साथिया - 58 डॉ. शैलजा श्रीवास्तव द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

साथिया - 58

*अक्षत का रूम*

अक्षत आँखे बन्द किये सोफे पर बैठा हुआ था।

" दिन गुजर रहे बैचैनियों में...!!
रातें तेरी यादों के सहारे...!!
यूं तो जीत लिया जग सारा पर..!
हम आखिर खुद से ही हारे..!!

न आहट है न तेरा निशां कोई..!
फिर भी उम्मीद है कि टूटती नही..!!
जानता कि तुम नही हो मगर..!
इंतजार की ये लत छूटती नही..!!

कोई तो इशारा कोई तो खबर दे मुझे..!
भीड़ दुनियाँ की बहुत कहाँ ढूंढूँ तुझे..!!"
निर्मोही इस कदर भूल के तु मुझे...!
चैन मिलता है भला कैसे मेरे बिन तुझे..!!

"मिसेज चतुर्वेदी...! कहाँ हो आप...?? आ जाओ न वापस क्यों तड़पा रही हो मुझे।" अक्षत बोला और आंखें खोलीखोली। ।

आंखें एकदम सुर्ख लाल हो रही थी और पूरी भरी हुई थी।

अक्षत ने हैंकी निकाला और अपनी आंखों को साफ करके नजर सामने की दीवार पर डाली तो साँझ का मुस्कुराता हुआ चेहरा उसकी आंखों के सामने आ गया। उस दीवार पर तो क्या पूरे कमरे की हर दीवार पर सिर्फ और सिर्फ साँझ की तस्वीरें थी जो अक्षत अब तक खींचना आया था।

कुछ तस्वीरें ऐसी थी जो साँझ को पता भी नहीं था कि अक्षत ने खींची है यह तब की तस्वीर थी जब अक्षत ने साँझ से अपने प्यार का इजहार भी नहीं किया था, तो कुछ तस्वीरें बाद की थी साँझ की बर्थडे की कुछ तो कुछ उन दोनों के साथ घूमने की किसी में अक्षत उसके साथ था तो किसी में सिर्फ साँझ अकेली साँवली सलोनी मुस्कुराती हुई।

अक्षत उठा और फिर सामने लगी एक तस्वीर से हाथ लगाया यह तस्वीर उस दिन की थी जब अक्षत और साँझ आखरी बार मिले थे...।। जब अक्षत अपनी ट्रेनिंग के लिए जाने वाला था और साँझ उदास थी। उसकी आंखें भरी हुई थी पर अक्षत के कहने पर उसने अपने आंसुओं को छुपा कर अक्षत को मुस्कुरा कर दिखाया था और उस मूवमेंट को अक्षत ने अपने मोबाइल में कैद कर लिया था। इस तस्वीर में साँझ की आंखें भरी हुई झिलमिलाई हुई थी तो वही चेहरे पर मुस्कुराहट थी।

अक्षत ने वह तस्वीर उतार कर अपने सीने से लगा ली।।

"साँझ काश की मैं सब कुछ सही कर पाता??? काश कि में समय को इसी दिन आकर रोक देता जब मैं और तुम आखरी बार मिले थे और तुम्हें कहीं नहीं जाने देता....!!

काश कि मैंने जाने से पहले ही शादी कर ली होती और तुम्हें अपने मम्मी पापा के पास छोड़कर जाता तो तुम सुरक्षित होती यहां होती...!!
काश की मैंने तुम्हें तुम्हारे गांव जाने से रोक दिया होता। मैंने मना कर दिया होता कि मत जाओ जब तक मैं नहीं आता..!!

काश कि मुझे तुम मिल जाती पर क्या करूं मैं साँझ कहाँ ढूँढू तुम्हें? तुम्हे ढूंढते हुए तुम्हारे कॉलेज से एड्रेस निकलवा कर तुम्हारे गांव तक गया पर वहां से भी कुछ नहीं मिला। तुम्हारे चाचा चाची भी गांव छोड़कर ना जाने कहां चले गए हैं। रोज ढूंढता हूं तुम्हें हर पल ढूंढता हूं तुम्हें पर कहीं पर से कुछ पता नहीं चलता। कहां हो साँझ तुम कुछ तो बताओ मुझे..!! प्लीज वापस आ जाओ...।।

जानती हो ना तुम्हारे जज साहब तुम्हे कितना प्यार करते हैं फिर क्यों इस तरीके से लुका छुपी खेल रही हो मेरे साथ? क्यों नहीं आ रही हो सामने?
मैं जानता हूं कि तुम ठीक हो तुम्हें कुछ हो ही नहीं सकता...।। वह गांव वाले कह रहे थे कि तुम अब इस दुनिया में नहीं हो पर मैं किसी की बात नहीं मान सकता। कभी नहीं मानूंगा। उन्होंने खुद तुम्हारी बॉडी नहीं देखी है तो वह कैसे कह सकते हैं कि तुम इस दुनिया में नहीं हो? मैं जानता हूं कि तुम हो कहीं तो हो इस दुनिया में और मुझे जरूर मिलेगी...।। मेरा दिल सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे इंतजार में धड़क रहा है साँझ और जिस दिन मेरे दिल ने यह विश्वास कर लिया कि तुम अब इस दुनिया में नहीं हो तो शायद धड़कन भी बंद हो जाएगी क्योंकि मैं जिंदा हूं तो सिर्फ तुम्हारे लिए
जी रहा हूं तो सिर्फ तुम्हारे इंतजार में वरना ना जाने कब का खत्म हो चुका होता।

जानता हूं कि यह बोलना गलत है पर मैं भी क्या करूं नहीं जिया जाता मुझसे तुम्हारे बिना...।। तुम्हारी यादों के सहारे पिछले दो साल से जी रहा हूं। सब कुछ छोड़ने का दिल करता है। कहीं भाग जाने का दिल करता है पर जब मम्मी और पापा के बारे में सोचता हूं तो मजबूर हो जाता हूं और निकल पड़ता हूं फिर से इस डेली रूटीन पर वही कोर्ट वही केसज वही घर...!! सब कुछ है पर फिर भी कमी है बहुत बड़ी कमी है साँझ। मेरी लाइफ अधूरी है तुम्हारे बिना...।। मेरे लिए यह रिश्ता कोई ऐसा ही रिश्ता नहीं था , दिल की गहराइयों से जुड़ा रिश्ता था हमारा साँझ...।। बहुत सालों तक इंतजार किया था मैंने तुम्हारे साथ का तुम्हारे प्यार का..।। नहीं पता था कि इस तरीके से सब कुछ खत्म हो जाएगा।

सब कहते हैं कि मैं भूल जाऊं तुम्हें और आगे बढ़ जाऊं पर क्या भूलना इतना आसान है?
भूल सकता है कोई उसे जो उसकी धड़कनों तक में समाया हो...?? भूल सकता है क्या कोई उसे जिसे वह दुनिया में सबसे ज्यादा प्यार करता हो....?? भूल सकता है क्या कोई उसे जिसकी एक आहट को भी पहचान लेता हो और उस एक आहट के इंतजार में जी रहा हो।

नहीं भूल सकता...।। तुम मुझे मिलो ना मिलो पर मैं इंतजार करूंगा और जानता हूं ईश्वर इतना कठोर नहीं हो सकता कि तुम मुझे कभी मिलो ही ना। तुम मुझे मिलेगी कभी ना कभी जरूर मिलेगी जानता हूं मैं। और बस एक बार तुम मेरे सामने आ जाओ फिर मैं तुम्हें अपनी नजरों से दूर होने ही नहीं दूंगा। दुनिया इधर से उधर हो जाए पर फिर कोई भी अक्षत और साँझ को कभी अलग नहीं कर पाएगा। बस तुम एक बार मेरे सामने आ जाओ एक बार मुझे बताओ कि आखिर हुआ क्या है फिर तुम देखो तुम्हारे जज साहब क्या करते हैं? तुम्हारी आंख से गिरे एक-एक आंसू का हिसाब ले लूंगा मैं क्योंकि मैं जानता हूं कि अगर तुम यहां नहीं हो तो इसमें तुम्हारी मर्जी शामिल नहीं है।

तुम मजबूर हो इसीलिए मेरे सामने नहीं आ रही हो। इसीलिए यहां मुझे नहीं मिल रही हो वरना अपने जज साहब के बिना तो तुम भी नहीं रह सकती थी सच कह रहा हूं ना मै साँझ? " अक्षत ने तस्वीर को देखते हुए कहा और फिर तस्वीर को वापस से टांग दिया।

दरवाजे पर खड़ी मनु भरी आंखों से उसे देख रही थी।

अक्षत ने जैसे ही मनु की तरफ देखा। मनु आकर एकदम उसके गले लग गई।।

"क्या हुआ?" अक्षत ने उसके सिर पर हाथ रखा।

"बस करो अक्षत छोड़ ना यह सब..। प्लीज आगे बढ़ने की कोशिश करो क्यों वाहि रुके हुए हो ?? कब तक इस तरीके से खुद को तकलीफ देते रहोगे? बस करो नहीं देखा जाता मुझसे? प्लीज अक्षत अपने आप को आजाद करो साँझ की यादों से मुझे लगता है अब वह कभी वापस नहीं आएगी....। होती तो आती पर वो दुनियाँ में नही है।" मनु ने कहा।

एक झटके से अक्षत ने उसे खुद से दूर किया तो मनु सम्हल नहीं पाई और वहीं सोफे पर गिर गई।

अक्षत की आंखें एकदम लाल हो रही थी और चेहरा गुस्से से कांप रहा था।

" कहा था ना मनु दोबारा कभी ऐसा मत कहना। उस दिन भी कहा था ना मैं की कभी मत कहना कि साँझ नहीं है। मैं मान ही नहीं सकता की साँझ नहीं है इस दुनिया में। वह है और वह वापस आएगी और मैं नहीं निकलना चाहता उसकी यादों के बाहर...!!
नहीं निकलत मुझे...!!

मेरे लिए उसकी यादें ही काफी है..!!.अगर मेरी किस्मत में उसका साथ होगा तो वह वापस मेरी जिंदगी में जरूर आएगी और अगर नहीं होगा तो उसकी यादें ही काफी है मेरे लिए क्यों नहीं समझते हो तुम लोग सच्चा प्यार किया है मैंने उससे कोई मजाक नहीं....!!अक्षय बोला।

" अगर ऐसा ही है तो प्यार सिर्फ तुम्हारी तरफ से है? उसकी तरफ से क्यों नहीं? क्यों चली गई वह इस तरीके से कहां गायब हो गई? क्यों नहीं एक बार भी तुमसे मिलने की तुमसे बात करने की कोशिश की? क्यों नहीं? इसका मतलब तो यही है कि वह तुम्हें भूलकर आगे बढ़ चुकी है या फिर इस दुनिया में नहीं है..!" मनु को भी गुस्सा आ गया।

" जानता हूं मैं बहुत भोली है वह। मजबूर कर दिया होगा उसे उसके घर वालों ने उसके परिवार ने या फिर दुनिया वालों ने..!! मजबूर होगी वह इसलिए नहीं आ रही है वरना मेरी साँझ मेरे साथ धोखा कभी कर ही नहीं सकती...।। उसे सबसे बेहतर जानता हूं। जितना बेहतर साँझ खुद को नहीं जानती उससे बेहतर मैं उसे जानता हूं...!! और इसीलिए मैं जानता हूं कि अगर वो मेरे सामने नहीं है तो इसकी वजह कोई बहुत बड़ी है और जब तक की वजह मुझे नहीं पता चल जाती मैं साँझ को गलत मान ही नहीं सकता। वह मुझसे दूर है तो जरूर उसकी मजबूरी होगी वरना वह मुझसे दूर कभी हो ही नहीं सकती...! समझी तुम..? " अक्षत ने गुस्से से कहा।

मनु वापस से उठकर उसके गले लग गई और उसकी पीठ थपकी।

"प्लीज अक्षत तुम जानते हो ना मैंने तुम्हें हमेशा अपना भाई माना है बस अपने भाई को तकलीफ में नहीं देख सकती इसीलिए कहा। बाकी आई एम सॉरी अगर मेरी बात से तो मैं हर्ट हुआ। मैं भी भगवान से ही मनाती हूं कि जल्दी से जल्दी साँझ आ जाए इस घर में और मेरे भाई की जिंदगी में खुशियां भी आ जाए...!" मनु ने कहा।।

अक्षत का गुस्सा अब कुछ काम हो गया था।

"चलो नीचे अंकल आंटी नाश्ते के लिए इंतजार कर रहे हैं। मनु बोली...!!

"तुम जाओ मैं आता हूं...!"अक्षत ने कहा तो मनु बाहर निकल गई।

अक्षत ने गहरी सांस ली और सांझ की फोटो की तरफ देखा।

आ जाओ ना वापस इससे पहले की सब लोग यही बोलने लगे कि तुम्हें मेरी परवाह नहीं है या तुम्हें मुझसे प्यार नहीं है साँझ क्योंकि मैं यह बात भी बर्दाश्त नहीं कर सकता कि कोई यह कहे कि तुम्हें मेरी परवाह नहीं है या तुम्हें मुझसे प्यार नहीं है...!" अक्षत ने कहा और फिर अपना फोन उठाकर बाहर निकल गया नाश्ता करके उसे कोर्ट भी जाना था।

क्रमश:

डॉ. शैलजा श्रीवास्तव