पिछल परी - भाग 2 भूपेंद्र सिंह द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

पिछल परी - भाग 2

नानी की नज़र अचानक से ही दरवाजे पर पड़ गई जिस जगह खड़ा होकर रॉकी सारी बातें चुपचाप सुन रहा था। नानी को अपनी और देखकर रॉकी तेजी से दीवार के पीछे छिप गया।
चौकीदार नानी की और देखते हुए बोला , क्या हुआ मालकिन सब ठीक तो है ना? आप उस और ऐसे क्यों देख रही हैं वहां पर तो कोई भी नहीं है।
नानी अपने होठों पर अंगुली रखकर चौकीदार को चुप रहने का इशारा करने लगी और चौकीदार भी थोड़ा सा भयभीत होकर खामोश हो गया। नानी ने धीरे धीरे अपने कदम उस और बढ़ा दिए जिस जगह रॉकी खड़ा था। रॉकी को जैसे ही नानी के कदमों की आवाज़ सुनाई दी तो वो भी भयभीत हो गया।
नानी धीरे धीरे दीवार के पास चली गई और जैसे ही पिलर के पीछे देखा तो वहां पर कोई भी नज़र नहीं आ रहा था। रॉकी पीछे एक सोफे के पीछे छिप गया था। नानी वापिस चौकीदार के पास आ गई और बोली , जितना मैने कहा है उतना काम हो जाना चाहिए। पिछल परी के राज़ को राज़ ही रहना चाहिए। समझे।
चौकीदार ने हां में सिर हिला दिया और वहां से विदा ली।
रॉकी भी वहां से निकला और सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपर चला गया। ऊपर एक कमरे के आगे विजय खड़ा हुआ था। विजय रॉकी को देखते ही बोला , यार रॉकी तूं अचानक से कहां पर गायब हो गया था। मैने सारी हवेली छान मारी और तूं मुझे कहीं भी नहीं मिला। अब आजा। ये है हमारा कमरा जिसमे हम दोनों सोएंगे। पास वाला कमरा उन दोनों डरपोकों मोनिका और मोंटी का है। तुझे मालूम है ना की आज की रात हमें क्या करना है? हमने बाहर ढाबे में क्या प्लान बनाया था।
रॉकी ने चुपचाप हां में सिर हिलाया और अंदर चला गया। विजय भी उसके पीछे पीछे अंदर कमरे में चला गया। रॉकी ने दरवाजा बंद कर दिया और खिड़की के पास खड़े होते हुए बोला , आज नानी किसी खुफिया कमरे की बात कर रही थी।
विजय रॉकी के पास जाते हुए बोला , खुफिया कमरा? कौनसा खुफिया कमरा?
रॉकी खिड़की से बाहर काले जंगल पर नजर दौड़ाते हुए बोला, ये तो मुझे भी नहीं पता है लेकिन नानी उस चौकीदार से कह रही थी की वो खुफिया कमरा कभी खुलना नहीं चाहिए और उस पिछल परी का राज़ भी हमेशा राज़ ही रहना चाइए। बड़ी बहकी बहकी बातें कर रही थी नानी। मेरे तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था।
विजय हल्की सी हंसी में , यार तूं भी ना नानी की बातों में उलझ कर रह गया है। ये पिछल परी हकीकत नहीं है ये सिर्फ और सिर्फ एक सपना है। अब छोड़ उस पिछल परी को अपने प्लान पर ध्यान दे आज हम एक नकली पिछल परी बनाएंगे।
इतना कहकर विजय ने बेड पर पड़ी एक हल्की सी ऊनी सफेद चादर को अपने हाथों में उठा लिया और उसे हवा में घुमाते हुए गौर से देखने लग गया लेकिन रॉकी तो अभी भी नानी की बातों में उलझा हुआ था।
रॉकी अपने मन में सोच रहा था , आखिर नानी किस खुफिया कमरे की बात कर रही थी? और कौनसा राज़ है जो इतने सालों से छुपाया गया है। क्या सच में पिछल परी होती है? अगर होती है तो ये पिछल परी रहती कहां है? क्या नानी को पिछल परी के बारे में मालूम है।
रॉकी इस तरह के ख्यालों में उलझा हुआ था तभी विजय ने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला , यार रॉकी आज तुझे क्या हो गया है? तेरी ये खामोशी ना मुझे बहुत खल रही है। मैने तो सोचा था की जब तूं जहां आएगा तो हम दोनों मिलकर खूब मस्ती करेंगे। भूत बनकर उन दोनों डरपोकों को हराएंगे लेकिन जहां तो सबकुछ उल्टा हो गया। तूं तो आते ही नानी की बातों में उलझकर रह गया। अरे! यार नानी की बातों पर ज्यादा ध्यान मत दे नानी तो बूढ़ी हो चुकी हैं बेवजह ही ऐसी बहकी बहकी बातें करती रहती हैं। ये पिछल परी, भूत प्रेत ये सब ना फालतू के टोटके हैं लोगों के पास असल जिंदगी में ना तो कोई भूत होते हैं और ना ही कोई पिछल परी और ये बात तो ढाबे में तूने खुद कही थी ना।
रॉकी ने विजय की और देखा और उससे उस चादर को लेकर हवा में घुमाते हुए बोला , एक वादा कर की तूं नानी से कुछ नहीं कहेगा। नानी को ये भी मत बताना की मैने छिपकर उनकी बातें सुनी थी।
विजय , अरे! यार पक्का किसी को भी नहीं बताऊंगा?
रॉकी ने वो चादर अपने ऊपर ले ली और बोला , आज फिर भूत बनने के लिए तैयार हो जा। आज अगर उस मोंटी की पेंट गीली नहीं करवाई ना तो फिर मेरा नाम भी रॉकी नहीं।
विजय हंसते हुए , वाह! मेरे दोस्त ये हुई ना मर्दों वाली बात। हां लेकिन भूत ज्यादा डरावना भी मत बनना कहीं उन दोनों को हार्ट अटैक ही आ जाए।
रॉकी हल्की सी हंसी में , अरे! बस तूं देखता जा उन दोनों के पसीना भी निकल जायेगा और उन्हें हार्ट अटैक भी नहीं आएगा। अच्छा अब ये बता की वो नकली नाखून कहां है। रात के बारह बजने वाले हैं। लगता है वे दोनों मज़े से सो रहे हैं। चल आज उनके चेहरों पर बारह बजाते हैं।
इधर दरवाजे के बाहर कान लगाकर मोंटी और मोनिका इन दोनों की सारी बातें सुन रहे थे।
मोंटी गुस्से से अपने दांत रगड़ते हुए बोला, "तो ये दोनों हमें उल्लू बनाने की प्लानिंग में लगे हुए हैं। इन्हें तो इनकी असली औकात आज मैं दिखाऊंगा।"
इतना कहकर मोंटी ने दरवाजे को खोलने के लिए अपना हाथ बढ़ाया ही था की मोनिका ने उसका हाथ पकड़कर उसे अपनी और खींच लिया और बोली , "तूं पागल हो गया है क्या मोंटी? बदला लेने के और भी बहुत से तरीके होते हैं। इन्हें लगता है की ये दोनों हमें डराएंगे लेकिन वादा रहा आज हम इन दोनों को भूत बनकर डरा देंगे। कहते है ना की जो लोग दूसरों के लिए गड्ढा खोदतें हैं वे खुद ही एक दिन उसमें गिर जाते हैं। हम इन दोनों के साथ में भी कुछ ऐसा ही करेंगे।"
मोंटी उलझन में अपना सर खुजाते हुए धीरे से बोला, "तूं आखिर कहना क्या चाहती है?"
मोनिका ने मोंटी का हाथ पकड़ा और उसे कमरे में ले गई। मोनिका ने अलमारी खोली और एक काली चादर निकालते हुए बोली, "आज हो जाए सफेद चादर और काली चादर का मुकाबला। उन दोनों को हम बुरी तरह डरा देंगे।"
मोंटी , "लेकिन यार तुझे मालूम है ना की वे दोनों बिल्कुल भी नहीं डरते हैं और हम दोनों तो एक नंबर के डरपोक हैं। अगर वे दोनों नहीं डरे तो।"
मोनिका मोंटी के पास आई और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोली, "रिलेक्स पांडा। डोंट वरी आज देखना तूं मोनिका भूतनी का कमाल। इतना कहकर मोनिका ने अपने बाल खोल लिए और चेहरे के आगे कर किए। मोनिका अपने बालों को और अपने सर को गोल गोल घुमाते हुए बोली, "अब बताओ मैं लग रही हूं ना असली डायन।"
मोंटी हंसते हुए बोला, "बाप रे तूं तो बिलकुल ही असली डायन लग रही है। तुझे देखकर तो मुझे भी डर लग रहा है।मान गए यार तुझे।"
मोनिका अपने बाल सही करते हुए बोली, "अब तो वे दोनों डर जायेंगे।"
मोंटी , "वे दोनों क्या बड़े बड़े डर जायेंगे तेरा ये रूप देखकर तो।"
मोनिका बेड पर लेटते हुए बोली , "चल अब जल्दी से सोने की एक्टिंग करते हैं। और हां कहीं तूं सच में मत सो जाना पांडा कहीं के।"
मोंटी एक और पड़े सोफे पर लेटते हुए बोला, "पता नहीं है यार मेरा कब नींद आ जाए। चल आखिर हम भी तो देखें की वे दोनों हमारे साथ क्या खेल खेलेंगे?"
इधर धीरे से रॉकी ने कमरे का दरवाजा खोला और बाहर चारों और नज़र दौड़ाते हुए अपने पीछे खड़े विजय की और देखकर बोला , "अब जल्दी कर हमारे पास ज्यादा वक्त नहीं है। रात बहुत हो चुकी है। लगता है की सब लोग सो गए हैं। इसीलिए बाहर कोई भी नज़र नहीं आ रहा है।"
इतना कहकर रॉकी कमरे से बाहर निकल गया और उसके पीछे पीछे विजय भी बाहर आ गया।
रॉकी ने विजय के हाथ से वो चादर पकड़ी और बोला , "प्लान के मुताबिक मैं नीचे ग्राउंड में जाता हूं और तूं उन दोनों डरपोकों को वहां पर लेकर आना। उन दोनों के नीचे आते ही हम उन्हें मिलकर डराएंगे। जैसे ही वे दोनों बुरी तरह डर जायेंगे तब हम दबे पांव अपने कमरे में आकर सो जायेंगे और अनजान बनने के नाटक करेंगे। समझ गया ना तूं।"
विजय ने हां में सिर हिला दिया। रॉकी ने वो नकली नाखून लगाए और वहां से चला गया।
इधर मोनिका और मोंटी अपने कमरे में सोने का नाटक कर रहे थे तभी उनके दरवाजे को धीरे से विजय ने खटखटाया और बोला , "आ जाओ।"
विजय इतनी डरावनी आवाज़ में बोला था की मोनिका अचानक से उठकर बेड पर बैठ गई तभी उसके पास सोफे पर लेटा मोंटी भी उठ गया और धीरे से बोला , "ये विजय की आवाज लगती है। वो हमें डराना चाहता है।"
मोनिका ने खुद को संभाला और खड़ी होकर मोंटी की और देखकर धीरे से बोली, "चल हम भी डरने का नाटक कर लेते हैं।"
इतना कहकर मोनिका ने वो चादर उठाई और धीरे से दरवाजे के पास जाते हुए बोली , "कौन है बाहर?"
लेकिन बाहर से कोई ज़बाब नहीं आया। मोंटी ने अपने इशारे से मोनिका को दरवाजा खोलने का इशारा किया। मोनिका ने दरवाजा खोल दिया और बाहर निकल गई लेकिन बाहर तो कोई भी नज़र नहीं आ रहा था। हर और घना अंधेरा छाया हुआ था। इतने में एक और किसी ने पर्दा हिलाया।
मोनिका धीरे से बोली , "लगता है की विजय वहां पर है।"
मोनिका और मोंटी उस और कदम बढ़ाते हुए बोले , "कौन है वहां? देखो हमें डराने की कोशिश मत करो हम किसी से भी नहीं डरते हैं।"
परदे के पीछे छिपा हुआ विजय परदे को जोर से हिलाते हुए अपने आप से धीरे से बोला , "ये तो वक्त ही बताएगा बच्चू की कौन किससे कितना डरता है? एक बार बस तुम दोनों मेरे साथ नीचे गार्डन में आ जाओ फिर मैं तुम दोनों को तुम्हारी असली औकात दिखाता हूं।"
इतना कहकर विजय धीरे धीरे अपने जूते खटखटाते हुए नीचे गार्डन की और भाग गया। मोनिका और मोंटी भी उसके पीछे भागते हुए बोले , "कौन है वहां? रुको? कौन है?"
इतना कहकर वे दोनों हवेली के दूसरे गेट के पास जाकर खड़े हो गए। इस गेट के बाहर सीधे ही गार्डन था।
मोनिका मोंटी का हाथ पकड़ते हुए सामने लगे फव्वारे की और इशारा करते हुए बोली , "लगता है की वे दोनों उसके पीछे छिपकर खड़े हैं। मैं धीरे से पीछे से जाऊंगी और इन दोनों को डरा डालूंगी?"
मोंटी ने भी हां में सिर हिला दिया। मोनिका ने अपने बाल खोल लिए और अपने आप को उस काली चादर से कवर कर लिया। मोनिका तो सच में ही कोई काली डायन लग रही थी।
इतना कहकर मोनिका पीछे पौधों के पीछे छिप छिपकर जाने लगी और मोंटी भी ग्राउंड में एक और छिपकर खड़ा हो गया। बाहर बहुत अंधेरा था। जंगल से आ रही कूतों के भौंकने की आवाज़ें मोंटी को अंदर ही अंदर से डरा रही थी।
एक और पेड़ के पीछे छिपकर खड़े विजय और रॉकी आपस में कुछ फुसफुसा रहे थे।
रॉकी ने खुद को सफेद चादर से अच्छी तरह कवर कर रखा था और उसके नकली बड़े बड़े काले और खून से रंगे हुए नाखून किसी को डराने के लिए काफ़ी थे।
रॉकी धीरे से विजय के कोहनी मारते हुए बोला, "तूं करके क्या आया है? उन दोनों को अबतक तो आ जाना चाहिए था? वे दोनों अब तक हवेली से बाहर क्यों नहीं निकले?"
विजय दूसरी और दूसरे दरवाजे की और इशारा करते हुए बोला , "हो सकता है की हम दोनों पहले दरवाजे के बाहर ढेरा लगाकर बैठे रहें और वे दोनों दूसरे दरवाजे से बाहर निकल गए हों।"
रॉकी पेड़ के पीछे से बाहर निकला और ग्राउंड में अपना कदम रखते हुए बोला , "हो सकता है चल वहां पर चलकर देखते हैं की आखिर चल क्या रहा है?"
इतने में ही उन्होंने सामने फव्वारे के पास जो नजारा देखा उसे देखकर उन दोनों की आंखे फटी की फटी रह गई। इधर मोंटी ने उस नज़ारे को देखकर पेंट में ही पेशाब कर डाला।
मोनिका ने जब उस नजारे को देखा तो वो भागकर एक पेड़ के पीछे छिप गई।।