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बिल्ली एक प्रेत

सभी पाठकों से निवेदन किया जाता है की ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और लेखक के मन में हुई एक अकस्मात उपज है। इस कहानी का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है।

इस कहानी में प्रयुक्त किए गए सभी स्थान और पात्र काल्पनिक है। लेखक ने ये कहानी सिर्फ मनोरंजन के लिए लिखी है। लेखक किसी भी प्रकार के अंधविश्वास को बड़ाबा नहीं देता है। अगर किसी व्यक्ति को भूत प्रेतों से डर लगता है तो वे कृपया इस कहानी को न पड़ें।

कायदे में रहो, फायदे में रहो।।


उपन्यास
बिल्ली एक प्रेत


रात का वक्त है। लगभग बारह बजे का समय होगा। अमावस्या की रात है इसलिए रोशनी का कहीं कोई नामोनिशान तक नज़र नहीं आ रहा है। खुनिस्तान नाम का एक गांव पूरी तरह से वीरान पड़ा हुआ नज़र आ रहा है। गांव काफी बढ़ा है। कच्चे पक्के काफी घर भी नजर आ रहे है। एक और स्कूल भी नजर आ रहा है। आसमान काले बादलों से घिरा हुआ है और अचानक से तेज बारिश होने लगती है। इस सुनसान रात में एक पेड़ की डाल पर बैठा उल्लू लगातार आवाज़ें निकाल रहा है और रोशनदान से एक घर के अंदर का नजारा घूरे जा रहा है। उसी घर के बाहर कई कुत्ते भी जोर जोर से भोंककर होने वाले किसी बड़े अपशगुन की और इशारा कर रहे हैं। एक जानलेवा सन्नाटा हर और पसरा हुआ है जो किसी व्यक्ति को डराने के लिए काफी है। झिंगुरो और जगनुओं का शोर रात की इस भयानक शांति में कुछ कुछ बाधा पैदा कर रहा है। अचानक से आसमान में तेज बिजली चमकती है और पूरे गांव में रोशनी सी हो जाती है मानो की कोई ट्यूबलाइट लगातार जल बुझ रही हो। बिजली की रोशनी के कारण जब प्रकाश रोशनदान से होकर अंदर जाता है तो अंदर का नजारा साफ नजर आने लगता है जिसे देखकर उल्लू भी जोर से चिलाते हुए वहां से उड़ जाता है और दूर किसी पेड़ की डाल पर बैठकर जोर से चिलाने लगता है और अपने साथियों को आवाज देने की कोशिश करता है।

रोशनदान वाला घर पूरी तरह से टूटा फूटा हुआ है। अंदर एक कमरे में घना अंधकार छाया हुआ है। लेकिन बीच में हवनकुंड है जिसमे आग जल रही है। इसी आग के कारण कमरे के अंदर कुछ कुछ रोशनी नजर आ रही है और सबकुछ धुंधला सा दिखाई पड़ रहा है आग के एक और एक नौजवान आदमी बैठा है जिसने अपने दोनों हाथ जोड़ रखे हैं और लगातार डर के मारे कांप रहा है। उसी नौजवान से सामने एक अघोरी बैठा है। उस अघोरी को अगर रात में कोई भी देख ले तो उसे साक्षात काल के दर्शन हो जाएं। अघोरी का मुंह पूरी तरह से कोयले की तरह काला है। गहरी बड़ी काले आंखें, काले होठ, बड़े बड़े भयंकर काले बाल जो उसके चेहरे को चारों और से घेर रहे हैं। वो अघोरी लगातार कुछ मंत्र बुदबुदा रहा है। अघोरी के पास में ही एक मुर्गी लाल धागों से बंधी हुई पड़ी है जो की अपनी जान बचाने के लिए लगातार तड़प रही है। अघोरी कुछ मंत्र बुदबुदाते हुए एक गहरा तीखा नुकीला चाकू उठाता है और उस मुर्गी को आग के ऊपर करके एक ही झटके में मुर्गी की गर्दन काट देता है। मुर्गी का सर कटकर आग में घिर जाता है और आग पहले से भी अधिक बढ़ जाती है। खून के कुछ छींटे सामने बैठे नौजवान के मुंह पर गिर पड़ते हैं जिसने वो पास में पड़े एक कपड़े से साफ करता है। मुर्गी का सर कटा शरीर अभी भी अघोरी के हाथ में है जो लगातार तड़प रहा है लेकिन अघोरी में मानों की जैसे दिल है ही नहीं। उस सर कटे शरीर से लगातार खून टपक रहा है जैसे की नल से पानी टपकता है।

अघोरी खून की बूंदे आग में गिराते हुए सामने बैठे आदमी की और देखते हुए जोर से बोलता है - " उस खून पीने वाली काली डायन को बाहर निकाल। वक्त आ गया है।"

ये सुनकर वो आदमी अपने दोनों हाथ जोड़कर हां में सिर हिला देता है और फिर तेजी से खड़ा होकर एक और पड़े थैले के पास जाता है। थैले के अंदर लगातार हलचल हो रही है शायद कोई अंदर है। थैले का मुंह ऊपर से बंद है। वो आदमी कांपते हुए हाथों से उस थैले को उठाता है और उस अघोरी के पास लाकर उसे ऊपर से खोल देता है। थैले के खुलते ही एक काली बिल्ली बाहर निकलती है जिसकी आंखें गहरी लाल है मानों उसकी आंखों में खून उतर आया हो। पूरा शरीर गहरा काला है। कहीं पर और किसी रंग का कोई निशान नज़र नही आ रहा है। बिल्ली जोर से चिलाती है " म्याऊं, म्याऊं, म्याऊं।"

बिल्ली इतनी भयानक आवाज में चिलाती है की वो आदमी पसीने से भीग जाता है तभी वो अघोरी खून की बूंदे उस बिल्ली पर डालते हुए बोलता है - " डरना मना है क्योंकि जो डर गया वो मर गया।"

ये सुनते ही वो आदमी अपने डर पर काबू करने लगता है। वो बिल्ली अचानक से वहां से भागने लगती है लेकिन वो अघोरी उस बिल्ली को गर्दन से पकड़ लेता है और जोर से चिलाता है - " आज नहीं भाग सकती तूं। इस अघोर से भाग पाना असम्भव है। तेरे जैसी लाखों डाकनियों को मैने उनकी असली औकात दिखाई है फिर तूं मेरे सामने क्या चीज है। क्यों बे छोकरे।"

ये सुनते ही पास खड़ा आदमी डरते हुए अपने दोनों हाथ जोड़कर बोलता है - " जी गुरुदेव। बिल्कुल सही फरमाया आपने।"

इतना कहकर उस अघोरी ने उस बिल्ली को आग के ऊपर से सात बार घुमाया और फिर उसे उसी थैले में डालकर बंद कर दिया।

अघोरी खड़ा होते हुए बोला - " इस बिल्ली में कोई आम आत्मा नहीं है। कोई डायन है ये। खून चूसने वाली डायन। काली शक्तियों की महारानी है ये। किसी भी तंत्र मंत्र विद्या से इस बिल्ली को नहीं मारा जा सकता है। ये अमर है।"

ये सुनकर वो आदमी बुरी तरह डर गया और डरते हुए बोला - " गुरुदेव फिर हम क्या करेंगे। मुझे वो फैक्ट्री हर हाल में चाहिए और जब तक ये बिल्ली उस फैक्ट्री की देखभाल कर रही है मैं उस फैक्ट्री की और आंख उठाकर भी नहीं देख सकता। आप जानते है ना.....।"

उस आदमी के आगे कुछ बोलने से पहले ही वो अघोरी भयानक सी आवाज में बोल पड़ा - " जानता हूं मैं की तुमने धोखे से उस फैक्ट्री पर कब्जा किया है और उसके मालिक को भी जहर देकर मारा है। उस फैक्ट्री के तुमने झूठे कागजात बनवाए है। इस बिल्ली को मार पाना तो असंभव है लेकिन मैने इस पर एक ऐसी तंत्र मंत्र की विद्या लगाई है की अब ये वापिस कभी फैक्ट्री में नहीं जा पाएगी। वो फैक्ट्री तुम्हारी हो जायेगी लेकिन ........।"

आदमी अपने दोनों हाथ जोड़ते हुए - " लेकिन क्या? गुरुदेव।"

अघोरी - " इस बिल्ली को किसी चौराहे पर छोड़कर आना होगा तभी ये तंत्र विद्या सफल मानी जाएगी। अब उठाओ इस थैले को और चौराहे के बिलकुल बीचों बीच ले जाकर खोल देना।"

आदमी डरते हुए - " लेकिन गुरुदेव बिली मेरे पीछे आ गई तो।"

अघोरी जोर से चिलाते हुए - " तुझे कितनी बार समझाया है की डर मत जो डर गया वो मर गया। ये बिल्ली तेरे पीछे नहीं आयेगी बस इतना ध्यान रखना की पीछे मुड़कर मत देखना। तुझे ये जरूर लगेगा की कोई तेरा पीछा कर रहा है लेकिन चाहे कुछ भी हो जाए पीछे मुड़कर मत देखना। समझा।"

आदमी ने वो थैला उठाया और डरते हुए चुपचाप हां में सिर हिला दिया।

अघोरी खड़ा होते हुए - " जल्दी जा और जल्दी आ। काम होते ही हम दोनों इस खुनिस्तान से भाग निकलेंगे। वापिस कभी जहां आयेंगे भी नहीं।"

आदमी तेजी से घर से बाहर निकल गया और चारों और नज़र दौड़ाई। बाहर घना अंधकार छाया हुआ था। रात के एक बजे का समय था। वो आदमी थर थर कांपने लगा। बाहर बहुत तेज बारिश हो रही थी। बिजली तेजी से कड़क रही थी और एक उसके पास वाले थैले में वो बिल्ली लगातार आवाज़ें कर रही थी और बाहर आने के लिए छटपटा रही थी। उस आदमी ने एक लंबी सांस भरी और उस थैले को कार में रखा और फिर कार स्टार्ट करके तेजी से चौराहे की और निकल गया। आदमी ने एक और कार रोकी और बाहर निकलकर उस थैले को अपने हाथ में उठाया और धीरे धीरे अपने कदमों को घसीटते हुए चौराहे की और बढ़ाने लगा। दूर दूर तक कोई भी नज़र नहीं आ रहा था। अगर नजर आ रहा था तो सिर्फ एक घना भयानक खौफनाक अंधेरा और जानलेवा सन्नाटा।

उस आदमी ने चौराहे के बिलकुल बीचों बीच ले जाकर उस थैले को रख दिया और फिर कंपकंपाते हुए हाथों से अपना मुंह दूसरी और करके उस थैले को खोल दिया और तेजी से वहां से जाने लगा। अचानक से उसे लगा की कोई उसका पीछा कर रहा है लेकिन अघोरी की बात को याद करते हुए पीछे मुड़कर देखने की उसकी हिम्मत भी नहीं हो रही थी। उस आदमी ने अपने कदम तेजी से कार की और बढ़ा दिए। अचानक से एक काली परछाई उसे अपने सर पर नजर आई जिसके बाल खुले हुए थे। उसका साया उसे अपने बिलकुल सामने दीवार पर नजर आ रहा था। वो आदमी थर थर कांपने लगा और अचानक से किसी औरत के जोर जोर से हंसने की आवाज और पायलों की आवाज उसके कानों में आने लगी। वो आदमी इतना डर गया की डर के मारे उसकी एक जोरदार चीख निकल गई और उसके अपनी पेंट में ही पेशाब कर दिया लेकिन अभी भी उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा था। अचानक से किसी ने उस आदमी के कंधे पर हाथ रखा और धीरे से उसके कान में किसी औरत की आवाज आई " तुम्हें फैक्ट्री चाहिए। मैं देती हूं तुम्हें फैक्ट्री ।"

ये सुनकर वो आदमी इतनी जोर से कांपने लगा की जैसे कोई स्प्रिंग दबाने पर कंपन करने लगता है।

वो आदमी थर थर कांपते हुए तेजी से कार की और भागने लगता है तभी अचानक से उसके आगे वही काली बिल्ली आ जाती है जिसे उसने अभी पीछे चौराहे पर छोड़ा था। उस आदमी ने उस बिल्ली को देखने के लिए जैसे ही पीछे सर किया एक काला साया उस पर लिपट गया और उसने अपने दांत उसकी गर्दन में चूभो दिए। आदमी सड़क की दूसरी और कुछ पौधों के बीच में जा गिरा और वो काला साया भी। वो काला साया धीरे से उस आदमी के कान में बोला " उस बूढ़े ने कहा था ना की पीछे मत देखना फिर क्यों देखा।"

वो आदमी जोर जोर से दर्द से कराह रहा था और कुछ ही देर में उस आदमी का शरीर पूरी तरह से सफेद पद गया था। उस काले साए ने उसका सारा खून चूस लिया था। वो काला साया खड़ा हुआ और एक बिल्ली में बदल गया वही बिल्ली जो इस आदमी ने चौराहे पर छोड़ी थी। वो बिल्ली चौराहे के पास एक और सड़क पर इकट्ठी होकर बैठ गई किसी नए मोहरे की तलाश में। कहीं अगला शिकार आप तो नहीं है।

इधर एक घर के बाहर अघोरी एक स्कूटर को स्टार्ट करके उसका गियर डालते हुए बोला - " जो डर गया वो मर गया। वो डरपोक इसी के लायक था। उसमें जीने की हिम्मत थी ही नहीं। अब इस खुनिस्तान में कहर आएगा। हर एक इंसान मर जायेगा अब। कोई नहीं बचेगा।"

इतना कहकर उस अघोरी ने बाइक स्टार्ट की और तेजी से वहां से निकल गया कभी वापिस खुनिस्तान में न आने के लिए।।


सतनाम वाहेगुरु।।

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