1.
उनकी मेहरबानी बेमिसाल थी
जाते जाते हजारों गम दे गये
हम कितने खुदगर्ज निकले
मोहब्बत के सिवा उनको
कुछ और न दे सके..!
2.
आसमान का चाँद तेरी बाँहो में हो,
तू जो चाहे वो तेरी राहों में हो,
हर वो ख्वाब हो पूरा जो तेरी आँखों में हो,
खुश किस्मती की हर लकीर तेरे हाथों में हो…
3.
तुमने नाराज़ होना छोड़ दिया
इतनी नाराज़गी भी ठीक नहीं
4.
रूक - रूक कर चल रही है आज हवा भी शहर में..
मानो तेरे इंतज़ार में.. मौसम भी आहें भर रहा हो..!!
5.
ख़्वाब आंखों में इक सुहाना है ।
उनको दिल के क़रीब लाना है ॥
हमको शिकवा है जिस सितमगर से ।
लब पे उसका ही फ़िर फ़साना है ॥
इक तरफ सारी शाइरी मेरी ।
इक तरफ उनका मुस्कुराना है ॥
आख़िर आ ही गया फरेबों में ।
हम न कहते थे दिल दिवाना है ॥
6.
प्रेम एक मन्नत वाला वो धागा है,,
जो दोनों के हाथ में आधा-आधा है
7.
सांझ ढली उसको पढा ,
रात भर ली अंगडाई।
हुबहू उसका था चेहरा,
रुबरु जो हो न सका।
भोर ओस एक बून्द ने,
जुठ से कर दी जुदाई।।
विश्वास नही वो सपना था।
स्पर्स लगा वो अपना था।।
8.
तुम... से क्या रिश्ता है... तुम कौन हो
सबसे पहले मेरे दोस्त हो,
उसके बाद तुम मेरी पसंद हो,
फिर तुम मेरा प्यार बने,
तुम अब अपने से लगते हो,
तुम वो हो जिसको खोने का डर लगा रहता है
इससे ज्यादा और क्या बताऊँ तुम मेरे क्या हो...
9.
मैं दिल हुँ,
तुम साँसे,
मैं जिस्म हुँ,
तुम जान,
️मैं चाहत हुँ,
तुम इबादत,
मैं नशा हुँ,
तुम आदत,
"तुम" मेरे हो... ऐसी "हम"...
"जिद" नही करेंगे...
मगर हम "तुम्हारे" ही रहेंगे...
ये तो "हम"... "हक" से कहेंगे...
10.
मैं लिखुंगी अपने
प्रेम लेखनियों में
मर्म बनाकर तुम्हें,
उनमें ताउम्र होने का
तात्पर्य खुद समझ लेना;
तुम्हारा नाम जितना सहज हैं
उतना ही असहज हैं
सबके सम्मुख तुम्हें पुकारना;
11.
{ महान प्यार }
एक लड़का और एक लड़की एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे।
एक दिन लड़का मर गया... उसने सवर्ग में से
लड़की को कहा.
एक वादा था तेरा हर वादे के पीछे
तू मिलेगी हर गली हर दरवाजे के पीछे
पर क्यू तू इतनी बेवफा निकली... एक तू ही नहीं थी
मेरे जनाज़े के पीछे.
लड़की ने आंख में आशू के साथ जवाब दिया
एक वादा था मेरा हर वादे के पीछे
मिलूंगी हर गली हर दरवाजे के पीछे
तूने ही मुड़ कर नहीं देखा एक और
जनाज़ा था तेरे जनाज़े के पीछे...
12.
तेरे जाने से सांसे भी रुक जाती है,
तू समा जा जिस्मो जाँ की तरह,
एक तेरा एहसास ही तो जिंदा रखता है,
वरना बिखर जाते मुश्त ए खाक की तरह,
13.
तुम्हारी आंखें, तुम्हारी बातें.. तुम्हारा अपनापन,
तुम्हारी शख्शियत मेरी शायरी में झलकती है,
ज़िक्र तुम्हारा करते भी नहीं, फिर भी लोग कहते हैं,
लाजवाब है, वो शख्स... जिससे तुमने मोहब्बत की है...!!
14.
गुलाब की खुशबू सा...!!
अपने भीतर उतार लिया है तुम्हे...!!
ना सूरत...!!
ना मूरत...!!
ना मुलाकात...!!
ना कल...!!
ना आज...!!
बस एहसासों में...!!
बसा लिया है तुम्हें...!!
ना यहाँ...!!
ना वहाँ...!!
ना रिश्ता...!!
ना फरिश्ता...!!
ना आस में...!!
ना कयास में...!!
बस रूह में बसा लिया है तुम्हें...!!
15.
आज़ लिखूंगी और तुझे बेहद लिखूंगी
तू भी चीखेगा क्यूंकि तेरा नाम दर्द लिखूंगी
कोरे कागज़ पर मेरी नाकाम मोहब्बत की हर हद लिखूंगी
तूझसे आगे कुछ भी नहीं तुझे अपनी सरहद लिखूंगी
मैंने लिख दिए है हर एक जज़्बात दिल के मेरे
तू साथ हो तो आज एक गजल खूबसूरत लिखूंगी।
दिल है प्यासा मगर पानी की आस नहीं मुझको
मुझे प्यास है तेरी, तुझे अपनी बुरी आदत लिखूंगी।