The Author Makvana Bhavek फॉलो Current Read लिविंग विथ डाइंग - 3 By Makvana Bhavek हिंदी प्रेम कथाएँ Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books मोमल : डायरी की गहराई - 34 पिछले भाग में हम ने देखा कि अब्राहम फीलिक्स के गांव में गया... दरिंदा - भाग - 9 प्रिया जब अगले दिन अल्पा से मिलने गई तब उसने एक बार फिर से प... दादीमा की कहानियाँ - 2 दादीना की कहानियाँ, पढ़ने जे बाद मुझे comments अवसता चाहिए...... सर्विस पॉर्ट - 2 . पार्ट 2 प्रियंका &#... इंटरनेट वाला लव - 88 आह में कहा हु. और टाई क्या हो रहा है. हितेश सर आप क्या बोल र... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Makvana Bhavek द्वारा हिंदी प्रेम कथाएँ कुल प्रकरण : 6 शेयर करे लिविंग विथ डाइंग - 3 1.1k 2.5k रास्ते में ऋत्वि गाना गून गूना ते हुए चली जा रही थी "आज मौसम है सुहाना..." ऋत्वि बिच में रुकते हुए ऋत्विक से पूछती है "मुझे ऐसे ही दिन मरना चाहीए! है ना!" ऋत्विक उसे देखते हुए पूछता है "क्या तुम अभी भी नाराज तो नही हो ना!" ऋत्वि कहती है "नही तो" ऋत्वि अभी इतना कहा ही था कि तभी उन्हे कहि से किसी के सिलाने कि आवाज सुनाई देती है। वो दोनो उस आवाज कि दिशा में अपनी नजर घूमाते है तो देखते है कि दो बदमाश लड़को कि साइकल कि वजह से एक बूढी औरत नीचे गीर गए थी। जिसके सामान कि वजह से उनमे से एक लड़के के कपडे गंदे हो गए थै। वो लड़का उस औरत पर सिलाते हुए करता है "जरा ये देखो तुम्हारे कारण मेरे कपड़े गंदे हो गये।" और फिर वो उस बूढी औरत से पैसे मांगते हुए कहता है "तुम इनके सफाई के पैसे तो भरेगी! हे ना!" तभी पास ही कि एक दूकान से एक लड़की बार आते हुए कहती है "इस में इनकी कोई गलती नही है, इस से तकराए तो तुम थै।" यह सुन वो लड़का उस औरत के पास से उठ उस लड़की के पास जाते हुए गुस्से से कहता है "क्या दीमाग तो नही फिर गया तुम्हारा, ये बूढीया इस सड़क के बिच में खड़ी थी" और फिर उसे बडी अजीब सी नजरो से देखते हुए फिर कहता "क्या इसकी जगह तुम मेरे नुकसान कि भरपाई करोगी?" यह सुन वो लड़की घबरा जाती है और अपने आस-पास देख लग जाती है लेकिन कोई भी उसकि मदद करने आगे नही आता है। सब वहा खड़े बस तमाशा देख रहे थै। ये सब देख ऋत्विक आगे बढ़ाते हुए ऋत्वि से कहता है "चलो यहा से चलते है" लेकिन ऋत्वि उसे बिना कुछ कहे उस बदमास लडको कि और जाने लगती है। यह देख ऋत्विक को भी ना चाहते हुए उसके पिछ जाना पड़ता है। वो बदमास लडका अब भी उस दुकान वाली लड़की के साथ बदतमीजी कर रहा था। ऋत्वि वहा पहुच उस बूढी औरत को सहारा देते हुए है उस लड़के से कहती है "गलती तुम्हारी है" यह सुन उस लड़कु का ध्यान दूकान वाली लड़की पर से हत अब ऋत्वि पर आ जाता है। ऋत्वि उस लड़के को गूस्से से देखते हुए कहती है "सुनाई नही दिया क्या? गलती इनकी नही तुम्हारी है " वो लड़का ऋत्वि को बडी अजीब सी नजरो से घूर ते हुए कहता है "अब तु कोन " ऋत्वि बाजार के आरंभ में खड़े एक साइनबोर्ड के और इसारा करते हुए कहती है "साइनबोर्ड दिखता नही है क्या? यहा शोपिंगस्ट्रीट में साइकल चलाना मना है! इसलिए अभी इनसे माफी माँगो।" यह सुन वो लड़का ऋत्वि का कोलर पकडते हुए गुस्से से कहता है "तेरी तो... तु मुझसे लडना चाहती है क्या?" ऋत्वि भी उसे घूरते हुए कहती है "तो क्या तुम अपनी ताकात दिखा रहे हो, वो भी इतने सारे लोगो के सामने, साफ है अंत में तुम्ही दोषी पाए जाओगे" उनकी बहस अब और बह गई थी जिसे सुनकर आस-पास के दूकान वाले वहा इकठ्ठे होने लग जाते है जिसे देख वो लड़का और भड़क जाता है तभी दूसरी तरफ से दो पुलिस वाले भी भागते हुए उसी और आ रहे थैं। पुलिस वालो कि आवाज सुन उस लड़के का ध्यान उस पुलिस वालो कि और चला जाता रहै। जिसका फायदा उठा ऋत्वि खुद को उस लड़के के हाथो से छूडाते हुए वो उस लड़के के प्राइवेट पार्ट पर एक जोरदार लात मारते हुए कहती है "ये उस दादी कि तरफ से ये लो" इस अचानक से हुए वार से वो लड़का खुद को संभाल नही पाता और नीचे गीर जाता है। यह देख उसका साथी ऋत्वि कि और बढ़ते हुए कहता है "आखीर तुम चाहती क्या हो" लेकिन वो उसके पास पहोच पाता उससे पहले पोलिस वाले वहा पहोच उसे पकड लेते है। यह देख ऋत्वि ऋत्विक का हाथ पकड वहा से भागने लगती है। ऋत्वि को वहा से भागता देख एक पोलिस वाला उसे भी रुकने को कहता है लेकिन ऋत्वि बिल्कुल नही रुकती और वहा से ऋत्विक का हाथ पकड भाग जाती है। ऋत्वि के इस कारनामें को देख भीड में खड़ा एक सख्त भागती हुई ऋत्वि को देखते हुए कहता है "इस लड़की में वाकई बहुत दम है" यह सुन वहा खड़े सभी लोग जोर से हँसने लगाने जाते है। बाजार से कुछ दूर आने के बाद ऋत्वि एक जगह रुक जाती है और फिर लंबि लंबि सासे भरने लग जाती है। ऋत्विक भी लंबि लंबि सासे लेते हुए पूछता है" तुम्हे वहा पर वो सब करने कि क्या जरूरत थी?" ऋत्वि उसके सवाल को नजरअंदाज करते हुए अपनी ही बात करते हुए कहती "मैं तो डर ही गई थी, अगर बात जान पर आ जाए तो हम कुछ भी कर सकते हैं।" ऋत्विक उसे हैरानी से देखते हुए कहता है "तुम्हारे मुंह से ये सब सुनना काफी अजीब लगता है।" ऋत्वि इस पर कुछ नही कहती और पास ही के एक बोर्ड को देखते हुए कहती है "ये देखो इस जगह का नाम मेरे लिए बिलकुल सही है।" ऋत्विक उस बोर्ड पर लिखा नाम पढ़ते हुए कहता है "हम्... स्प्रिंग कैफे हा...!" ऋत्वि अंदर जाते हुए कहती है "ओके... हम अंदर जा रहे है" इतना कह ऋत्वि गाना गून गूना ते हुए अंंदर जाने लगतीहै "वसंत और शावन आज साथ साथ चल रहे है..." ऋत्विक उसके पीछे जाते हुए कहता है "ये तुम क्या बकवास कर रही हो!" कैफे में अभी ज्यादा लोग नही थे! ऋत्वि एक विंडो वाली टेबल पर बैठते हुए कहती है "ये काफी अच्छी जगह है ना!" इस पर ऋत्विक उससे कुछ नही कहता और चुपचाप उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ जाता है। ऋत्वि ने कैफे के अंदर आतेही अपने लिए कोफि और ऋत्विक के लिए ज्यूस का ओर्डर दे दिया था। ऋत्वि अपनी कोफी पिते हुए पूछती है "अच्छा सुनो... तुम्हे पता है वसंत के फूल सिर्फ स्प्रिंग में ही क्यू खिलते है?" ऋत्विक के कुछ कहने से पहले हि ऋत्वि खुद इसका जवाब देते हुए कहती है "एप्रिल में फूलो के गिरने के बाद नयी कली आने में करीब तीन महीने लगते है और वो उन्ह के गर्म होने का एक साल इंतजार करते है और फिर वो सब एक साथ खिल उठते है! मैं भी खिलने के लिए बस सही वक्त का इंतजार कर रही हूं! है ना लाजवाब!" ऋत्विक अभी भी चूपचाय अपना ज्यूस पिता रहता है, वो ऋत्वि से इस बारे मैं कुछ नही कहता। ऋत्वि अपना फोन निकालते हुए कहती है "मैं कोयल को भी इस जगह के बारे में बता देती हूं और फिर हम तीनो कभी यहा एक साथ आएगे! और हा तो चलो अपना कॉन्टेक्ट नंबर दो मुझे" ऋत्विक साफ मना करते हुए कहता है "मैं बिल्कुल नही देने वाला।" ऋत्वि उसे मनाते हुए कहती है "ओफ ओ चलो भी" इतना कह ऋत्वि उसके बैग से फोन निकालते हुए कहती है "चलो नंबर दो अपना, बच कुछ वक्त के लिए, जब तक मैं मर नही जाती, तब तक तो हमे साथ रहना है! है ना!" ऋत्विक घर के अंदर आते हुए कहता है "मैं आ गया" उसकी आवाज सुन ऋत्विक मोम्म टीवी कि आवाज घीमी करते हुए ऋत्विक से पूछती है "तुम्हारा खाना निकाल दू?" ऋत्विक उन्हे मना करते हुए कहता है"नही... मुझे भूख नही है" इतना कह वो उपर अपने कमरे में चला जाता है। ऋत्विक को खाने के लिए मना करते देख उसकी मोम्म को काफी हैरानी होती है लेकिन वो ऋत्विकसे कुछ कहती नही। ऋत्विक अपने कमरे में कपड़े बडल रहा था तभी उसे अपने फोन कि आवाज ससुनाई देती है। वो फोन उठा देखता है तो उसमें एक मैसेज आया हुआ था। ऋत्विक उस मैसेज को पढने लगता है "मेरा साथ देने के लिए शुक्रिया, मुझे काफी अच्छा लगा, उमीद है मरने तक हम एसे ही साथ रहेगे! " To be continue..................... ‹ पिछला प्रकरणलिविंग विथ डाइंग - 2 › अगला प्रकरण लिविंग विथ डाइंग - 4 Download Our App