राजकुमारी शिवन्या - भाग 24 Mansi द्वारा पौराणिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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राजकुमारी शिवन्या - भाग 24

भाग २४

अब तक आपने देखा की राजकुमारी शिवन्या ने शादी के लिए हामी भर दी थी विवाह का दिन नजदीक आता है और उनका विवाह उनके ही महल में रखा गया था अब आगे की कहानी देखते है।

इस विवाह के कारण सबके चहरो पर अलग ही खुशी जलक रही थी , विवाह की धूमधाम से तैयारीयां चल रही थी एक दम खुशी का माहोल चल रहा था, पूरे महल को अच्छे से सजाया जा रहा था अलग अलग तरह की मिठाईयां ,छप्पन भोग बनाये जा रहे थे , उस दौर में भी धाम धूम से विवाह मनाया जाता था।
विवाह के लिए राजकुमारी के लिए महंगे से महंगे लिबास बनवाए जा रहे थे , धरमपुर से भी राजा धरम ओर रानी सुमेधा ने राजकुमारी के लिए श्रृंगार की चीजे ओर ढेर सारे वस्त्र भिजवाए थे उनके विवाह के अवसर पर।

सारे बड़े बड़े राज्यों के राजाओं को राजकुमारी शिवन्या ओर राजकुमार वीरेन के विवाह में सम्मेलित होने के लिए संदेश द्वारा आमंत्रण भिजवाया जा चुका था , बहुत चहलपहल चल रही थी , राजकुमारी शिवन्या इस विवाह के लिए बहुत खुश थी पूरे विलमनगर को सजाया जा रहा था प्रजा इसे देख बहुत खुश थी एक अलग ही उमंग छाया था राजकुमारी के विवाह का , एक नए रिश्ते की शुरुआत होने जा रही थी राजा विलम और राजा धरम की बरसो की दोस्ती अब रिश्तेदारी में बदलने जा रही थी ।
राजकुमार वीरेन ने भी अपनी तरफ से उनके विद्यालय के दोस्तो को विवाह में पधारने का आमंत्रण दे दिया था।

कभी कभी आप जिससे नफरत करते है भगवान उसी को आपके जीवन में खास स्थान दे देता है , राजकुमारी शिवन्या के साथ भी ऐसा ही होने वाला था , अब शादी में केवल एक ही दिन शेष रह गया था , रानी निलंबा ओर राजकुमारी कक्ष में बैठे थे , रानी निलंबा कहती है मुझे यकीन नहीं हो रहा कल आपका विवाह है , अभी तक इतनी छोटी सी थी आप सबके साथ जगड़ा करती थी मेरी नटखट पुत्री इतनी जल्दी बड़ी हो गई की विवाह करके कल हमेशा के लिए हमे और इस नगर को छोड़ के चली जायेगी , रानी निलंबा की आखों में अश्रु आ गए , राजकुमारी शिवन्या कहती है माता आप कितनी शीघ्र भावुक हो जाती है आप अभी तक तो आप मेरे विवाह करने की रट लगाए बैठी थी और अब विवाह होने जा रहा है तो अब आप रो रही है यह बोल के राजकुमारी शिवन्या ने रानी निलंबा को गले लगाया ओर कहा में आपको छोड़ के कभी केसे जा सकती हु आप को जब भी मेरी याद आए तो मुझे संदेश भेज देना में आपसे मिलने चली आयूंगी अब रोना बंद करिए और विश्राम करिए आज आपने बहुत काम कर लिया है। सुबह से देख रही हु आप भाग दौड़ कर रही है कब से, अब अपने पैरो को आराम दीजिए और थोड़ी देर आराम करिए में अपने कक्ष में जा रही हु ऐसा बोल कर राजकुमारी शिवन्या अपने कक्ष में आ गई।

राजकुमारी शिवन्या अपने कक्ष में बैठी थी सभी दासिया उनको एक नजर से देख रही थी तब राजकुमारी ने कहा अरे सखियों आप सब मुझे ऐसे घूरे क्यों जा रही हो मेरे चहरे पर भूत है क्या , तब उनमें से एक दासी ने कहा कल तो आपका विवाह हो जायेगा फिर आपको कब देखेंगे , राजकुमारी ने सबके उदास चहरे देखे यह देख कर उन्हों ने कहा अब कोई मेरे जाने का दुख नहीं करेगा कल मेरा विवाह है में मरने थोड़ी वाली हु तब एक दासी ने कहा राजकुमारी शुभ शुभ बोलिए तब एक दासी कक्ष में आई और शिवन्या से कहा राजकुमारी आपके लिए राजकुमार वीरेन ने संदेश भिजवाया है , यह सुन कर राजकुमारी खुश हो गई और सब दासियो ने कहा.... अरे वाह राजकुमारी जी हमे पढ़के तो सुनाए तब राजकुमारी शिवन्या ने कहा, चुप हो जाओ तुम सब मेरे लिए आया है खत में ही अकेली इसे पढ़ूंगी चलो कक्ष से बाहर जाओ तुम सब, सब दासिया हस कर बाहर चली गई।

राजकुमारी ने संदेश खोला , लिखा था "प्रिय राजकुमारी शिवन्या,

कैसी है आप बढ़िया ही होंगी , मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा की कल हमारा विवाह होने जा रहा है , मुझे तो लगा था की आप विवाह के लिए मना ही कर देंगी पर आपने तो हा बोल दिया ,

एक सपने जैसा है सब कुछ , उपर वाले ने तो हमे सात जन्मों तक मिला दिया कल आपको विवाह के जोड़े में देखने के लिए बेताब हु , तो कल मिलते है आखिर में आपका होने वाला पति"।

यह खत पढ़के शिवन्या के चहरे से मुस्कान जा ही नहीं रही थी। रात हो चुकी वह अपने खत संभाल कर रख के सो गई

इस कहानी को यही तक रखते है कहानी का अंतिम भाग जल्द ही आयेगा।😊