1. संतुलित आहार
राहुल कक्षा आठ में पढ़ता था। वह बहुत होनहार बच्चा था। पढ़ाई में तो वह हमेशा आगे रहता था, लेकिन खेलों में वह हमेशा पीछे रह जाता था। एक कमजोरी थी उसकी, कि उसे हरी सब्जियाँ खाना बिल्कुल पसन्द नहीं था। बस! कुछ ही फलों को छोड़कर फल खाने में भी वह अक्सर आना - कानी करता था। उसकी माँ हमेशा समझाती थी कि - "बेटा! हमारे शरीर के सही विकास के लिए फल - सब्जियांँ और दूध सभी कुछ आवश्यक है। मात्र कुछ एक चीजों के खाने से हमारे शरीर में सभी पोषक तत्वों की पर्याप्त पूर्ति नहीं हो सकती है।" माँ के इतना समझाने पर भी उसे सब्जियों और फलों से न जाने क्यों चिढ़ सी रहती थी।
एक दिन राहुल अपने पिताजी के साथ खेत पर गया। वहाँ अलग - अलग फसलों की क्यारियाँ बनी हुई थीं। कुछ क्यारियों के पौधे बहुत हरे - भरे और स्वस्थ दिखाई दे रहे थे, लेकिन कुछ क्यारियाँ सूखी और बेजान दिखायी दे रही थीं। पिताजी ने सभी क्यारियों में निराई - गुड़ाई की और सभी में खाद डाली। राहुल बड़े ध्यान से ये सब देखता रहा और फिर पिताजी से पूछा - "पिताजी! अपने खेत की कुछ क्यारियाँ तो खूब हरी हैं, लेकिन कुछ क्यारियों के पौधे बेजान से क्यों दिखायी दे रहे हैं?"
राहुल के पिताजी बोले - "बेटा! इस समय मैं कुछ क्यारियों पर कम ध्यान दे पाया हूँ, इसलिए ऐसा है। जिस तरह पौधों की वृद्धि के लिए अलग - अलग तरह की खाद की जरूरत होती है, उसी तरह हमारे शरीर के लिए सभी पोषक तत्व जरूरी होते हैं। इस तरह हम सभी कामों को करने के लिए ऊर्जा की प्राप्ति फल - सब्जियों और अन्य चीजों से प्राप्त करते हैं। यदि पौधों को उनकी आवश्यकता के अनुसार खाद और पानी न मिले, तो वे कमजोर हो जायेंगे। इसी तरह हमारे शरीर को भी पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व न मिलने से हमारा शरीर भी कमजोर हो जायेगा।"
राहुल को बात समझ में आ चुकी थी कि माँ ठीक कहती थी। पढ़ाई के साथ - साथ खेल - कूद में भी आगे रहने के लिए शरीर का मजबूत होना बहुत आवश्यक है। आगे से उसने सोच लिया था कि थाली में दी हुई मांँ की सब्जियों को वह पूरा खा लिया करेगा, क्योंकि जब उसका शरीर स्वस्थ होगा, तभी वह अपनी पढ़ाई अच्छे से कर पायेगा और खेलों में भी हमेशा आगे रहेगा। विद्यालय में भी उसके शिक्षकों ने उसे बताया बताया है कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है।
संस्कार सन्देश :- हमें शरीर को स्वस्थ रखने के लिए हरी सब्जियों और फलोंं को भोजन में अवश्य सम्मिलित करना चाहिए।
2.
फिर से इस तरफ अब दुनिया
पर ध्यान नहीं जाता,
वह अकेला दोस्त किसी के साथ
ज्यादा वक्त नहीं बिताता,
और मुझ से तो तुम बेफिक्र रहना मेरे दोस्त,
जिस पर गुजरी हो,
वह कभी किसी का दिल नहीं दुखाता ।
3.
इतनी तो तेरी सूरत भी नही देखी मैंने
जितनी तेरे इन्तजार मे घड़ी देखी है
4.
मन नहीं भरता देखने से भी, रब ने तुम्हें ऐसा संवारा है
बेताब सी हो जाती हैं नज़रें ज़ब दिखता ये चेहरा तुम्हारा है