नन्हा बच्चा DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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नन्हा बच्चा

1.
एक बार एक नन्हा बच्चा दोपहर में नंगे पैर फूल बेच रहा था। लोग मोलभाव कर उससे फूल ख़रीद रहे थे।

तभी अचानक एक सज्जन की नज़र उसके पैरों पर पड़ी। उसने पाया कि उस बच्चे के पैरों में जूते या चप्पल नहीं हैं। उसे बहुत दुःख हुआ। वह भागकर गया, नज़दीक की ही एक दुकान से एक जूता लेकर आया और कहा-लो बेटा... जूते पहन लो , तुम्हारे पांव जल रहे होंगे ।

लड़के ने फटाफट जूते पहने, बड़ा खुश हुआ और उस आदमी का हाथ पकड़ कर कहने लगा- दादा, आप भगवान हो न...सच सच बताना ??

वह आदमी घबराकर बोला - नहीं... नहीं... बेटा , मैं भगवान नहीं।

फिर लड़का बोला- तब जरूर आप भगवान के दोस्त होंगे, क्योंकि मै कई दिनों से लगातार भगवान जी से विनती कर रहा था कि भगवान जी, धूप में मेरे पैर बहुत जलते हैं। मेरे लिए एक जूते की व्यवस्था कर दो औऱ आख़िर उन्होंने मेरी फ़रियाद सुन ली ।

उस आदमी ने बड़े प्यार से नन्हें बच्चे के सिर पर अपना हाथ फेरा औऱ उससे बोला....बेटा ,शायद तुम सही कह रहे हो, संभवतः भगवान ने ही मुझें यहाँ भेजा होगा ।

वह आदमी अपनी आंखों में पानी लिये मुस्कराता हुआ वहाँ से चला गया, पर अब वो जान गया था कि भगवान का दोस्त बनना ज्यादा मुश्किल नहीं है।

कुदरत ने दो रास्ते बनाए हैं....
देकर जाओ या फिर छोड़कर जाओ......
साथ लेकर के जाने की कोई व्यवस्था नहीं।

2.
महिलाओं की बात तो हमेशा होती है,,,
आज पुरुषों के लिए कुछ......

क़र्ज़ में डूबे हुए पुरुष
अक्सर पैदल चलकर पहुँचते हैं काम पर
जो पुरुष घर से दूर रहते हैं
अक्सर वो दूध लेना बन्द कर देते हैं
“कौन मुआ चाय पिये..
तेजाब बनता है इससे…”
मन को समझा लेते हैं वो

क़र्ज़ में डूबे पुरुष
धुले हुए कपड़ों को प्रेस नहीं करते
तह बनाकर, सिरहाने रखकर सो जाते हैं
इस्त्री करने से बिजली की खपत ज़्यादा होती है
ठंडे पानी से नहाने से ताज़गी आती है
सर के बाल नहीं झड़ते
ये बहाना बनाकर भरी सर्दी में
वो नहीं लगाते इलेक्ट्रिक रॉड
पानी गर्म करने के लिए

कपड़े धोने की साबुन से नहा लेते हैं वो
कहते हैं, इससे
शरीर की सफाई ज़्यादा अच्छी होती है
बालों में तेल लगाने से करते हैं परहेज़
एक ही बात कहते हैं
आजकल तेल में केमिकल ज़्यादा है
बाल झड़ते हैं इससे

वो भेजते हैं सैलेरी स्लिप घर पर
भेज देते हैं पूरी सैलेरी भी घर
करते हैं जस्टिफाई
कि उन्होंने कोई पैसा न रखा
फिजूलखर्च भी न किया
जेब मे पड़े दस के नोट को
संभाले रहते हैं सप्ताह भर तक

घरवाले अक्सर नाराज़ रहते हैं उनसे
वो पुरुष नहीं घुमा पाया उन्हें
शिमला, गोवा या नैनीताल
कभी बर्फ गिरकर चली गई
कभी गर्मी बीत गई
वो नहीं ले जाते बच्चों को मेले में
कहते हैं, आजकल के मेले
केवल भीड़ और बदमाशी के रह गए हैं

इस बार भी आप नहीं लाये
इस बार भी आपने नहीं किया
इस बार भी आपने समय से फीस न भरी
इस बार भी करवाचौथ पर साड़ी न दिलाई
हर बार वो सुनते हैं
हर बार वो सहते हैं
हर बार कहते हैं
अगली बार से नहीं होगा…..

बीवी गुस्से में बात नहीं करती
बच्चे निराश रहते हैं
ई एम आई वालों के फोन आते हैं
और वो सहन करता है
घर की ज़रूरत का
कोई सामान वो कम नहीं रहने देता
फिर भी नकारा सा लगता है
सुनता है सबसे
“आपके इस क़र्ज़ से तँग आ गए हैं”
बीवी हो या बच्चे
सभी ये कहते हैं

पर कभी ये न सोचते
कभी ये न समझते
वो क़र्ज़ में इसलिए डूबा
इसलिए हुई उसकी सिबिल खराब
कि उसने ब्याही है बेटियां
उसने बनाया है अच्छा घर
उसने पढ़ाये हैं अच्छे महंगे स्कूल में बच्चे
उसने बनवाये हैं बीवी के लिए
सोने के कँगन
बस ले न पाया कभी मर्ज़ी के
बाटा के रेमो शूज
वान हसन का शर्ट
पीटर इंग्लैंड की पैंट
रे बन का चश्मा
लेकोस्ट का बेल्ट
सोनाटा की घड़ी

बस वो तो पैदल चल
बचाता रहा ऑटो का भाड़ा
दूध के पैसे बचाता रहा
चाय नहीं बनाई
कभी उससे घरवालों ने
सहानुभूति न जताई
कभी न कहा
चिंता न करो
सब ठीक होगा
अपना ख्याल रखो
किसी ने उससे पूछा नही
कि वो चिंतित तो नहीं
किसी ने उसके सर पर हाथ न फिराया
बस हर बार यही कहा गया
इस बार आते वक़्त क्या लाओगे
क़र्ज़ में डूबा हुआ आदमी सोचता रहता है
जब तक घर ले जाने को कुछ हो न सके
तब तक घर जाऊँ कि नहीं……?????

हाय रे क़र्ज़ में डूबे पुरुष
न तो तू जीता ही है
और न मरता ही है…
बस खटता रहता है
खटता रहता है
खटता रहता है…..