इश्क़ होना ही था - 18 Kanha ni Meera द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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इश्क़ होना ही था - 18



** ओम नमः शिवाय **

** इश्क़ होना ही था part- 18 **

अभी तक हमने देखा की शिव किसी और से नहीं बल्कि अहाना से ही बात कर रहा था और ये जान कर अक्षत और मिताली दोनों को ही इस बात पर यकींन नहीं होता की जो हमेशा ज़गड़ते रहते है वो इतनी बाते कर रहे है...

" अरे अहाना बहोत अच्छी है में ही युहु झगड़ता रहता था..."
शिव बोलता है और फिर उसे समज आता है की उसने क्या बोला...

"लगता है २ दिन में ही बहोत अच्छी दोस्ती हो गयी ही दोनों की..."

अक्षत बोलता है...

"हां चलो अब मुझे नींद आ रही है और कल अब हमें निकलना भी है..."

ये बोल कर शिव जल्दी से सो जाता है और फिर अक्षत जो दिया क बारे में ही सोच रहा था की अब वो उसे किस तरह से बात करे...

अक्षत के मन में बस यही चल रहा था और ये सोचते सोचते वो शिव के बाजु में सो जाते है...

अहाना जो शिव के बारे में पहले पता नहीं क्या सोचती थी और उसे कभी बात भी नहीं करना चाहती थी पर अब उसे बात करने का मन कर रहा था...

" शिव तुम कितने अच्छे हो..."

अहाना अपने मन में सोचती है और फिर जा कर सो जाती है...

*****

सुभे अक्षत जल्दी ही उठ जाता है और शिव को भी जल्दी उठा देता है....

दोनों तैयार हो कर बहार आते है...

" आज तुम दोनों इतनी जल्दी उठ गए..."

मिताली बोलती है...

" हां क्युकी हम आज निकल रहे है..."

शिव बोलता है...

" पर आज ही क्यों....?"

मिताली बोलती है...

" एक काम है इसी वजह से जल्दी जाना पडेगा..."

अक्षत बोलता है...

दोनों नास्ता करते है और फिर दोनों सबसे मिल कर वहा से निकल जाते है...

*****

कुछ दिन यही निकल जाते है और अक्षत जो दिया से बात करने के लिए मरा जा रहा था पर अभी तक दिया से कुछ बात नहीं हुई...

अक्षत , अहाना , मिताली और शिव चारो कॉन्फ्रेंस कॉल में बात कर रहे होते है...

" अक्षत तू सिर्फ एक बार मेसेज तो कर तभी तो बात शुरू होगी ना..."

शिव बोलता है...

" यार पर में ऐसे ही कैसे मेसेज करु..."

अक्षत बोलता है...

" चल तू रहने दे अक्षत में ही कुछ सोचती हु..."

मिताली बोलती है और सब को एक आईडिया देती है...

" ये तो बेस्ट आईडिया है..."

अहाना खुश होते हुए बोलती है...

सब बाते करने लग जाते है...

अहाना जो दिया को भी कॉल करती है...

" हेलो दिया अभी सब है..."

अहाना बोलती है...

" किसी हो दिया..."

मिताली बोलती है...

" में थीक हु..."

दिया बोलती है...

सब बाते करने लगते है और बिच बिच में दिया भी कुछ कुछ बोल रही थी...

" में अब रखता हु मुझे एक काम इ बहार जाना है... "

शिव बोलता है और फोन कट कर देता है...

"मुझे मम्मी बुला रही है..."

ये बोल कर अहाना भी फोन काट देती है...

अभी सिर्फ मिताली दिया और अक्षत ही बचे थे...

मिताली बोले जा रही थी और वो दोनों उसकी बात सुन रहे थे...

"अरे नितिन मुझे बुला रहे है तुम दोनों बात करो..."

मिताली इतना बोल कर सामने से कुछ बोले उसे पहले ही फोन काट देती है...

"दिया आप कुछ बोलिये..."

अक्षत बोलता है...

" बस कुछ नहीं तो चलो में भी रखती हु...."

दिया बोलती है...

" अभी अगर दिया ने फोन रख दिया तो पता नहीं कब मेरी उसे बात होगी...

अकत कुछ तो बोल..."

अक्षत अपने मन में बोलता है...

" ठीक है...

लगता है आपको मुझसे बात नहीं करनी..."

अक्षत बोलता है...

"अरे ऐसी कोई बात नहीं है..."

दिया बोलती है...

"आप का काम कैसे चल रहा है..."

दिया फिर से बोलती है...

"बस अच्छा चल रहा है... और तुम्हारी पढाई किसी चल रही है....?"

अक्षत बोलता है...

" वो भी अच्छी चल रही है...

बस अभी पढ़ने ही बैठी थी पर एक सवाल हल नहीं हो रहा था..."

दिया बोलती है...

"कोनसा है...?

अगर तुम चाहो तो में तुम्हारी मदद कर सकता हु..."

अक्षत धीरे से बोलता है की कही दिया को बुरा ना लग जाये...

" हां क्यों नहीं..."

दिया बोलती है और उसे सवाल बताती है...

" अरे आपने तो मुझे ये इतनी आराम से समजा दिया..."

अक्षत बोलता है....

" हां अगर तुम कोई भी हेल्प चाहिए तो मुझे कॉल कर सकती हो..."

अक्षत बोलता है...

दोनों थोड़ी और बाते करते है और फिर फोन रख देते है...

आज अक्षत बहोत खुश था क्युकी आज उसने दिया से बात की....

टाइम कब निकल जाता है कहा पता चलता है बस इसी तरह से १ साल भी निकल गया...

इसी बिच अक्षत और दिया कभी कभी बात कर लेते पर बात भी दिया की पढाई के बारे में ही होती...

इस बाजु अहाना और शिव भी बहोत बाते करते पर, अभी तक दोनों ये मानने के लिए तैयार नहीं थे की एक दूसरे को पसंद करते है...

मिताली और नितिन की भी जिनगी खूबसूरत तरीके से चल रही थी...

अहाना और दिया दोनों की ही एग्जाम पूरी हो चुकी थी और अब उनका वेकेसन होने वाला था...

दिया की एग्जाम में सबसे जयदा अक्षत ने ही हेल्प की थी वही उसे सब समजता और पढ़ने में बहोत हेल्प करता है...

अक्षत का प्यार धीरे धीरे दिया के लिए बढ़ता ही जा रहा था...

*****

शिव और अक्षत जो अपना काम कर ही रहे थे तभी अक्षत के फोन की रिंग बजती है...

जब अक्षत देखता है तो वहा नितिन जीजू लिखा था...

" केसो हो अक्षत..."

नितिन बोलता है...

" में ठीक हु पर आप कुछ टेंशन में लग रहे हो..."

अक्षत बोलता है और ये सुन कर शिव भी अक्षत के सामने देखने लगता है और इसारे से पूछता है की क्या हुआ है...

" अक्षत का प्यार का दिया के दिल में भी प्यार जगा पायेगा...?"

" शिव और अहाना जो आपने दिल की बात समज पायेगा या नहीं...?"

"नितिन किस बात से इतनी चिंता में है...?"

अक्षत और दिया की इस कहानी में आगे क्या होगा ये जाने के लिए बने रहिये मेरे साथ ....

इश्क़ होना ही था ....
अगर मेरी कहानी आपको पसंद आये तो मुझे कमेन्ट कर के जरूर बताना ...

इश्क़ होना ही था का part - 19 आपके सामने 29 january को आ जायेगा ...