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Tanmay - In search of his Mother - 61

61

कौन है गुनाहगार?

 

 

रात घिरती जा रही है। तन्मय अभी तक पेड़ में  छिपा बैठा है। उसे डर है कि वह नीचे उतरेगा तो वो लोग फिर से पकड़ लेंगे या मार देंगे। उसने अपना फ़ोन चेक किया, वह स्विच ऑफ है। पानी भी खत्म हो चुका है। अँधेरे में  तो यह जंगल और भी डरवाना लग रहा है। पता नहीं, मेरी मम्मी यहाँ क्या करने आई होगी या उन्हें भी कोई  पकड़कर........उसके मन में  बुरे-बुरे ख्याल आ रहें हैं। भूख प्यास के मारे  उसका बुरा  हाल हो रहा है। उसने पेड़ के पत्ते ही खाने शुरू कर दिए। उसने देखा पेड़ पर  कौवो के घोंसले है। अँधेरे में  यह कौवे भी बड़े डरवाने लग रहें है। मेरे पास सिर्फ कल का दिन बचा है, अगर मैं टाइम पर घर नहीं पहुँचा तो पापा को सब पता चल जायेगा। उसके बाद तो उसकी खैर नहीं।

 

रात गहराती  जा रही है, राघव को नींद नहीं आ रही। वह  तन्मय  को कितना फ़ोन मिला रहा है, मगर  उसका फ़ोन स्विच ऑफ  आ रहा है। मुझे कुछ करना होगा, ज़रूर तनु, मुसीबत में  है। मुझे अंकल को बता देना चाहिए??? अब मैं क्या करो, वह परेशान होते हुए फ़िर  अपने फ़ोन को देखने लगा।

 

नींद तो अभिमन्यु को भी नहीं आ रही। उसे मनोरमा से हुई मुलाकात याद आ रही हैं। मनोरमा ने आज उसे बताया कि  नैना अपने साथ एक ऐसा  राज़  ले गई जो उनकी  ज़िन्दगी  में  भूचाल ले आता। उसने उसे बहुत विनती की  कि  वह उसे बताए, मगर उसने एक  लफ्ज़ भी नहीं कहा। आख़िर नैना को किसने मारा और वह क्या जानती थी। उसने परेशान होकर अपना सिर पकड़ लिया।

 

सुबह हो चुकी है, तन्मय हिम्मत करते हुए पेड़ से उतरा, उसने इधर-उधर देखा और फ़िर एक ही साँस में  दौड़ता हुआ पूरा जंगल पार गया। उसने पीछे मुड़कर देखा  तो उसे आदमियों की आवाज सुनाई दी, वह जल्दी से  एक खाली घर में  घुस गया, वह उसकी छत पर गया और वहाँ जाकर उसने चुपके से सड़क पर देखा तो उसे वे आदमी बाहर की ओर सड़क पर जाते नज़र आये, उसे दिमू की बात याद आई, जरूर इन्ही किसी घर में मेरी मम्मी हो सकती है। उसने आसपास देखा तो हर घर सुनसान है पर एक घर के बाहर आदमी खड़े है। मुझे यहाँ जाकर देखना चाहिए। वह छत से ही टापता हुआ, दो और  छत पार गया और फ़िर  एक छत पर जाकर नीचे की ओर जाने लगा। यही घर लग रहा है, इसके बाहर ही आदमी है। उसने हर कमरे को देखा, हर कमरा  खुला हुआ है, मगर  एक के बाहर  कुण्डी है। उसने धीरे से कुण्डी खोली और पूरे कमरे में  देखा तो एक कोने में एक औरत अपना  मुँह पैरो में  छुपाए बैठी है । उसने कहा, मम्मी ! उसने मुँह ऊपर किया तो वह कोई और नहीं बल्कि नैना है।

 

तनु! नैना को यकीन नहीं हुआ। वह उससे लिपट गया। आप यहाँ क्या कर रहीं है और आपके माथे पर यह पट्टी कैसी है। उसने उस पर हाथ फेरते हुए कहा।

 

तुम यहाँ कैसे पहुँचे?

 

आप चलो यहाँ से, उसने नैना को उठाया, मगर कमज़ोरी के कारण उससे ठीक से हिला भी नहीं जा रहा है।

 

बेटा, हम यहाँ से नहीं जा पाएंगे। नीचे  उसके आदमी खड़े हैं। उसने रोते हुए तन्मय के चोटिल  चेहरे को अपने हाथो में लेते  हुआ कहा। आपके पास फ़ोन है न? दो मुझे।

 

वो उसके पास है। मम्मी हम  दूसरी छत पर चले गए तो यहाँ से निकल जायेगे । उसने अपनी मम्मी के हाथों को कसकर पकड़ लिया और  उसे छत पर ले जाने लगा। छत पर पहुंचते ही उसने  नैना को दूसरी छत पर चढ़ाने  में  मदद करने लगा । मगर तभी एक आवाज ने उन्हें चौंका दिया। दोनों ने अपने पीछे देखा तो नैना वही उसी छत पर रुक गई और उसने तन्मय को कसकर पकड़ लिया।

 

मेरे बच्चे को कुछ मत करना । उसने  तन्मय को कसकर पकड़े रखा।

 

नैना यह  मेरा बच्चा भी है । उसने तन्मय को प्यार से देखते हुए अपने पास बुलाया, तो उसने उसे गुस्से से देखते हुए मना कर दिया।

 

देखो ! हमें  जाने दो, हम किसी को कुछ नहीं कहेंगे। नैना गिड़गड़ाई।

 

मैंने कहा था न, रहेंगे तो साथ वरना.......

 

मैं तुम्हारे साथ रहने को तैयार हूँ , तन्मय को उसके पापा के पास जाने दो।

 

मैं अपनी मम्मी के बैगर कहीं नहीं  जाऊँगा। उसने उसे नैना को कसकर पकड़ लिया।

 

मैं तो कह ही रहा हूँ, हम साथ रहते हैं, उसने उन दोनों के पास आते हुए कहा ।

 

दूर हटो हमसे , तन्मय ने उसे झटक दिया।  उस आदमी को गुस्सा आ गया, क्या नैना तुमने इसे कोई तमीज नहीं सिखाई। अब वह फ़िर पास आया तो तन्मय ने अपनी  जेब से चाकू  निकाल लिया दूर हटो , हमसे । उसने अपनी मम्मी का हाथ पकड़ लिया चलो, मम्मी यहाँ से।

 

बेटा, यह सब तुम्हारे मतलब का नहीं है, तुम क्रिकेट खेलो, ऐसी चीज़ो से हम खेलते हैं। उसने अपनी जेब से पिस्तौल निकाल ली और दोनों डर गए। नैना ने उससे चाकू लेकर ज़मीन पर फ़ेंक दिया।

 

 

मैं कह रही हूँ न, तनु को जाने दो, प्लीज, प्लीज अब रोते हुए वह उसके आगे हाथ जोड़ने लगी। फिर उसने तनु को देखते हुए कहा, तनु तुम घर जाओ।

 

मैं कही नहीं जाने वाला। वह फिर नैना से चिपक गया।

 

ठीक है, तीनो साथ रहते हैं। अब चुपचाप मेरे पीछे चलो। उसने दोनों को घूरते हुए कहा, नैना तन्मय का हाथ पकड़े उसके पीछे चलने लगी।  मगर तन्मय को गुस्सा आ रहा है। उसने आक्रोश में चाकू उठाया और उसकी पीठ पर वार कर दिया ।

 

वह चीखते हुए बोला, सन ऑफ़ बीच। तू मेरे साथ रहेंगा नहीं और मैं नैना को तेरे साथ रहने नहीं दूंगा। उसने अब उनकी तरफ गोली कर दी।

 नैना तन्मय के आगे आ  गई और उसने गोली चला दी। वह ज़ोर से चिल्लाया, मम्मी !

 

वह अपनी मम्मी से लिपट गया, नैना ने भी तन्मय परअपनी पकड़ मजबूत कर दी ।  दोनों ने देखा कि सामने रुद्राक्ष और अभिमन्यु  के साथ पूरी पुलिस टीम खड़ी है और  गोली उस आदमी के पैर पर लगी है । 

 

मैं  तुमसे दो साल सीनियर था, तुम हमेशा यही बात भूल जाते हो, सिद्धार्थ शुक्ला ।

 

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