हम तेरे हो गये दिनेश कुमार कीर द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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हम तेरे हो गये

1.
इश्क़...
इश्क़ किस चिड़िया का नाम है
वो जो रातों के सपने उड़ाती है
या वो जो सुबह जगाती है
इश्क़ किस दरिया का नाम है
वो जो प्यास बुझाती है,
या जिसे पीने की प्यास तड़पाती है
इश्क़ किस दर्द को कहतें हैं
वो जो सब दर्द का फाया है,
या वो जो ज़िन्दगी में समाया है
इश्क़ किस तक़रीब को कहतें हैं
वो जो लोगों को साक्षी रखता है,
या वो जो अंतस में घटता है

नहीं मालूम ये बड़ी बातें,
हमारा इश्क़ तो यू ही पनपता है
कभी चाय की चुस्कियों में सिमटता है,
तो कभी मुंडेर पर चढ़ता है
कभी हमसे नज़्म लिखाता है,
कभी बोलना भुलाता हैं
कभी हमें बनाता है,
कभी हमें मिटाता है
इश्क़ ही कभी खुदाई दिलाता है
और कभी जन्नत दिखाता हैं
वही इश्क़ कहलाता है

2.
श्रृंगार भी तब जंचता है,
जब किसी को सोचकर,
कोई मन से संवरता है,
जब दर्पण में दिखाई देता है,
अक्स उसका, तो रूप,
उसका और भी ज्यादा निखरता है,
काजल भरे नैनो में, उतर आती है,
हया की लाली सी,
जब उसकी आंखो में,
शरारत भरा कोई रंग उभरता है,
दिल बाग बाग सा हो जाता है,
उस वक्त जब वो आंखो ही आंखो में,
चुपके से तारीफ करता है,
छुपा कर चेहरा तब अपने हाथों से अपना,
जब बार बार उसको सोच मन मचलता है...!
श्रृंगार भी तब जंचता है,
जब किसी को सोचकर,
कोई मन से संवरता है...!

3.
मुझे पत्थर बनना है
ताकि तुम तराश सको अपने हिसाब से मुझे..
अगर तरल बनी तो बहती ही चली जाउंगी चाहे जिस और...
जानती हूँ मुश्किल होगा
मुझ पर काम करना
पर तुम्हरा प्यार और मेरा विश्वास...
जैसे छैनी और हथौड़े का हो साथ...
जिस शक्ल में ढालोगे ढल जाउंगी..
तुम्हारी हर चोट से संवर जाउंगी..
जो देखोगे एक नज़र प्यार से
मैं भी जी जाऊँगी...
तुम्हारे स्पर्श से चमक जाउंगी
तुम्हारे ही रंग में रंग जाऊँगी
तुम मे मिल कर तुझमे दो जिस्म एक जान बन जाउँगी ।

4.
प्रेम...

जहां शब्द अर्थ खो दे
जहां अपेक्षाएं सारी व्यर्थ हों
जिसे कहने का न साहस हो
जो पनपे रोम रोम में
लेकिन फिर भी न रमें तन में
आत्मा की गहराइयो में वास हो
तड़प, समर्पण और प्यास गुण खास हो
वो दूर रहे कितना भी
मगर उसका एहसास पास हो बस वही एक दिलदार खास हो ...!

5.
हर कोई चाहता है प्यार में ताजमहल बनाना पर हम
मिडिल क्लास पति बीवी से प्यार ज़ाहिर करने के लिए उसे ऐनिवर्सरी पर ताजमहल या नैनीताल नहीं ले जा पाते.
वो रात में घर में जब सब सो जाते हैं तब ऑफ़िस वाले बैग में से लाल काँच की चूड़ियाँ धीरे से निकाल कर बीवी को पहनाते है और उसके माथे पर पसीने से फैल चुके सिंदूर को उँगलियों से पोछते हुए ख़ुद से वादा करता है कि अगली गर्मी से पहले वो कूलर ख़रीद लाएगा.
और शर्ट की जेब टटोल कर 500 रूपये हाथ में देते हुए कहता है, घर जाना तो अम्मा और भाभी के लिए कुछ ख़रीद लेना. क्या पता तब हाथ में पैसे रहे न रहे...

जीवन का सच ये है कि दो टाइम की रोटी का जुगाड़ लगाना और जिंदगी तब बहुत आसान हो जाती है,
जब साथी परखने वाला नहीं...
बल्कि समझने वाला साथ हो...!!

6.
एक अदब है, शोख है,
इश्क मे थोड़ी खुमारी है
कि जितना तुम्हें होश है, उतनी मेरी बेकरारी है...
इश्क का एक यहीं मसला समझ नही आता मियां
गहराई का पता भी नही
और डूबने की भी तैयारी है...!