दीपक नाम का लड़का था, उसकी शादी होने वाली थी ।
वह छोटे से कमरें में किराए पर रहता था । लेकिन शादी के बाद उसे बड़े घर की जरुरत थी । अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए घर में दिखने में अच्छा लगे । यही सब सोचकर उसने शादी से प बीस दिन पहले एक फ्लैट लिया । वो फ्लैट बड़ी बिल्डिंग में सातवें माले पर थी । अच्छी व्यवस्था, दिखने में अच्छे रूम सारी चीज़े उसके हिसाब से सेट थीं । उसने वो फ्लैट ले लिया । ज्यादातर फ्लैट में लोग अपने मेन दरवाजे को बंद रखते हैं । और सुरक्षा के लिए जरुरी भी यही है । लेकिन दीपक अकेला था तो उसे इन सब बातों का ध्यान भी नहीं कम आता था । अक्सर वो दरवाजा बंद करना भूल जाता था । उसके दरवाजे के ठीक सामने एक कांच लगा था । वो कांच इस तरह सेट था कि सीढ़ियों से हर आने जाने वाले का चेहरा उसमे नज़र आता था ।
एक दिन की बात है दीपक अपना दरवाजा बंद करना भूल गया था । लेकिन जब उसे याद आया तो उसने सीधे दरवाजे की तरफ देखा दरवाजा खुला होने की वजह से सामने का कांच उसे दिख रहा था, और कांच में दिख रही थी एक खूबसूरत लड़की जो सीढ़ियों पर बैठी थी। चुप - चाप एक दम शांत ।
दीपक को ये बात अजीब लगी क्योंकि वो लड़की इस बिल्डिंग की नहीं लग रही थी । उसने तुरंत गार्ड को कॉल कर के बुलाया । और जैसे ही फोन रखकर वो वापस सीढ़ियों पर गया तो वहाँ कोई नहीं था । गार्ड आया और गार्ड के साथ दीपक भी उस लड़की की तलाश में पूरी बिल्डिंग छान मारी लेकिन कही कोई नहीं दिखा। और न ही किसी और ने ऐसी लड़की को देखा।
वो वापस थक कर अपने फ्लोर पर लौटा, उसने अपना दरवाज़ा खोला, और जैसे ही दरवाजा खुला वैसे ही एक अजीब सी सुगन्ध से कमरा महक उठा । और फिर जो उसने देखा वो हैरान करने वाला था, उसके कमरे की सारी चीज़ें बिखरी पड़ी थी । उसने वही सोचा जो एक सामान्य इंसान उस वक़्त सोचता । उसे लगा कि घर में चोर आया था, और हो न हो ये उसी लड़की की करतूत लगती है । उसने जल्दी से आलमारी खोली पैसे और जरुरी दस्तावेज देखे । लेकिन सब कुछ सही सलामत था । उसने गार्ड को फिर फ़ोन किया और दरवाज़े पर उसका इंतज़ार करने लगा । जब गार्ड आया तो वो दोनों वापस कमरे में घुसे और इस बार गार्ड और दीपक दोनों हैरान हो कर कमरे को देखने लगे । गार्ड हैरान इसलिए था क्योंकि सारा का सारा सामान अपनी जगह था । और दीपक हैरान था कि ये सब इतनी जल्दी कैसे ठीक हो गया वो भी अपने आप ? गार्ड ने उसको बोला सर जी आप आज - कल ज्यादा काम कर रहे हो थकान की वजह से ये सब हो रहा है मेरी मानिये थोड़ा आराम कर लीजिए ।
लेकिन दीपक को अपने ऊपर पूरा विश्वास था । उसने जो देखा । और जो उसके साथ हुआ था । जैसे - तैसे वहाँ कई दिन गुज़ारे सब सामान्य रूप से चल रहा था । और फिर वो दिन भी आया जब उसकी शादी हो गयी।
संतोष नाम उस लड़की का था । संतोष सभ्य और सौम्य स्वभाव की थी । दोनों अपनी जिंदगी से खुश थे । पर किसे पता था कि खुशियों की कोई गारंटी और वारंटी नहीं होती हैं।
रात का समय था, 2 बजे थे घड़ी में । सहसा दीपक ने आँखे खोली तो संतोष उसे बिस्तर पर नज़र नहीं आयी । वो उठा और दूसरे कमरे में गया संतोष वहाँ भी नहीं थी । अब वो थोड़ा घबराया कि अचानक दरवाज़ा खुलने की आवाज़ हुई वो दरवाज़े की तरफ गया तो देखा संतोष दरवाज़ा खोलकर बहार जा रही थी । दीपक, सन्नु ... सन्नु... चिल्लाता हुआ दरवाज़े से बहार आया तो देखा की संतोष सीढ़ियों से नीचे जा रही है, उसने संतोष को वापस बुलाया लेकिन उसका कोई जवाब नहीं दिया संतोष ने । वो भी संतोष के पीछे जाने लगा कि अचानक पीछे से संतोष की आवाज़ आयी । वो पीछे मुड़ा तो देखा की संतोष तो दरवाज़े पर खड़ी है । और संतोष उसकी तरफ देखकर ये बोलने लगी क्या हुआ प्रिय दीपक शादी के बाद अब छोड़कर भाग रहे हो ?
उसके चेहरे पर स्माइल थी । दीपक भी उसके साथ हँस पड़ा, उसने संतोष को कुछ बताया नहीं । वो परेशान होती शायद यही समझ कर वो चुप रहा । दरअसल बात यह थी कि संतोष उस वक़्त बाथरूम में थी जब दीपक उसे ढूंढ रहा था । लेकिन वो किसी के पीछे सीढ़ियों तक तो आया था । लेकिन वो कौन थी ? जो संतोष कि तरह था ?
उसने यही बात सोची और फिर सोचता रहा उसकी रातों की नींद गायब हो गयी थी । जैसे - तैसे चार बजे उसे हल्की नींद आयी । और जैसे ही उसने ऑंखें बंद की उसे महसूस हुआ कि कोई उसके चेहरे के बेहद करीब लेटा है इतना करीब कि दीपक को उसकी सांसे महसूस हो रही थी। एक पल को उसने सोचा संतोष होगी, फिर अचानक उसे कुछ याद आया । याद यह आया की संतोष तो दूसरी तरफ उसके पीछे सो रही है । तो फिर ये आगे कौन है ? वह बुरी तरह डर गया । उसने डर कर ही अपनी आंखें खोली और खोली तो चौंक गया ।।