफ्ते हमारा रियूनियन है ना तो बस आओ उसकी तैयारी करो और क्या पता तुम्हारा भी कुछ काम बन जाए। तुम मेरी मदद करो मैं तुम्हारी मदद करूंगा।" निखिल बोला।

"ठीक है आती हूँ कल तुमसे मिलने और फिर बताना कि क्या सोचा है तुमने..?" रिया ने कहा और कॉल कट कर दिया।


"जरूरत पड़ती है तो गधे को भी बाप बनाना पड़ता है। अब मुझे लगता है कि यह निखिल ही मेरी मदद करेगा। और अगर इस नील और मानसी को अलग करने के लिए और उन्हें हराने के लिए मुझे निखिल की हेल्प भी लेनी पड़ी तो मैं पीछे नहीं हटूंगी। मुझे जीतना ही है किसी भी हाल में।" रिया ने अपने मुट्ठियों को भींचते हुए कहा और फिर आंखें बंद कर ली। कानों में वापस से नील के कहे शब्द गूंज उठे जो रिया के दिलों दिमाग में और भी ज्यादा गुस्सा भर रहे थे।


अगले दिन रिया निखिल से मिलने पहुंच गई।

"आओ आओ तुम्हारा ही इंतजार कर रहा था। यह देखो सारी गेस्ट लिस्ट बना ली है। सारे स्टूडेंट और एक्स स्टूडेंट्स की लिस्ट भी रेडी है। एक नजर तो डालो।" निखिल ने रिया को लिस्ट देते हुए कहा।

"हां देख लिया मैंने तो क्या हुआ? इस लिस्ट से मेरा क्या लेना है?" रिया बोली।


"क्यों नहीं लेना देना है...? यहां पर नील भी आएगा और मानसी भी आएगी और क्या पता कुछ ऐसा हो जाए कि नील और तुम हमेशा हमेशा के लिए एक हो जाओ और मानसी जिस तरीके से पहले तुम लोगों की जिंदगी से दूर चली गई थी इस बार भी दूर चली जाए।" निखिल ने शरारती मुस्कुराहट के साथ कहा तो रिया के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गई।

और फिर दोनों बैठकर रियूनियन की प्लानिंग के साथ-साथ अपनी पर्सनल प्लानिंग भी करने लगे गए।

कुछ देर बाद रिया चली गई और फिर निखिल अपने साथियों के साथ मिलकर सबको इन्विटेशन देने और बाकी के कामों में भी लग गया।


"तो तुम लोग आ रहे हो न रियुनियन पार्टी में ? " डिनर के समय मनु ने अक्षत और ईशान से पूछा।


" मेरा तो एक बिजनेस ट्रिप है उसी दिन तो मैं मुंबई जा रहा हूँ।" ईशान बोला।

" तुम आओगे? "मनु ने अक्षत से पूछा।


" अगर फ्री हुआ तो जरूर आऊंगा..!" अक्षत बोला।

" मैं तो जाने वाली हूँ। मेरी बहुत सी फ्रेंड्स आ रही है। इस बहाने मिल लुंगी फिर कहाँ मिलना होगा।" रिया बोली।

" अच्छा है..!" अक्षत ने कहा और फिर सब डिनर कर अपने कमरे में चले गए।

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव