maya ek ansuljhi kahani books and stories free download online pdf in Hindi

माया एक अनसुलझी कहानी

एक बेहद ही खूबसूरत लड़की की एक रहस्यमई कहानी जिसे पढ़कर आप सोचने पर मजबूर हो जायेंगें।
रॉकी ने एक ही झटके में माया को अपने ऊपर लेटा लिया और उसके होठों पर किस करते हुए बोला ,"मैं मोनिका के हाथ का लाल धागा खोल दूंगा और फिर तुम उसके शरीर में रह सकती हो? ओके छोटी सी गुड़िया।"
माया रॉकी के सीने से लग गई और अपनी आंखें बंद करते हुए बोली ,"जैसा तुम्हें ठीक लगे वैसे ही कर लेना।"
रॉकी प्यार से उसके सर को सहलाने लगा और धीरे से बोला ,"तुम्हें मालूम है माया अब तुम ना मेरी जिंदगी का एक सबसे कीमती हिस्सा बन गई हो। कभी कभी तो मुझे लगता है की मैं सच में तुम्हारे बगैर मर ही जाऊंगा। मेरी जिंदगी हो माया तुम।"
माया धीरे से बोली ,"राजपूत साहब आप भी मेरी जिंदगी हो। मुझे भी लगता है की मैं भी एक पल भी तुम्हारे बगैर नहीं रह सकती हूं।"
रॉकी अचानक से माया के उपर आ गया और अपनी शर्ट के बटन खोलते हुए बोला ,"अच्छा मुझे भी थोड़ा बहुत ये काला जादू सीखा दो। क्या पता मेरे भी काम ही आ जाए?"
माया हंसते हुए बोली ,"बीस साल लग गए मुझे काला जादू सीखने में। वैसे भी तुम्हें काला जादू सीखने की क्या जरूरत है मैं हूं ना तुम्हारे साथ में , तुम्हारी छोटी सी गुड़िया।"
ये सुनकर रॉकी की हंसी निकल गई और वो माया के ऊपर आते हुए बोला ,"चलो अब थोड़ा सा रोमांस हो जाए?"
माया अपनी आंखें बंद करते हुए बोली ,"मैं इतनी अच्छी लगती हूं तुम्हें?"
रॉकी उसके होठों को पागलों की तरह चूमने लग गया और लंबी लंबी सांसे भरते हुए बोला ,"बहुत अच्छी लगती हो मुझे। जान से भी ज्यादा प्यारी हो तुम मेरे लिए। मर जाऊंगा मैं तुम्हारे बगैर। समझ में आया।"
इतना कहकर रॉकी माया के कपड़े उतारने लग गया।
थोड़ी ही देर बाद में वे दोनों एक दूसरे के साथ में बिना कपड़ों के थे।
रॉकी ने माया की दोनों टांगों को फैला दिया और उसके शरीर में एंटर कर गया जिसके कारण माया की हल्की सी चीख निकल गई।
इसके बाद में माया ने अपनी आंखें बंद कर ली और उसके होठों पर एक हल्की सी मुस्कुराहट सा गई।
रॉकी माया के गले से लग गया और अपनी रफ़्तार बढ़ा दी।
लगभग दो घंटो के बाद में वे दोनों एक दूसरे से अलग हुए और वैसे ही एक दूसरे के ऊपर सो गए।

इधर हवेली के अंदर मेघा अभी भी बेड पर बेहोश लेटी पड़ी थी।
इतने में अघोरी वहां पहुंच गया और उसे देखते ही सबने चैन की सांस ली।
अघोरी ने अपने थैले में से कुछ राख निकाली और मेघा के सर पर मसलते हुए बोला ,"ये वही है और अपना बदला लेने के लिए आई है? जिस बुरी बला को नींबू मिर्ची में कैद करके हमने फेंका था। इस लड़की ने उसी नींबू मिर्च को छू लिया था।"
इतना कहकर अघोरी ने एक नींबू मिर्च निकाली और मेघा के सर के ऊपर से कुछ मंत्रों का जाप करते हुए घुमाने लगा।
इतने में सुरेश हंसते हुए बोला ,"कमाल है शहरों में बीमार होने पर डॉक्टरों को बुलाते हैं और जहां पर अघोरी बाबा को बुलाया जाता है। ये सब पाखंड है। मैं इन्हें नहीं मानता हूं।"
इतने में खूंखार सिंह ने गुस्से से अपनी आंखें उन्हें दिखाते हुए चुप रहने के लिए कहा तो वे दोनों चुप हो गए और अपने कमरे से बाहर निकल गए।

अघोरी ने वो नींबू मिर्च खूंखार सिंह के हाथों में थमा दिया और आंखों से उसे कुछ इशारा किया।
ये देखकर खूंखार सिंह वहां से चला गया और उसके पीछे पीछे नानी और बाकी सभी भी वहां से चले गए।
अघोरी भी उठकर वहां से चला गया और जाते हुए मेघना के सर पर हाथ रखते हुए बोला ,"फिक्र मत करो। तुम्हारी बची को कुछ भी नहीं होगा. ये अब पूरी तरह से ठीक है। इसलिए फिक्र करने की कोई जरूरत नहीं है। इसे जल्द ही होश आ जायेगा। इसलिए बिल्कुल भी फिक्र मत करो।"
इतना कहकर अघोरी वहां से निकल गया।
मेघना ने अब एक चैन की सांस ली और मेघा के पास में बेड पर प्लाथी मारकर बैठ गई और प्यार से उसके सर को सहलाने लग गई।
इतने में धीरे धीरे मेघा को होश आने लग गया और वो धीमी सी सहमी सी आवाज़ में बोली ,"मैं... मैं कहां हूं?"
मेघना उसके सर पर किस करते हुए बोली ,"गुडिया अभी तुम अपने कमरे में हो। अपनी मां के पास में। तुम बेहोश हो गई थी तब हम तुम्हें उठाकर जहां ले आए। अच्छा अब बताओ की तुम्हें हुआ क्या है?"
मेघा अचानक से बेड पर बैठते हुए बोली ,"हुआ क्या है नहीं हुआ क्या था ये पूछिए मम्मा।"
मेघना हल्की सी मुस्कुराहट में बोली ,"अरे ! हां वही की क्या हुआ था? यही पूछ रही हूं।"
मेघा डरते हुए बोली ,"मम्मा मैं जैसे ही थर्ड फ्लोर पर आई थी तभी मुझे अंधेरे में एक कोने के अंदर कोई खड़ा हुआ नज़र आया था। कोई लड़की थी जिसके बाल खुले हुए थे। मैं उसे देखकर बुरी तरह डर गई थी। वो मुझे ही बुला रही थी। पता नहीं उसे मेरा नाम कैसे मालूम था?"
मेघना भी मेघा की ये बात सुनकर थोड़ा सा घबरा गई और उसके सर को सहलाते हुए बोली ,,"अच्छा गुडिया फिर क्या हुआ था?"
मेघा डरते हुए बोली ,"होना क्या था मां? जब मैं उस लड़की के पास में गई तो उसका चेहरा देखकर तो मेरी चीख निकल गई। मैं फर्श पर गिर गई थी और उसके बाद में तो मुझे कुछ भी याद नहीं है।"
मेघना धीरे से बोली ,"अच्छा कितना के डरावना चेहरा था उसका?"
मेघा बड़ी बड़ी आंखें दिखाते हुए बोली ,"मम्मा वो तो कोई डायन थी जैसी की हमने फिल्मों में देखी थी। मुंह पर बहुत सारा खून लगा हुआ था, बड़े बड़े खुले बाल थे, गर्दन एक और टेढ़ी की हुई थी, बड़े बड़े नाखून थे जहां खून लगा हुआ ........।"
मेघना बीच में ही बोल पड़ी ,"गुडिया तुम तो मुझे डरा रही हो। अच्छा अब छोड़ो इसे। रात भी हो चुकी है। मैं डिनर लेकर आती हूं फिर तुम डिनर करके सो जाना। ओके। अब रेस्ट करो। मैं अभी गई और अभी आ जाऊंगी। ओके बचा।"
इतना कहकर मेघना वहां से चली गई।
मेघना के वहां से जाते ही खूंखार सिंह की पत्नी सुनंदा वहां पर आ गई और वो मेघा के पास में बैठ गई और उसके सर को सहलाते हुए बोली ,"क्या हुआ हमारी बच्ची को? अब तुम ठीक तो हो ना?"
मेघा हंसते हुए बोली ,"मैं बिल्कुल ठीक हूं मौसी जी। भला आपकी इतनी स्ट्रॉन्ग गुडिया को भला कुछ हो सकता है क्या?"
सुनंदा ने प्यार से मेघा के सर पर किस किया और बोली ,"अच्छा अभी रेस्ट करो।"
इतना कहकर सुनंदा वहां से चली गई।
नीचे खूंखार सिंह नींबू मिर्ची पकड़ कर खड़ा था और उसके सामने अघोरी खड़ा था।
अघोरी कुछ जोर से बोला ,"अबकी बार पहले जैसी गलती नहीं होनी चाहिए। इस नींबू मिर्च को शहर से बाहर बहुत दूर फेंककर आना जहां किसी का कदम भी पढ़ न पाए। अब जाओ वो भी जल्दी से। कहीं ऐसा न हो की देर हो जाए।"
इतने में एक और से नानी वहां पर आई और उसने आते ही खूंखार सिंह के कान में कुछ कहा जिसे सुनकर खूंखार सिंह के हाथों से नींबू मिर्च जमीन पर जा गिरे और उसकी आंखें डर के कारण बड़ी हो गई।।

सतनाम वाहेगुरु।।








अन्य रसप्रद विकल्प

शेयर करे

NEW REALESED