राजकुमारी शिवन्या - भाग 2 Mansi द्वारा पौराणिक कथा में हिंदी पीडीएफ

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राजकुमारी शिवन्या - भाग 2

भाग २

अब तक आपने देखा कि निलंबा शिव के मंदिर गई थी सैनिकों को लेकर , उसने मन्नत मानली थी शिव जी की तो चलिए आगे देखते है।

जैसे ही निलंबा मंदिर से वापिस महल आयी , राजा विलम कहते है क्या हुआ निलंबे??
तब निलंबा बोलती है , है स्वामी आप बिल्कुल भी चिंता ना करे मेने भगवान शिव जी की मन्नत मांग ली है , अब आप देखना भगवान शिव जरूर हमारी संतान कि इच्छा पूरी करेंगे ।
अब आप भोजन ग्रहण कर लीजिए , राजा ने कहा चलिए साथ मे भोजन ग्रहण करते है । राजा रानी दोनों भोजन कर ही रहे थे तभी एक सैनिक उनके कक्ष के बाहर खड़ा हुआ था तब राजा ने कहा अरे सैनिक आओ कक्ष के भीतर ओर बोलो क्या कोई संदेश है??

तब सैनिक ने बोला नहीं महाराज महल के बाहर पास ही के राजा आए हुए है वे आपसे किसी गंभीर बात को लेकर चर्चा करने पधारे है , निलंबा ने कहा है राजन ऐसी क्या गंभीर बात हो सकती है??
राजा विलम ने कहा वह तो मिलकर ही पता चलेगी , राजा विलम ने कहा सैनिक राजा को सम्मान पूर्वक हमारे कक्ष में भेजो ओर वहा मदिरा का प्रबंध करो , सैनिक ने कहा जी जैसी आपकी आज्ञा। तब राजा ने कहा निलंबे मे मिलकर आता हूं , रानी ने कहा जी महाराज।

राजा तुरंत अपने शाही कक्ष में गए, वहा भीतर जाकर उन्होंने देखा महाराज वरिची आये हुए थे , राजा विलम ने कहा महाराज वरीची केसे है आप ?? दोनों राजा गले मिले राजा विलम ने उन्हे कहा आयिए अपना स्थान ग्रहण कीजिए, राजा वरिचि बैठे फिर राजा विलम ने कहा लीजिए मदिरा लीजिए ओर बोलिए इस वक्त केसे आना हुआ , सैनिक ने बताया कोई गंभीर विषय है ।
राजा वरीचि बोले जी राजा विलम बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हुई है हमारे पड़ोसी राज्य मे , राजा ने कहा ऐसा क्या हो गया??
वरीचि ने कहा वहा के राजा महर्षि का मुझे हाल ही एक संदेश आया है , हमारे दुश्मन राज्यों के दो राजा ने वहा पर हमला कर दिया है , राजा महर्षि हमे मदद के लिए अपने राज्य बुला रहे है, अगर हम नहीं गए तो उनकी सेना बुरी तरह से पराजित हो सकती है ओर हमारे मित्र महर्षि का राज्य दुश्मन राजा छीन लेंगे तो हमे तुरंत उनकी मदद के लिए रवाना होना चाहिए तो आप चलेंगे ना।

राजा विलम कहते है हा जरूर हमारे मित्र का राज्य खतरे मे है मित्र होने के नाते हमे हमारा फर्ज निभाना ही चाहिए , चलिए चले हम ।
राजा विलम तुरंत ही निलंबा को सारी बात बता दी , रानी ने उनको तिलक लगा दिया ओर बोला "है राजन अपने मित्र का राज्य बचा कर ही आना" ओर दोनों राजा अपनी सेना को लेकर दुश्मन राज्य पर हमला करने निकल गए ।

ओर यहां निलंबा अकेली थी , ऐसे ही २-३ दिन गुजर गए एक दिन रानी निलंबा अपने महल के बागीचे मे टहल रही थी ओर अचानक ही वह चक्कर खा कर गिर पड़ी , उनकी दासी ओ ने यह देखा ओर तुरंत ही उनको उठा कर उनके कक्ष में ले गई। ओर एक दासी ने उनकी एक पुरानी वैध है उनको बुलवाया ।

थोड़ी क्षण मे वैध वह आती है ओर रानी की जांच करती है , फिर वह कहती है मुबारक हो आपकी रानी मां बनने वाली है , तुरंत यह खबर राजा विलम तक भेजिए।

दोस्तो कहानी को यही तक रखते है , कहानी का भाग ३ जल्द ही आयेगा।
मे आशा करती हूं आपको कहानी पढ़ने मे आनंद आया होगा😊 मुझे भी लिखने में आनंद आया।