साथिया - 64 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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साथिया - 64

" माही क्या हुआ?? कोई सपना देखा क्या??" शालू ने आकर उसे गले लगा लिया।

" हां शालू दी ..!! फिर से वहीं सपना.!! ओर ये जज साहब कौन है दी..?" माही बोली तो दरवाज़े पर खड़े अबीर और मालिनी ने एक दूजे को देखा ओर शालु ओर माही के पास आ गए।

"क्या हुआ माही बेटा?" इतना क्यों घबरा रही हो?" मालिनी ने उसके पास बैठकर कहा तो माही उनके सीने से लग गई।

अबीर भी उसके दूसरी साइड बैठ गए और उसके सिर पर हाथ फिराया।

" घबराने की जरूरत नहीं है माही बेटा कोई भी तुम्हारा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता। कोई तुम्हे नुकसान नहीं पहुंचा सकता। तुम अकेली नहीं हो तुम्हारे मम्मी पापा और दीदी तुम्हारे साथ है " अबीर ने कहा।

माही ने अबीर के कंधे से सिर टिका लिया।

" पापा पता नहीं क्यों बार-बार मुझे यह सपना आता है...?? बहुत सारी चीज धुंधली सी दिखाई देती है। क्या हुआ था मुझे कुछ याद क्यों नहीं आता है पापा?? कब मुझे सब कुछ याद आयेगा ..?" माही ने कहा।

" बहुत जल्द सब कुछ याद आ जाएगा..!! थोड़ा सा पेसेंस रखना पड़ेगा ना। थेरेपी चल रही है ना तुम्हारी धीरे-धीरे सब ठीक हो जाएगा।" अबीर बोला।

"पर पापा मुझे हुआ क्या था?
ऐसा क्यों हो रहा है मेरे साथ ...?" माही ने कहा।

"मैंने बताया था ना तुमको। तुम्हारा बहुत बड़ा एक्सीडेंट हुआ था बेटा और उसी का यह नतीजा है।

धीरे-धीरे सब ठीक हो रही हो। तुम्हारे डॉक्टर ने भी कहा था ना कि तुम ठीक हो रही हो। बहुत जल्द तुम पूरी तरीके से ठीक हो जाओगी बेटा।" अबीर ने उसके सर को हौले से थपक कर कहा।

" मुझे सब याद आ जायेगा पापा..?" माही बोली।
" जरूरत ही क्या है कुछ याद करने की..? याद आए तो ठीक वरना हम नई यादें बनायेगे। और इतना तो तुम जानती ही हो न कि तुम हमारी बेटी हो शालू की बहिन..! बस बाकी जब याद आयेगा तब ठीक है।" अबीर बोले।।

"मुझे बहुत डर लगता है पापा...!! बहुत ज्यादा डर लगता है। एसा लगता है कोई उस लडकी को मार रहा है। बहुत मार रहा है। उसके सिर को दीवार पर मार रहा है और फिर खून ही खून ..! और पता नहीं क्या क्या दिखता है पर बहुत डर लगता है पापा! कौन है वो लडकी पापा जो मुझे दिखाई देती है?" माही अभी भी परेशान थी।

" जब तुम्हारे पापा तुम्हारे साथ है तो डरने की जरूरत नहीं है..! न हीं कोई इंसान और न ही दुनिया की कोई भी ताकत अब मेरी बेटी को कोई भी नुकसान नहीं पहुंचा सकती है । जो हो चुका उसे मैं बदल नहीं सकता बेटा पर आगे क्या होना है और कैसे होना है वह सब कुछ मैं डिसाइड करुंगा। और ऐसा कुछ भी नहीं होने दूंगा जो मेरी दोनों बच्चियों को किसी भी तरीके की तकलीफ दे।" अबीर ने शालू का हाथ थाम कर उसे भी अपने करीब करते हुए कहा ।

मालिनी ने माहि को दबाई दी और अबीर उसे धीमे धीमे समझाते रहे।

थोड़ी देर में माही वापस से बिस्तर पर लेट गई।

अबीर और मालिनी उसके सिर को धीरे-धीरे थपकते रहे तो थोड़ी देर में वह सो गई।

उसके सोने के बाद अबीर ने शालू की तरफ देखा।

"मुझे लगता है कि अब माही को सब कुछ याद आने लगा है पापा और जैसे ही इसे याद आ जाएगा यह इंडिया जाने की जिद करेगी।" शालू ने कहा।

" हां और इंडिया तो हमें जाना ही है.. पर माही के ठीक होने के बाद। जो चीजें वहां छूट गई है उन्हें वापस से अपनी जिंदगी में शामिल करना ही होगा।" अबीर बोले।

" पर क्या अब सब कुछ नॉर्मल हो पाएगा पापा? दो साल का समय बहुत लंबा होता है।" शालू बोली ।

" तुम्हे अपने पापा पर विश्वास नहीं है क्या? सब कुछ सही हो जाएगा। विश्वास रखो अगर माही मेरी बेटी है तो तुम भी हो। और माही को न्याय और तुम्हे तुम्हरे हिस्से की खुशियां जरूर मिलेंगी।" अबीर ने कहा और फिर वो लोग कमरे में चले गए।

शालू ने एक नजर सोई हुई माही को देखा और फिर उसके सिर पर हाथ रखा।

" तुमसे बढ़कर कुछ भी नही मेरे लिए।" शालु बोली वापस से अपने स्टडी टेबल पर बैठकर लैटर लिखने लगी

" डियर ईशु...!!
जानती हुं कि नाराजगी और भी ज्यादा बढ गई होगी और तुम्हारी नाराजगी जायज है। मुझे मंजूर है। उम्मीद है कि माही के ठीक होने पर हम इंडिया वापस आए और तुम्हारी और मेरी लाइफ नार्मल हो पर अभी न मैं खुद कोई सपना देखना चाहती हुं और न तुमको कोई झूठी उम्मीद देकर फिर नाउम्मीद करना चाहती हू। ये लेटर भी बस लिखती हूं पर पोस्ट नही करती क्योंकी आगे क्या होगा नही जानती

जानती हुं तुम्हारे साथ नाइंसाफी कर दी पर मेरी मौत से जूझती घायल बहिन को उस वक्त मेरी जरुरत थी और मैने अपने प्यार की जगह अपनी बहिन के लिए फर्ज को चुना।
तुम्हे बता भी नही सकती थीं कुछ क्योंकी चीजे इतनी ज्यादा उलझी है की समझाना मुश्किल है। खैर अगर किस्मत में मिलना हुआ तो मिलेंगे जरूर.. और कोशिश करुंगी तुम्हे समझाने की इस उम्मीद से कि तुम अपनी शालु को समझोगे।

विथ लव..!!
ओनली योर्स

शालु

उधर नील घर आया और रिया को कॉल किया ।

" हैलो डियर तुम्हारे ही कॉल का वेट कर रही थी।" रिया चहकते हुए बोली।

"तुमसे मिलना था रिया बताओ कब मिल सकती हो?" नील ने बिना किसी लाग लपेट के सीधे-सीधे बात की।

" अरे तो तुमसे मिलने के लिए मैं तो कब से बेचैन हूं ..!! बस तुम बोलो तो सही कब मिल सकते हैं। कहो तो आज शाम को ही में मम्मी पापा को लेकर डिनर पर आ जाती हूं तुम्हारे घर पर। तुम्हारा भी मिलना हो जाएगा और आगे की बात भी हो जाएगी।" रिया ने कहा।

" आगे की बात कैसी आगे की बात?" नील बोला।

" अरे हमारी शादी की बात..!! तुम्हें तो पता है कब से मेरा एक ही सपना है तुमसे शादी करना। बीच में फॉरेन चली गई थी हायर स्टडीज के लिए पर अब वापस आ गई हूं तो अब तो हम रिश्ते की बात कर ही सकते हैं ना? इन फैक्ट मेरे पापा ने तो तुम्हारे पापा से पहले ही बात कर ली थी कि मेरे वापस आते से ही हम दोनों की शादी करवा दी जाएगी।" रिया बोली।

" प्लीज रिया समझने की कोशिश करो। अब तुम बच्ची नहीं हो। मैच्योर हो समझदार हो। इस तरीके से शादी होती है। शेफिम और ना ही इस तरीके से रिश्ते किए जाते हैं। एक दूसरे के लिए दिल में फीलिंग होना चाहिए। प्यार और फीलिंग्स न हो तो रिश्ते नहीं चलते हैं।" नील ने कहा।

"अरेंज मैरिज नाम की भी कोई चीज होती है... नील। अगर तुम मानते हो कि तुम्हारे दिल में मेरे लिए फीलिंग नहीं है तो यह समझ लो की अरेंज मैरिज की तरह मैरिज कर लेते हैं। धीमे-धीमे फीलिंग आ ही जाएगी।" रिया ने बेशर्मी से कहा।

"अरेंज मैरिज भी होती है पर यह जानते हुए की सामने वाले के साथ आप कभी भी खुश नहीं रह पाओगे। सामने वाले के साथ आपकी कभी भी बॉन्डिंग अंडरस्टैंडिंग नहीं बन पाएगी। तब तो कोई अरेंज मैरिज भी नहीं करेगा ना..?? अरेंज मैरिज में लोग एक दूसरे को जानते नहीं है इसलिए धीमे-धीमे एडजस्ट कर जाते हैं। पर मैं तो यहां तुम्हें बहुत अच्छे से जानता हूं और यह बहुत अच्छे तरीके से समझता हूं कि तुम्हारे साथ मेरी बिल्कुल भी नहीं चल पाएगी। और जो रिश्ता कुछ महीनो बाद खत्म हो बेहतर होगा कि उसे अभी खत्म कर दिया जाए" नील ने कहा।

इसका मतलब तुम्हें यही बात करने के लिए मिलना था मुझसे ?" रिया नाराज हो उठी।

" हां रिया मुझे तुमसे यही बात करने के लिए मिलना था। मैं तुमसे यही बात क्लियर करना चाहता हूं कि मैं तुमसे नहीं प्यार करता हूं और ना ही शादी करना चाहता हूं। तुम भी बेवजह की जिद छोड़ दो प्लीज और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ो।" नील ने कहा।

" ये तुम्हारा आखिरी फैसला है??" उसकी बात से रिया को गुस्सा आ गया था।

" हां यह मेरा आखिरी फैसला है और मैं अपना फैसला अपने पापा को बता भी चुका हूं। हो सकता है उन्होंने तुम्हारे पेरेंट्स से बात कर ली हो। नहीं की होगी तो अब वह करने ही वाले होंगे।

मैं अपनी तरफ से बिल्कुल क्लियर हूं और मैंने अपने पेरेंट्स को भी क्लियर कर दिया है। इस बार ना ही कोई डाउट होगा और ना ही किसी भी तरह के मिसअंडरस्टैंडिंग।" नील ने कहा।

" नील तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते..!! तुम जानते हो मैं तुम्हें कब से चाहती हूं। कितना प्यार करती हूं तुम्हें। तुम इस तरीके से नहीं कर सकते हो नील मेरे साथ..!!" रिया बोली।

" पर मेरी तरफ से हमेशा से क्लियर था । तुम मेरी दोस्त थी। मैंने तुम्हें कभी नहीं चाहा ना कभी कोई कमिटमेंट किया। कभी तुम्हे धोखा नहीं दिया। कभी तुम्हें झूठे सपने नहीं दिखाएं। मैने हमेशा से क्लियर रखा कि मेरी लाइफ में तुम सिर्फ दोस्त हो और इससे ज्यादा कुछ भी नहीं और तुमने इसी बात का ज्यादा फायदा उठाया। इन फैक्ट अब तो मुझे तुम्हारी असलियत और भी ज्यादा समझ में आ गई है। तुम इस तरीके से जबरदस्ती किसी के गले कैसे पढ़ सकती हो रिया ? यही तुम कॉलेज टाइम में करती थी जिसका नतीजा है कि आज मानसी जिसे मैं कब से चाहता हूं वह मुझे गलत समझती है। मुझसे दूर रहती है मुझसे बात तक नहीं करती क्योंकि शायद उसके मन में भी यही गलतफहमी है कि मैं और तुम डेट कर रहे हैं" नील बोला।

" अच्छा तो यह सब कुछ मानसी के लिए हो रहा है?" रिया बोली।

" मानसी के लिए कुछ भी नहीं हो रहा है, क्योंकि उसे तो मेरे दिल की बात पता भी नहीं है। और परिस्थितियों भी ऐसी आ गई कि मैं उससे कुछ कह नहीं सकता क्योंकि वह मुझे अब की नहीं समझेगी पर मैं इतना समझ गया हूं कि तुम्हारे साथ में कभी खुश नहीं रह सकता। तुम्हारे साथ में मैने बहुत कुछ खोया है रिया और कुछ खोने की मुझ में हिम्मत नहीं है। प्लीज हो सके तो मुझे माफ कर दो।" नील ने कहा और कॉल कट कर दिया।

पीछे खड़ी निशी। ने उसकी सारी बातें सुन ली थी। उसने जाकर नील के कंधे पर हाथ रखा तो नील ने पलट कर देखा।

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव