1. पहचान
एक बार अनीश अपने दोस्तों के साथ रोज की तरह स्कूल गया। उस स्कूल में अनिक नाम का लड़का नया - नया आया था। सभी ने उसकी ओर अपना मित्र बनाने के लिए हाथ आगे बढ़ाया, लेकिन उसने किसी की मित्रता स्वीकार नहीं की। उसे स्वयं पर बहुत ही अहंकार था। सभी उसके इस व्यवहार से अचम्भित थे। वह किसी से बात भी नहीं करता था। वह पढ़ने में होशियार था। कक्षा में अध्यापक जो भी पढ़ाते, वह तुरन्त समझ जाता था। अध्यापकों के द्वारा विषय से सम्बन्धित प्रश्न पूछने पर वह तुरन्त सबके उत्तर दे देता था।
एक दिन बच्चों द्वारा बताए जाने पर कक्षा - अध्यापक ने अनिक से पूछा कि - "क्या बात है, क्या तुम्हें यहाँ के बच्चे अच्छे नहीं लगते हैं?"
अनिक ने कहा कि - "नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है। मैं तो किसी अच्छे मित्र की तलाश में हूँ। मेरे माता - पिता ने कहा था कि मित्रता हमेशा अच्छे लोगों और बराबरी वालों के साथ करनी चाहिए, जो सदा तुम्हारे काम आये।"
अध्यापक अनिक की बात सुनकर बहुत खुश हुए और बोले कि - "जानते हो अनिक, सभी बच्चे तुम्हें क्या समझते है? वे तुम्हारे इस प्रकार के बर्ताव को देखकर तुम्हें अहंकारी समझते हैं। वे कहते हैं कि अनिक को होशियार होने के कारण बहुत घमण्ड है।"
"लेकिन मैं घमण्डी नहीं हूँ सर! मैं तो सिर्फ उन्हें परख रहा हूँ।"
"ये तो मैं भी जानता हूँ अनिक! लेकिन परखने का ये तरीका गलत है। तुम्हें सबके साथ उठना - बैठना चाहिए। सबके साथ पढ़ना - खेलना चाहिए। सबके साथ रहते हुए ही तुम अच्छे मित्रों की पहचान कर सकते हो।"
"सर! ये तो मैंने सोचा भी नहीं था। आज से मैं सभी के साथ पढूँगा, खेलूँगा और सबसे बातें करूँगा।" अनिक की बात सुनकर कक्षा - अध्यापक बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने सभी बच्चों से कहा कि, "आज से अनिक तुम सबके साथ पढ़ेगा, खेलेगा और बातें करेगा।" यह सुनकर सभी बच्चे बहुत प्रसन्न हुए।
संस्कार सन्देश :- हमें सभी के साथ मिलकर रहना चाहिए, तभी हम अच्छे और बुरे में पहचान कर पायेंगे।
2. अनीश का जन्मदिन
अनीश का जन्मदिन है, इसलिए वह बहुत खुश है। अनीश ने जन्मदिन की खुशियों को अच्छे से मनाने के लिए अपने माता - पिता से पार्टी करने की इजाजत माँगी।
अनीश के माता - पिता ने खुशी जाहिर करते हुए 'हाँ' कह दिया। माँ बोली - "बेटा! जल्दी से अब तैयार हो जाओ और स्कूल जाओ, वरना देर हो जायेगी।"
अनीश ने कहा - "माँ! रोज तो स्कूल जाता हूँ। आज जन्मदिन है मेरा आज नहीं जाऊँगा। शाम को पार्टी है, इसलिए सभी दोस्तों को अपने जन्मदिन पर आने का निमन्त्रण देना है।"
"ठीक है! न जाओ, नाश्ता तो कर लो।"
अनीश हाथ धोकर नाश्ता करने लगा। माँ ने फिर मुस्कुराते हुए कहा - "बेटा! तुम दोस्तों को निमन्त्रण देने स्कूल जाओगे कि उनके स्कूल से वापस आने का इन्तजार करोगे, क्योंकि तुम्हीं अक्सर कहते हो कि मेरे सभी दोस्त प्रतिदिन समय से स्कूल जाते हैं और ये बताओ कि आज के दिन अपने गुरूजनों का आशीर्वाद कब लोगे? वैसे तो तुम हमेशा कहते हो कि मैं अपने सभी गुरुजी को बहुत मानता हूँ, तो इस खास दिन में क्या तुम उनसे आशीर्वाद नहीं लोगे?"
अनीश अब विवश हो गया। उसको माँ की बातें समझ में आ गयीं। अनीश नाश्ता करके स्कूल के लिए तैयार होने लगा। माँ मुस्करायी और गले से लगाकर आशीर्वाद दिया। अनीश खुशी - खुशी स्कूल चल दिया।
संस्कार सन्देश: -
खुशी हो या गम।
स्कूल जायेंगे हम।।