मुझे माफ कर दीजिए DINESH KUMAR KEER द्वारा स्वास्थ्य में हिंदी पीडीएफ

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मुझे माफ कर दीजिए

मुझे माफ़ कर दीजिए

अमन कक्षा आठ का होनहार विद्यार्थी था। वह प्रतिदिन समय पर विद्यालय जाता और घर पर भी आकर पढ़ाई करता था। रविवार का दिन था। अमन ने अपने पिताजी से मोबाइल गेम खेलने के लिए मांँगा। थोड़ी देर गेम खेलने के बाद पिता जी को मोबाइल वापस कर दिया, पर उसे मोबाइल गेम बहुत पसन्द आया। कुछ दिनों बाद अमन का जन्मदिन था। उसने मन में मन ही मन विचार कर लिया कि इस जन्मदिन पर पिताजी से उपहार में एक नया मोबाइल मांँगूँगा।
जन्मदिन आते ही अमन ने पिताजी से अपनी इच्छा जाहिर करते हुए कहा, "पिताजी मुझे उपहार में एक नया मोबाइल चाहिए, और कुछ नहीं चाहिए।"
पिताजी ने समझाया - "बेटा! तुम अभी बहुत छोटे हो, रही बात गेम खेलने की तो तुम मेरा मोबाइल कभी - कभी ले लिया करो।"
पर अमन ने पिताजी की एक बात नहीं मानी। वह हठ करने लगा कि "मुझे मोबाइल चाहिए तो चाहिए, वरना मैं खाना भी नहीं खाऊंँगा और न ही जन्मदिन की पार्टी मनाऊंँगा।"
इस तरह अमन ने अपने जन्मदिन पर पिताजी से हठ करके मोबाइल फोन ले ही लिया।
अमन का जन्मदिन होने के कारण उसके पिताजी मोबाइल दिलाने से मना नहीं कर पाये, लेकिन उस को समझाते हुए बोले, "अगर तुम एक दिन भी विद्यालय नहीं गये, तो मोबाइल वापस ले लेंगे।"
अमन ने कहा - "ठीक है पिताजी! मैं प्रतिदिन विद्यालय जाऊंँगा, जैसे पहले जाता था। घर पर आकर पढ़ाई भी करूंँगा। खेल के समय ही मोबाइल का इस्तेमाल करूंँगा, वह भी कुछ समय के लिए।"
कुछ दिन बीतने के बाद अनस ज्यादा समय मोबाइल को देने लगा। विद्यालय न जाने के नये - नये बहाने खोजने लगा।
एक दिन ऐसा आया कि अनस ने विद्यालय जाना भी छोड़ दिया। मित्रों, शिक्षकों आदि सभी ने खूब समझाया, पर अमन को मोबाइल गेम खेलने की लत पड़ चुकी थी।
अब अमन पूरी तरह से बदल चुका था। अमन की इन आदतों से सभी लोग बहुत परेशान थे। अमन अब किसी की बात भी नहीं मानता था।
एक दिन अमन ने दिन - भर मोबाइल में गेम खेला और रात में भी गेम खेलना शुरू कर दिया। इस तरह से प्रतिदिन अमन की यही आदत बन गयी। कुछ दिनों के बाद उसकी आंँखों में जलन होने लगी। अत्यधिक जलन होने के कारण अमन के अभिभावकों ने डॉक्टर को दिखाया। जब जाँच हुई, तो अमन बहुत दुःखी हो गया। उसने अपने माता - पिता को रोते हुए देखा तो उसे शर्मिन्दगी महसूस हुई। अमन ने मन ही मन अपनी गलती पर पश्चाताप किया। अभिभावकों से भी क्षमा मांँगी। मोबाइल वापस करते हुए पिताजी से बोला - "काश! पिताजी आपने उस दिन मेरी हठ नहीं मानी होती तो आज मेरी यह हालत न हुई होती। मैंने सब का दिल दुखाया इसलिए मुझे सजा मिली है। आप लोग मुझे माफ़ कर दीजिये।"
अमन के अभिभावकों ने उसे माफ करते हुए गले से लगा लिया।
कुछ दिनों तक अमन की आंँखों का इलाज चला और सब की दुआओं से अमन ठीक हो गया। ठीक होते ही अमन विद्यालय की तरफ चल पड़ा। अपने सभी अध्यापकों व मित्रों से माफी मांँगी और एक नया जीवन शुरू किया।

संस्कार सन्देश :- हमें मोबाइल जैसी चीजों को अपनी आदत नहीं बनाना चाहिए। इनसे अपना नुकसान होता है।