पहली आस्की - भाग 3 SR Daily द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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पहली आस्की - भाग 3

मैंने बताने की कोशिश की।
तुमने अमेरिका में यह सब नहीं देखा?
कुछ चीज़ें हैं, लेकिन आने-जाने के साधन उतने अच्छे नहीं हैं जितने यूरोप में । अमेरिका के
ज्यादातर हिस्से में आप और आपकी गाड़ी ही विकल्प होते हैं, केवल न्यूयार्क इसका अपवाद है।
आपको वहाँ उतनी भाषाएँ नहीं सुनाई देंगी जितनी आपको यूरोप में सुनने को मिलतीहैं । मेरा कह
यह है कि अमेरिका बहुत विकसित है लेकिन मैं यूरोप को अमेरिका से तरजीह् दूँगा।
अमरदीप ने सिर हिलाया जिसका मतलब था कि उसका सवाल खत्म हृुआ।
"आईटी क्षेत्र की यह सबसे अच्छी बात है, अमरदीप । हमें बहुत सारी जगहों पर जाने का मौका
मिल जाता है जिनके बारे में कॉलेज के दिनों में हमने सपने में भी नहीं सोचा था,' एमपी ने अमरदी
से कहा। कॉलेज के बाद एमपी, हैप्पी और मैंने आईटी क्षेत्र को चुना जबकि अमरदीप ने केपीओ को
अपनाया।
हम एक-दूसरे का साथ पाकर ख्ुश थे। आखिर, कॉलेज में फेयरवेल की रात के बाद उस दोपहर
हम घंटों बातें करते रहे। हम शाम को कहीं बाहर घूमने के बारे में सोच रहे थे कि हमें महसूस हुआ
कि हम कितने थक गए थे और हमें बड़ी शिद्दत से आराम की ज़रूरत थी...मुझे याद नहीं है कि हम
से उस दोपहर सबसे पहले कौन सोया।
'उठो गधो। 6.30 बज च्के हैं।
कोई हमें सपनों की दुनिया से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था। होस्टल में हममें अमरद
सबसे पहले उठता था से और ज़ाहिर है वही हम सबको उठाता था। इसलिए हम जानते थे कि वह
हमारा सुबह-स्वेरे का अमरदीप था
तो भी, यह कैसे अच्छा लग सकता है कि कोई आपका दरवाज़ा पीटकर आपको बिस्तर से उठा दे
हम इनसानों की प्रकृति भी विचित्र होती है-जब हम सोये होते हैं तो हम उस आदमी से नफ़रत कर
हैं जो हमें जगाने की कोशिश करता है, बाद में हम उसी इनसान को प्यार करते हैं हैं क्योंकि उसने
सही काम किया।
हमेशा की तरह अमरदीप अपने अभियान में सफल रहा। शाम के सात बज च्के थे।
अमरदीप और एमपी पहली बार उस शहर में आये थे। इसलए हमने तय कि कोलकाता की सड़
की खाक छानी जाए। सौभाग्य से, हमारे मेजबान के पास दो मोटरसाइकिलें थी -एक उसकी अपनी
पल्सर और दूसरी उसके छोटे भाई की स्प्लेंडर । हम तैयार हुए और गराज से हमने मोटरसाइकिें
निकाल लीं । एमपी और मैं स्प्लेंडर पर बैठे, हैप्पी और अमरदीप पल्सर पर ।
विद्यासागर सेतु से हमने चिल्लाते और एक दूसरे से बातें करते, हुगली नदी को पार किया। उस
शाम स्पीड ब्रेकर हमारी रफ़्तार को नहीं थाम सके। और हम कहाँ थे? सातवें आसमान पर। अपने
सबसे अच्छेरे दोस्तों के साथ इतने समय बाद होना भाव्क भी था और रोमांचक भी।
हम विक्टोरिया मेमोरियल और कुछ दुसरी जगहों पर गए। कभी रुककर हमने फलों का जूस
पिया, कभी कोलकाता की मशहर मिठाई और नाश्ते का मज़ा उठाया। कभी हम इसलिए रुके क्यों
हम में से किसी को पेशाब करना था-एक-द्सरे की देखा-देखी हमें बारी-बारी से खुब पेशाब लगी।
किसी स्थान पर हमने कुल्हड़ में चाय का मज़ा लिया। जब एमपी ने पूछा कि हम घर कब जाएँग
तब तक 10.30 बज च्के थे।
चिंता की कोई बात नहीं। मेरे पास ऊपर के फ़्लैट की चाबी है। हम जब चाहे जा सकते हैं।
उम्मीद करता हूँ कि हम । बजे से पहले नहीं जाएँंगे, हैप्पी ने अपनी आइस-टी का आखिरी घूँट भर
हुए कहा ।
और तब तक हम कहाँ रहने वाले हैं?" अमरदीप कुछ चिंतित दिखा।
अमरदीप और 11 बजे उसके सोने का समय मुझे याद आया, लेकिन मैंने इस बात की ओर दूसरों
का ध्यान नहीं दिलाया।