अनकही दास्तां DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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अनकही दास्तां

1.
इश्क़ है तो इश्क़ का इज़हार होना चाहिए,
आप को चेहरे से भी बीमार होना चाहिए।

अपनी यादों से कहो इक दिन की छुट्टी दे मुझे,
इश्क़ के हिस्से में भी इतवार होना चाहिए।

2.
ये ज़ुल्फ़ अगर खुल के बिखर जाए तो अच्छा
इस रात की तक़दीर सँवर जाए तो अच्छा।

जिस तरह से थोड़ी सी तेरे साथ कटी है
बाक़ी भी उसी तरह गुज़र जाए तो अच्छा।

3.
जुदा रहता हूँ मैं तुझ से तो दिल बेताब रहता है,
चमन से दूर रह के फूल कब शादाब रहता है।

अँधेरे और उजाले की कहानी सिर्फ़ इतनी है,
जहाँ महबूब रहता है वहीं महताब रहता है।

4.
इक दर्द छुपा हो सीने में, मुस्कान अधूरी लगती है।
न जाने क्यूँ बिन तेरे, हर शाम अधूरी लगती है।

5.
एक वही शख्स मेरी हर
कहानी हर किस्से मेंआया।
जो मेरा हो कर भी,
ना मेरे हिस्से में आया।
यूँ तो हम पूरी दुनिया से
रिश्ता निभाते रहे।
जिससे दिल का रिश्ता था
वही मेरे किसी रिश्ते में ना आया।

6.
सच कहता हूँ कि न होकर भी
तुम हर रोज मुझे याद आओगे।
किसी से कह तो न पाऊँगा,
पर अक्सर रातों में मेरी आँखों से
नींद में छलक जाओगे।

7.
गुज़र जाते हैं खूबसूरत लम्हें
यूँही मुसाफिर की तरह।
यादें वहीं खड़ी रह जाती हैं,
रूके रास्तों की तरह।

8.
सुनो ना...
एक नदी छुपा रखी है मैंने
आँखों में,
तुम मिलो कभी
मेरा मन...
समंदर होना चाहता है।

9.
मेरे मिजाज का कोई कसूर नहीं,
तेरे सलूक ने बदल दिया मुझे।

10.
तुम पांव तो रखो दहलीज-ए-दिल पे हमारी,
लाखों चिराग जलायेंगे हर आहट पे तुम्हारी।

11.
आँख में पानी रखो होंठों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो।

12.
ठहर जाती है हर नज़र मेरे रुखसार पर आकर,
मेरे चेहरे पर तेरी चाहत का खुमार ही कुछ ऐसा है...

13.
मैंने खुद को भी पढ़ कर देखा है,
सिवाए मोहब्बत के कोई गुनाह न था।

14.
कुछ दिन तो बसो, मेरी ऑंखों में,
फिर ख्वाब अगर, हो जाओ तो क्या ...

कोई रंग तो दो मेरे चेहरे को,
फिर ज़ख्म अगर, महकाओ तो क्या ...

मैं तन्हा था, मैं तन्हा हूँ ,
तुम आओ तो क्या, न आओ तो क्या ...

15.
"बेवजह न समझ मेरी मौजूदगी..
अपनी जिंदगी में तेरे पिछले ..
जन्म की अधूरी मोहब्बत हुं मै"..

16.
इक दर्द छुपा हो सीने में मुस्कान अधूरी लगती है।
न जाने क्यूँ बिन तेरे, हर शाम अधूरी लगती है।

17.
अजीब शक़्स है,
आँखों में ख्वाब छोड़ गया।

वो मेरी मेज़ पे
अपनी ही किताब छोड़ गया।

नज़रें मिली भी तो
अचानक फेर कर नज़रें।

मेरे हर सवाल के
कितने जवाब छोड़ गया।

18.
तेरे ख्याल
तेरे ख्वाब,
तेरी अधूरी मुलाकातें,

मेरे पास गुनगुनाने को
तेरे अफ़साने बहुत हैं !!

19.
आँखों के इंतज़ार का देकर, हुनर चला गया।
चाहा था इक शख़्स को, जाने किधर चला गया।
दिन की वो महफिलें गईं, रातों के रतजगे गए।
कोई समेट कर मेरे, शाम-ओ-सहर चला गया।

20.
तेरे दिल का मेरे दिल से रिश्ता अजीब है,
मीलों की हैं दूरियाँ ...और तू धड़कन के करीब है।

21.
उसी के हुस्न और उसी की अदा के बारे में
फिर एक शेर लिखा उसी दिलरुबा के बारे में।

22.
कलम चलती है तो दिल की आवाज़ लिखती हूँ।
गम और जुदाई के अंदाज़ ए बयाँ लिखती हूँ।
रूकते नहीं हैं मेरी आँखों से ऑंसू,
मैं जब भी उसकी याद में अल्फाज़ लिखती हूँ।

23.
तुम साथ दो तो गलत साबित करूँ उन सबको,
जो कहते है कि कोई हमेशा साथ नहीं निभाता ।

24.
दिल जीत ले वो हुनर हम भी रखते हैं,
भीड़ में नजर आये,वो असर हम भी रखते हैं,
यूँ तो वादा किया है, किसी से मुस्कुराने का,
वरना आँखों में समंदर, हम भी रखते हैं।

25.
चस्का जो लग जाए एक बार तो
हर दफा काम आएगी,
चाय है यारों इश्क-मोहब्बत नहीं
जो बेवफा हो जाएगी।

26.
मत पूछ इस जिंदगी में...

बेगाने होते लोग देखे,
अजनबी होता शहर देखा।

हर इंसान को यहाँ,
मैंने खुद से ही बेखबर देखा।

रोते हुए नयन देखे,
मुस्कुराता हुआ अधर देखा।

गैरों के हाथों में मरहम,
अपनों के हाथों में खंजर देखा।

मत पूछ इस जिंदगी में,
इन आँखों ने क्या मंजर देखा।

मैंने हर इंसान को यहाँ,
बस खुद से ही बेखबर देखा।