काश कोई तो अपना होता DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

काश कोई तो अपना होता

1. एहसास
तेरी चाहत भूल गयी है जीवन को महकाना अब
मेरी भी इन तस्वीरों ने छोड़ दिया शरमाना अब

जो इक बात बयां होती थी तेरी-मेरी नज़रों से
कितना मुश्किल है उसको यूँ लफ्ज़ों में समझाना अब

मेरी गलियों से अब उसने आना-जाना छोड़ दिया
छोड़ दिया है मैने भी हर आहट पे घबराना अब

दिल की कब्र बनाकर मैं जिस दिन से जीना सीखी हूँ
भूल गयी हूँ उस दिन से ही चाहत पे मर जाना अब

उसने जब से फूलों से सजना-संवरना छोड़ दिया
बागीचे में कम दिखता है कलियों का मुरझाना अब

याद तुम्हारी आये तो मैं नज़में लिखने लगतीहूँ
आता है मुझको भी देखो यादों को बहलाना अब

साथ थे जब तो हम दोनों की एक कहानी होती थी
दोनों का है अपना-अपना रूहानी अफ़साना अब

2.
मायूस चेहरे पर, मुस्कान ले आती हैं।
यादें भी कमाल हैं।

फिर जिंदा कर जाती हैं
बस चाहिए इन्हें, फुर्सत के दो पल
यादें भी कमाल हैं।

दौड़ी चली आती हैं।
कभी खुशियाँ, तो कभी ग़म याद दिलाती हैं
यादें भी कमाल हैं।

आंखें भिगा जाती हैं।
गुज़र जाता है दिन, बीते वक्त की गलियों में
यादें भी कमाल हैं।

लम्हे चुरा ले जाती हैं।
बिखरे हुए मन को, एक नयी उम्मीद देकर
आगे बढ़ने का, नया रास्ता दिखा जाती हैं।

ये यादें भी कभी-कभी
जीना सिखा जाती हैं !

3. तलाश
वो हमारी मुलाकातें
और रात भर की मीठी मीठी बातें

न जाने कब तुम मुझसे इतना दूर हो गए
हम एक दूसरे से अलग होने को मजबूर हो गए

जब भी वह बीते हुए पल याद आती
दिल जोर से धड़कता है और आंखों में आंसू आ
जाते हैं।

जाने क्या शिकायत थी जिंदगी को हमसे
हम इजहार भी ना कर पाए कितना प्यार है हमें

तुमसे
जब जुदा ही करना था तो क्यों मिलाया हमें
जुदा नहीं होना चाहते थे तुमसे कैसे जताएं तुम्हें

तुम सोचते होगे मुझे तुमसे प्यार ही नहीं है।
पर यह गलत साबित करने को मेरा दिल अभी
तैयार ही नहीं है

कभी मिलोगे तो बताएंगे हम तुमसे कितना
कल भी तुम पर मरते थे और आज भी तुम पर
मरते हैं।

4. किन किन निगाहों से,
दो चार होना पड़ता है

औरत को ताउम्र ही,
अखबार होना पड़ता है

कभी मां, कभी बहन,
कभी पत्नी बेटी

एक चेहरे में कितने ही,
किरदार होना पड़ता है

और अपने हिस्से में,
थोड़ा सा सुकून पाने को

एक औरत को पहले,
बीमार होना पड़ता है।

एक घर में हो,
नीव का पत्थर जैसे

उसको सब सहने को,
तैयार होना पड़ता है।

लब ख़ामोश मगर,
उम्र बोला करती है।

एक औरत को कितना,
जिम्मेदार होना पड़ता है

5.
नहीं कहुंगा आसान है जिंदगी
सब्र कर मगर एक इम्तेहान है जिंदगी,

कहानी तू ने लिखनी है अपनी
ये तो केवल भारी पन्नो की

एक खाली किताब है जिंदगी,
सब तो तेरी कहानी के चुनिंदा किरदार है।

नए नए अध्याय को लिखते वक़त
पुराने पन्नो पर ये कही छूट जायेंगे,

जीवन के नए अध्याय को लिखते वक्त
कुछ नए किरदार आयेंगे,

कलम तेरे हाथों में होगी
हाथ मगर कभी कभी कपकपाआएंगे,

स्याही मगर जब तक खत्म न हो जाए,
अंत तक जीवन के उन आखिरी पन्नो को,

बेहद खूबसूरती से लिख कर जायेंगे!!

6.
कोई तुमसे पूछे

कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं, तुम कह देना कोई ख़ास नहीं,
एक दोस्त है पक्का कच्चा सा, एक झूठ है आधा सच्चा सा,
ज़ज़्बात से ढका एक पदाॅ है , एक बहाना कोई अच्छा सा,

जीवन का ऐसा साथी है जो, पास होकर भी पास नहीं,
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं, तुम कह देना कोई ख़ास नहीं।

एक साथी जो अनकही सी, कुछ बातें कह जाता है,
यादों में जिसका धुंधला सा, एक चेहरा ही रह जाता है,

यूँ तो उसके ना होने का, मुझको कोई गम नहीं,
पर कभी कभी वो आँखों से, आंसू बनके बह जाता है,

यूँ रहता तो मेरे ज़हन में है, पर नजरों को उसकी तलाश नहीं,
कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं, तुम कह देना कोई ख़ास नहीं।

साथ बनकर जो रहता है, वो दर्द बांटता जाता है,
भूलना तो चाहूँ उसको पर, वो यादों में छा जाता है,

अकेला महसूस करू कभी जो, सपनों में आ जाता है
मैं साथ खड़ा हूँ सदा तुम्हाे, कहकर साहस दे जाता है,

ऐसे ही रहता है मेरे साथ कि, उसकी मौजूदगी का आभास नहीं,
कोई तुझसे पूछे कौन हूँ मैं, तुम कह देना कोई ख़ास नहीं।