मुस्कुराने की वजह तुम हो DINESH KUMAR KEER द्वारा जानवरों में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

मुस्कुराने की वजह तुम हो

1. आदमी व कुत्ता

एक गाँव में किशन नाम का एक गरीब आदमी, अपने परिवार के साथ खुशी - खुशी रहते था। किशन का एक छोटा बेटा भी था। अचानक गाँव में सूखा पड़ गया, क्योंकि काफी समय से बारिश नहीं हुई थी। अब घर में एक समय के भी खाने के लाले पड़ गये।
किसी तरह गुजर - बसर चल रही थी कि अचानक बेटे को पीलिया हो गया। अब बहुत मुसीबत हो गयी थी। बेटे की दवाई के भी पैसे नहीं थे। रिश्तेदारों से माँगने पर भी वह भी मदद नहीं करते हैं। किशन ने अपनी पत्नी से कहा - "मैं शहर जाकर कुछ काम देखता हूँ।" यह कह - कर किशन शहर की ओर चल दिया। रास्ते में उसे एक कुत्ता मिला, जो बहुत दुःखी था। किशन के पास आने पर वह उसके पैर चाटने लगा। किशन जो बहुत दयालु था। कुत्ते को पुचकारने लगा। तभी कुत्ता उस किशन को पकड़ - कर एक घर में ले गया, जहाँ उसके दो छोटे - छोटे बच्चे थे। ऐसा लग रहा था कि वह कुत्ता अपने बच्चों की रक्षा के लिए कह रहा हो। किशन ने जब इशारे से पूछा तो पता चला, मानो कुत्ता कह रहा हो कि - "लालच की वजह से एक आदमी ने इन बच्चों की माँ को मरवा दिया हैं, क्योंकि हमारी मालकिन बहुत ही अमीर थी। वह उनको मारना चाहता था, पर हम लोग उसे डरा - कर भगा देते थे। अब उसने इसको भी मरवाने के लिए कुछ खिला दिया है। आप मेरे बच्चों को पाल लेना।" ऐसा कहते हुए उसके पास उन बच्चों की माँ के गले में बँधी सोने की चेन और घन्टी थी। उसने मालकिन का सारा धन - दौलत उसे दे दिया।
उसके बाद किशन उन दोनों बच्चों को लेकर घर आ जाता है। देखकर उसकी पत्नी चिल्लाने लगती है - "अभी अपने खाने व बच्चे की दवाई का ठिकाना नहीं है, ऊपर से ये और मुसीबत ले आये।"
तब वह आदमी किशन सारी बातें बताता है और अपने बच्चे का अच्छे से अच्छा इलाज कराकर ठीक करता है। अब दोनों कुत्ते के बच्चे और उसका बेटा दोस्त हो जाते हैं। उस किशन के दिन फिर से खुशहाली से भर जाते हैं।

संस्कार सन्देश :- कभी - कभी कुछ काम जो इंसान नहीं कर पाते, वह ये जानवर कर देते हैं।

2.
ये फिजा़, ये मौसम, ये नजारे रहे ना रहे
मगर मैं चाहुँ बस इतना तेरा मेरा साथ रहे
ना बिछड़े कभी हम एक दुजे से
हमारा प्यार युँ ही कायम रहे
साथ मे ना सही तो यादो में रहे
तु मुझे याद करे मैं तुझे याद करूँ
ये यादों का सिलसिला बस युँ ही चलता रहे

3.
मत पूछो कि आज किसका पलड़ा भारी है
इस पलड़े में तो कइयों की हिस्सेदारी है
बड़े - बड़े आ जाते हैं एक दिन घुटनों पर
आज है उनकी तो कल किसी और की बारी है

4.
पिया बसना नहीं तुम, कभी परदेश में
हम भटकने लगेंगे, विरहन के भेष में
वहां अफसराएं निकलतीं, अजीब पोशाक में
हम मिलेंगे सदा तुम्हें, भारतीय परिवेश में

5.
एक टीका काजल का लगा लो जरा
खुद को तुम आईनों से छुपा लो जरा
चांद भी कह रहा अब तुम्हें देखकर
रूप से रोशनी तो चुरा लो जरा