Tanmay - In search of his Mother - 41 books and stories free download online pdf in Hindi

Tanmay - In search of his Mother - 41

41.

एक्सीडेंट

 

अभिमन्यु 'अपने' पैर को पकड़कर बैठा हुआ हैI तन्मय हाथ में ट्रे पकड़े, उसके लिए खाना लेकर आया, अभिमन्यु ने उसे प्यार से देखा और ट्रे से प्लेट उठाते हुए बोला,

तनु, तुम्हारी प्लेट कहाँ है?

पापा मैं राघव के घर से खाना खाकर आया हूँI उसकी दादी ने मेरा मनपसंद पुलाव बनाया थाI

फिर भी मेरे हाथ से एक कौर खा लें, उसने तन्मय को अपने हाथ से खिलायाI

आपका एक्सीडेंट किसने किया? आपने पुलिस को बताया ?

मैं रोड क्रॉस कर रहा था, अचानक से पीछे से एक गाड़ी आई और मेरी उससे टक्कर हो गईI मैं इससे पहले कुछ समझता, गाड़ी हवा से बात करती हुई निकल गईI

आजकल लोग ट्रैफिक रुल्स फॉलो नहीं करतेI

तुम जाओ, जाकर सो जाओI कल स्कूल भी जाना है, मैं मैनेज कर लूँगाI उसने तन्मय के सिर पर प्यार से हाथ फेरते हुए कहाI तन्मय ने भी उसे प्यार से गले लगाया, उसके बर्तन उठाये और गुडनाईट बोलकर वहाँ से चला गयाI उसके जाने के बाद, वह आज के एक्सीडेंट के बारे में सोचने लग गयाI उसकी आँखों के सामने आज का वो बीता हुआ पल आ गयाI

रात के नौ बजे है, वह अपनी गाड़ी की तरफ जा रहा हैI आज उसने गाड़ी मॉल के बाहर थोड़ी दूर पार्क की हैI वह चलती सड़क को बड़ी सावधानी से पार कर रहा है, तभी अंटार्टिका गाड़ी तेज़ी से आई और उसके पास से ऐसे गुज़री जैसे उसी को मारने के लिए आई होंI वह तो फुर्ती दिखाते हुए वहाँ से हट गया और ज़मीन पर गिर गयाI उसके मुँह से निकला, अबे ! ओये !और कुछ लोग उसके आसपास खड़े हो गएI

भाईसाहब! आपके पैर में चोट लग गई हैI एक आदमी उसे उठाते हुए बोलाI फ़िर दो आदमियों ने उसे सहारा दिया और सड़क के एक कोने में बिठा दियाI

आज कल लोग अंधे होकर ड्राइव करते हैं, जैसे सड़क इनके बाप की होI एक बुजुर्ग बोल पड़ेI बेटा तुम्हें कहीं छुड़वा देंI उसने ना में सिर हिलाते हुए अपने मॉल में काम करने वाले महेश को फ़ोन करके बुलायाI वह उसे डॉक्टर के पास ले गया और फ़िर उसे घर छोड़ गयाI

पैर के दर्द ने उसका ध्यान वापिस वर्तमान की ओर खींच लियाI उसने खुद को लाठी के सहारे से उठाया और किसी तरह बैडरूम में पहुँचाI बिस्तर पर लेटने के बाद, उसने आँखें बंद कर ली, अब उसका ध्यान फ़िर उसी एक्सीडेंट की ओर चला गयाI पता नहीं, मुझे ऐसा क्यों लगता है कि उस गाड़ीवाले ने जानबूझकर मुझे माराI मैंने उसकी गाड़ी का नंबर पढ़ने की भी कोशिश की, मगर वह आँधी की तरह आया और तूफ़ान की तरह चला गया पर मुझे कोई मारने की कोशिश क्यों करेंगाI उसने बुदबुदाते हुए कहाI फ़िर उसने प्रिया को फ़ोन मिलाया तो उसका फ़ोन स्विच ऑफ आ रहा हैI अब उसने दर्द की गोली खाई और नींद के आगोश में चला गयाI

मगर अभिषेक को तो नींद ही नहीं आ रहीं हैI उसे डर है कि अगर वो लिफ़ाफ़े में बंद चिठ्ठी किसी के हाथ लग गई तो वह मुश्किल में पड़ सकता हैI उसने कमरे में लगी नैना की तस्वीर देखते हुए कहा,

"नैना, मैं तुम्हारे लिए किसी की भी जान ले सकता हूँI मगर तन्मय तुम्हारा बेटा है और तुम उससे बहुत प्यार करती हों पर मैं भी क्या करो, उसने मेरा दिमाग खराब किया हुआ हैI उसनेअब कमरे में रखी चेयर को खिड़की पर फेंकते हुए कहाI मुझे कैसे भी करके तन्मय के घर में घुसना होगा, हो न हो वो लिफ़ाफ़ा वहीं उसके घर पर ही होगाI अब अभिषेक ने गुस्से में मुट्ठियाँ भींच लीI

प्रिया मुंबई की फ्लाइट से वापिस दिल्ली आ रहीं हैI एयर हॉस्टेस उसके पास खाना रखकर चली गई हैI मगर उसकी खाने की इच्छा भी नहीं हो रहींI उसने बेमन से थोड़ा खाना खाया और फ़िर बाकी का ले जाने के लिए घंटी बजा दींI आज इस रिश्ते का अंत भी हो गयाI आठ साल की शादी में सिर्फ़ तीन साल ही थें जो सकूं से गुज़रे थेंI उसके बाद तो एक जंग चल रहीं थीं, इस रिश्ते को बचाए रखने के लिएI उसे लगता है,आज भी वो अभि से प्यार करती हैI वो उसका पहला प्यार थाI उसने हमेशा ख़ुद को उसके साथ ही देखना चाहाI मगर अभि तो शुरू से नैना से ही प्यार करता थाI उसे तो सिर्फ़ मेरी दोस्ती चाहिए थीI मगर मुझे वो मंजूर नहीं था, तभी तो मैं कॉलेज खत्म होते ही बिना बताए अपने शहर लौट गई थींI उसने सोचा था कि आज अगर नैना मिल जाती तो उसके साथ अभि और उसका रिश्ता भी खत्म हो जाता और फ़िर हमारे बीच दोबारा कुछ हो सकता थाI मगर किस्मत से कौन लड़ सकता हैI रिश्ता तो ख़त्म हुआ, लेकिन सिर्फ़ मेराI अब दिल्ली पहुँचकर मुझे अपने वकील से बात करनी होगीI जतिन के पापा उस पर भरोसा नहीं करते थें, इसलिए उन्होंने अपनी सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम कर दीI करते भी कैसे, जतिन ने उनके कपड़े के कारोबार को करोड़ो का नुकसान पहुँचाया था, उसके बाद से तो फैक्ट्री बंद ही हो गई थींI किसी तरह मेरे कहने पर उन्होंने जतिन को मार्केटिंग कंपनी शुरू करने के लिए पैसे दिए थेंI अब तो सब कुछ आईने की तरह साफ़ हैI फ़िर एयरहोस्टेस उसके पास आई और ब्लैंकेट देते हुए बोली,

मेम आपको चाहिए ?

दे दोI फ्लाइट कब तक लैंड होगीI

मेम अपने टाइम पर होगीI उसने मुस्कुराते हुए कहाI

मैं भी पागल हूँ, मुझे पता भी है मगर फ़िर भी मेरा दिमाग काम नहीं कर रहाI

अब उसने ब्लैंकेट से ख़ुद को ढक लिया और जहाज़ की खिड़की से देखा तो आसमान में तारे चमक रहें हैंI अब उसने अपनी घड़ी की तरफ़ देखा तो ग्यारह बजे हैI उसने फ़िर गहरी सांस ली और आँखें बंद कर लीI मगर कुछ सोचकर उसने फ़िर से आँखे खोल लीI


एक सच तो यह है कि उसने भी अभिमन्यु से कुछ छुपाया हैI उस दिन तन्मय सही कह रहा थाI वह सचमुच उसे देखने ही स्कूल के पास गई थींI तन्मय भी अभि की तरह स्मार्ट और अपनी माँ नैना की तरह सुन्दर हैI एक फीकी मुस्कान उसके चेहरे पर उभर आईI

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