दिल के जज़्बात DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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दिल के जज़्बात

1.
"तुझे देखते ही बहक जाते है हम"
"कहना कुछ होता है कह कुछ जाते है हम"

2.
कहाँ किसी के लिए है मुमकिन
सब के लिए एक-सा होना
थोड़ा-सा दिल मेरा बुरा है
थोड़ा भला है सीने में....!!

3.
मेरी नज़रों से बहोत दूर हैं दूर तू..
पर हर चीज़ में मुझे दिखतीं हैं तू..

अपनों से बिछड़कर भी हर वक्त..
कैसे पास रहें यह सिखाती हैं तू..

4.
कौन है इस जहाँ मे जिसे धोखा नहीं मिला,
शायद वही है ईमानदार जिसे मौक़ा नहीं मिला.

5.
साक़िया एक नज़र जाम से पहले पहले
हम को जाना है कहीं शाम से पहले पहले

नौ-गिरफ़्तार-ए-वफ़ा सई-ए-रिहाई है अबस
हम भी उलझे थे बहुत दाम से पहले पहले

ख़ुश हो ऐ दिल कि मोहब्बत तो निभा दी तू ने
लोग उजड़ जाते हैं अंजाम से पहले पहले

अब तिरे ज़िक्र पे हम बात बदल देते हैं
कितनी रग़बत थी तिरे नाम से पहले पहले

सामने उम्र पड़ी है शब-ए-तन्हाई की
वो मुझे छोड़ गया शाम से पहले पहले

कितना अच्छा था कि हम भी जिया करते थे
ग़ैर-मारूफ़ से गुमनाम से पहले पहले

6.
बीते दिनों की बात अब रहने दो ,
ये पल दो पल का साथ अब रहने दो.!

चलो संग जहां तक चलना है ,
सारी उम्र का साथ अब रहने दो.!

मत मांगो मुझसे मेरी चाहत अब दोबारा ,
प्यार मोहब्बत की बात अब रहने दो.!

पहले ना रख सके मेरी चाहतो का भ्रम ,
फिर से मेरी चाहत की आस अब रहने दो.!

7.
चलो कुछ नए ख्वाब बुनते हैं...

धागे तेरी यादों के
और
सुई तुम्हारे वादों की...~

थोड़ा सा तुम बुनो,
थोड़ा सा मैं...

वो जो वादों की सुई है ना,
उसमें हल्का सुराख हो चुका है..
तुम यादों से ज़रा कहो कि
उससे जा कर लिपट जाएँ...

चलो ना !!
फिर से एक दूसरे को सुनते हैं...
चलो कुछ नए ख्वाब बुनते हैं...~~

8.
एहसासों से बनती है चाहतों से मिलती है
रूह से रूह जुड़े तब कहीं मोहब्बत पनपती है

पावस की आस में चातक की मृगतृष्णा है
बरसी जो बूंदे तो पिपासा उसकी उतरती है

मयूरा नाचता है तो अश्रु मयूरी पीती है
पैरो की थिरकन से कहानी एक बनती है

कोयल की कुहू की दुनिया दीवानी है
काली सी रंगत की बोली मिष्ठी सी लगती है

कहीं रांझा भटकता है कहीं हीर तड़पती है
मोहब्बत हो तो सबकी आंखें बरसती है

अजीब किस्सा है अजब इसका फसाना है
एक इश्क की खातिर दुनिया तरसती है

9.
श्रृंगार भी तब जंचता है,
जब किसी को सोचकर ,
कोई मन से संवरता है,
जब दर्पण में दिखाई देता है ,
अक्स उसका,
तो रूप ,
और भी ज्यादा निखरता है,
काजल भरे नैनो में ,
उतर आती है, हया की लाली सी,
जब उसकी आंखो में ,
शरारत भरा कोई रंग उभरता है,
दिल बाग बाग सा हो जाता है, उस वक्त
जब वो आंखो ही आंखो में,
चुपके से तारीफ करता है,
छुपा लेती हूं चेहरा तब अपने हाथों से अपना,
जब बार बार उसको सोच मन मचलता है..!
श्रृंगार भी तब जंचता है ,
जब किसी को सोचकर,
कोई मन से संवरता है...!

10.
इश्क़ की ख़ुशबूएँ उड़-उड़ कर मेरी ओर आ रही,
हर बेज़ुबान चीज़ मुझे तेरी मौजूदगी दिखा रही
हरेक हिचकी मेरे अंदर बसे तेरे वजूद को गहरा रही,
मानती ही नहीं, ये हवा भी तेरी ही बात बता रही

जाने क्यूँ आज मुझे ये कायनात इतना सजा रही?
सच है क्या तुम्हारा आना? या एक आरज़ू उकसा रही
यक़ीन कहूँ या वहम इसे? ज़रूर एक ख़्वाब मुझमें उतार रही
है कुछ तो बात आज में, जो ये ज़िंदगी मुस्कुरा रही।