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Tanmay - In search of his Mother - 54

54

लाश

 

उमा  बिश्नोई ने भरे  गले से बोलना शुरू किया, मेरे माता-पिता नहीं है, मैं अपने चाचा-चाची के साथ गॉंव में रहती थीं, राजेन्द्र के पिता भी उसी गॉंव से थें । बचपन में हम दोनों का रिश्ता तय  कर दिया गया । मगर बचपन की बात जवानी में  कहाँ समझ आती हैं । मैं शहर पढ़ने आ गई । कॉलेज में  मुझे कोई पसंद था, मैंने यह बात चाचा -चाची को बताई तो उन्होंने तो कोई ऐतराज़ नहीं किया, मगर राजेन्द्र के पिता ने हंगामा मचा दिया । बात पंचायत तक ले गए, मैंने राजेन्द्र से बात की।  मगर वो भी फूहड़, पढ़ाई तो  उसने की नहीं, मुश्किल से गॉंव के स्कूल से दसवीं तक ही परीक्षा पास की थीं, बस पैसे और पुश्तैनी जायदाद का घमंड था, जो सिर  चढ़कर बोल रहा था । जब मुझे लगा कि इससे बात करने का कोई फायदा नहीं है तो मैंने गॉंव जाना बंद किया और  शहर में ही अपने प्यार संदीप से कोर्ट मैरिज  करने का  फैसला किया ।  शिवांगी और रुद्राक्ष लगातार उमा को देखे जा रहें हैं । यह  बात जब राजेन्द्र और इसके परिवार वालों को पता लगी तो इन्होंने मेरे चाची-चाची को मारने  की धमकी दी और तो और मेरी चचेरी बहन को भी किडनैप कर लिया । घर वालो के दबाव और बहन की ज़िन्दगी बचाने के लिए  इससे शादी की । शादी के बाद हम शहर आ गए, क्योकि इसने अपनी फैक्ट्री यहीं  खोल ली थीं ।

 

शुरू-शुरू में  तो सब ठीक था, मगर बाद में  मुझे इसके रंग-ढंग नज़र आने लगे, आखिर गॉंव के फूहड़ को शहर की हवा लग गयी, शराब पीना, लड़कीबाजी करना, दोस्तों के साथ आवारागी करना । इसका बड़ा भाई मनोहर भी ऐसे था, उसने तो मुझपर भी बुरी नज़र डालने की कोशिश की । कारोबार के  मामले  में  राजेंद्र  बड़ा पक्का था, यह दिनोंदिन तरक़्क़ी करता गया । इसकी मुस्तैदी देखकर इसके पिता ने सबकुछ इसके नाम कर दिया । किशन तो भाई के साथ  रहा, मगर मनोहर तो इससे इसी बात पर झगड़ा करता रहता, उसने शराब की फैक्ट्री भी डाल लीं । जब शुभी पाँच साल की हुई तो संदीप मेरी ज़िन्दगी में  दोबारा आया, कुछ सालो तक हमारे बीच रिश्ता रहा, फ़िर हमने सोचा कि हम किसी दूसरे शहर जाकर नई ज़िन्दगी शुरू करते हैं।  हमारी पूरी  तैयारी  थीं, पर  जिस  दिन हमे भागना था, उस दिन संदीप का एक्सीडेंट हो गया और उसी दिन उसकी मौत हो गई। अब उमा ने दोनों को एक बार दोबारा  देखा, फ़िर  बोलना शुरू किया, एक दिन शराब के नशे में  उसने मुझे बताया कि उसने ही संदीप का एक्सीडेंट करवाया है । तब तक अमन भी पैदा हो चुका  था । मेरा मन था कि  पुलिस को जाकर बता दूँ, एक बार मैंने कोशिश भी की । मगर इसने फ़िर परिवार वालो को मारने की धमकी दीं ।

 

समय बीतता गया और मेरी ज़िन्दगी जहनुम बनती गई । संदीप के मरने के बाद से मारपीट भी शुरू हो गई । एक दिन मैं अपने गॉंव गई, वहाँ  मेरी मुलाकात  अजीत  से हुई, वह दूसरे गॉंव का था, मगर अपन गॉंव के सरपंच पर जानलेवा हमले के कारण  जेल जा चुका था । मेरे गॉंव वाले भी उसे हमारे गॉंव में  नहीं रखना चाहते थें, मैंने उसे किशन को बोलकर अपनी फैक्ट्री में  लगवा दिया । इसी बीच मुझे दिमाग में  परेशानी शुरू हो गई । राजेन्द्र तो चाहता था कि  मैं मर ही जाओ और  देखा जाए  तो मुझे यह बीमारी, इसी आदमी की देन है । इसने मुझे कभी कोई ख़ुशी नहीं दी, सिर्फ़ प्रताड़ित ही किया है । हद से ज़्यादा  परेशान होने के होने के कारण ही मुझे यह रोग लगा। मगर इस बीमारी में किशन ने मेरा बहुत साथ दिया और भगवान की दया से मैं ठीक होकर घर भी  आ गई पर किशन और मेरा  रिश्ता कुछ और ही  रूप ले चुका था । एक दिन राजेन्द्र ने हमें फार्महाउस में  साथ देख लिया और मेरी जिस्म पर इतने निशान दिए कि अब नफरत और गुस्से से उमा का  चेहरा तमतमा रहा है । उसी दिन मैंने सोच लिया कि इस आदमी को जीने का कोई हक़ नहीं है । मैंने उससे उसे मारने  के लिए कहा पर मुझे नहीं पता  था कि  वो शुभी के साथ गलत कर रहा था । उसके काम की वजह से राजेन्द्र ने उसे सुपरवाइसर बना दिया था, उसका घर में आना जाना शुरू हो गया  था । मैंने इसकी मदद इसलिए की थीं क्योंकि मुझे सरपंच का अजीत की  ज़मीन  हथियाना गलत लगा था फिर  बाद में  मुझे लगा कि अजीत से यह काम भी लिया  जा सकता है । उस रात राजेन्द्र जंगल में  उसे पैसे देने गया, तभी उसने उसका कत्ल कर  दिया पर उस समय मुझे नहीं पता था कि राजेन्द्र उसे पैसे देने जा  रहा है ।  बाकी की बात तो आप जानते है।

 

लेकिन वो पहले फार्म हाउस में  क्यों गए थें?

 

पहले  अजीत ने क़त्ल करने का प्लान वहीं  बनाया था पर मैंने उसे मना कर दिया। उसने फ़िर  राजेंद्र को फ़ोन करके जंगल बुला लिया।

 

लेकिन एक बात समझ नहीं आई कि  आपको अजीत पर शख नहीं हुआ कि  राजेंद्र अजीत से मिलने वह क्यों आ रहा होगा ।

 

मैंने अजीत  से पूछा था, उसने कहा कि वह राजेंद् को उसके किसी नीलू के साथ  अवैध सम्बन्धो को लेकर ब्लैकमेल कर रहा है।  मुझे अपने पति के  चरित्र का पता था, इसलिए मैंने ज्यादा सोचा नहीं ।  

 

यह सुनकर रुद्राक्ष हामी में  सिर हिलाए शिवांगी की तरफ देखने लगा ।  

 

जब शुभी ने सब सच बोल दिया तो उसने आपकी सच्चाई सामने लाने की बात कहीं होगी।

 

वो तो अजीत ने आपको बता ही दिया है ।

 

इन सबमें किशन का कोई हाथ है?

 

नहीं, उसका तो बस यह नुकसान हुआ कि मेरी वजह से उसे प्रॉपर्टी नहीं मिली ।

 

और नैना ? उसे क्यों झगड़ा किया आपने? राजेन्द्र उसके पीछे था ?

 

नैना एक शरीफ औरत है, राजेन्द्र की तो हर औरत को देखकर लार टपकती थीं,चाहे वो उससे उम्र में  कितने साल भी छोटी क्यों न हो । नैना को मेरे  और किशन के बारे  में  पता चल गया था, मुझे लगा कि  वो उसे बता देंगी इसलिए हमारी कहा सुनी हुई थीं ।

 

क्या उसने बताया ?

 

ऐसा लगा तो  नहीं मुझे , वैसे भी  वह एक सनकी और शखी आदमी था, जब उसको हम पर शख हो गया तो वह हमारा पीछा करने लगा । उसने  लम्बी सांस छोड़ते हुए कहा ।

 

अगर अजीत पकड़ा न जाता तो आप किशन  के साथ घर बसा लेती।

 

शायद नहीं, क्योंकि मुझे लगने था कि उसे सिर्फ प्रॉपर्टी ही चाहिए।

 

ये सब करने से पहले अपने बच्चो के बारे में सोच लिया होता।

 

अपने बारे में पहली बार सोचा था। अब उमा के चेहरे के हाव-भाव समझ नहीं आ रहें है।

 

रुद्राक्ष ने शिवांगी को देखा तो वह उमा को वहां से ले गई । अब क़त्ल करवाने के जुर्म में  सजा तो भुगतनी पड़ेगी । किशन को उमा का सच बता दिया गया । उसे  हैरानी हुई कि डरी सहमी रहने वाली उमा ऐसा भी कुछ कर सकती है ।

 

कमिश्नर ने नैना मिसिंग केस और बिश्नोई मर्डर केस सुलझाने के लिए  रुद्राक्ष के  प्रमोशन की फाइल  आगे बढ़ा दी। हरिलाल  रुद्राक्ष और शिवांगी के लिए चाय दे आया ।  शिवांगी ने चाय का कप उठाते हुए पूछा,

 

सर, आपको उमा पर शख कब हुआ?

 

जब उसने सिक्योरिटी हटवाई थी और उसकी कॉल रिकॉर्ड देखने के बाद शख यकीन में  बदलता गया। फिर तो तुम्हें पता ही है, अजीत उमा को लैंडलाइन से कॉल  करता था।  वह लैंडलाइन नंबर  उस दुकान का था, जिसके ऊपर बने कमरे में  अजीत रह रहा था। और राजेन्द्र को भी उसी नंबर से कॉल  किया करता था, वो भी उसकजे  फैक्ट्री वाले लैंडलाइन नंबर पर ।   क़त्ल वाली  रात उसने उसे भी फ़ोन किया था। फिर  उस रात  उसका पीछा किया तो..........

 

 

 पकड़ा गया  कहकर अब शिवांगी भी बोल पड़ी, सर आपको याद है , जब हमने लैंडलाइन का कॉल रिकॉर्ड चेक  किया था, तब अजीत ने बहाना बनाया था कि  उसका फ़ोन ठीक नहीं था इसलिए वह लैंडलाइन से बिश्नोई को फैक्ट्री वाले नंबर पर काम की वजह से कॉल करता था।

 

हम्म , उस  समय यह  उमा वाला एंगल हमने नहीं  पकड़ा था। 

 

यह तो अच्छा हुआ कि दो केस सॉल्व हो गए ।

 

 

वो तो है । रुद्राक्ष मुस्कुराने लगा ।

 

तभी श्याम आकर बताता है कि यमुना के पास एक औरत की लाश मिली है।  रुद्राक्ष पूरी टीम के साथ वहाँ पहुँचता है।  औरत का चेहरा बिगड़ा हुआ है, पहचान में  नहीं  आ रहा। लाल रंग का कुरता और जीन्स उसने पहन रखी है।  उसकी आँखें नीली है।  उसके हाथ में उसका पर्स है, पर्स के अंदर उसका पेन कार्ड  है, जिस पर लिखा है, "नैना राठौर सिंह"। 

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