8.
कोई तो हद होगी ना, जिसे ना तू पार करे और ना मैं भी।
कोई तो चाहत होगी ना, जिसे चाहे तू भी और मैं भी।
कोई तो दर्द होगा ना, जिसे सहता हो तू भी और मैं भी।
कोई तो खवाहिश होगी ना, जिसे पूरा करना हसरत हो तेरी भी और मेरी भी।
जब मंजिले एक हैं दोनों कि, तो कयुँ ना साथ चले तु भी और मैं भी।
9.
उसकी खुशी मे अपनी खुशी को तलाशती हूँ,
उसके गम मे आँसु भी बहाती हूँ,
और ना जाने कया चाहता हैं मुझसे,
जो कहता हैं वही कर जाती हूँ।
10.
याद बहुत आता हैं वो मंजर जब तू साथ था मेरे,
हाथो मे हाथ लिये,
वो तेरे काँधे पर सर झुका कर,
मेरा तुझसे घणटो बाते करना,
तु भी तो तब खोया रहता था ना मेरी आँखो मे,
वो पल भी कया पल थे,
जब तु मै साथ थे,
अब तो बस एहसास ही रह गया आँहो मे।
11.
मैं चाहे कितनी भी कोशिश कर लूँ उसे ये जताने कि तू कया है मेरे लिये,
लेकिन वो है कि मुझ पर यकिन ही नही करता,
मैं चाहे कितने भी आँसू बहा लूँ उसकी याद मे,
लेकिन वो है कि देखता हि नही।
कया करूँ मै तुझे यकिन दिलाने के लिये,
कि मुझ मे बसता है तू,बस जान हि निकलने कि देरी हैै,
लेकिन तुझ से दूर होने के खयाल से कमबखत वो भी नही निकलती
12.
ता उमर निकाल दी जिसके घर को सँवारने और बसाने मे,
उसे तो इस बात से कोई मतलब ही नही था,
जब कभी जिकर आता था इस बात का,
वो कहता ये तो तुमहारा फरज था
13.
तेरी दुनिया को अपनी दुनिया माने बैठी हूँ।
ये बात अलग हैं,
तुझे फरक नही पड़ता मेरे जजबातो से,
लेकिन फिर भी तेरे लिये अपने आप को मनाये बैठी हूँ।
14.
जिदगीं मे कई बार ऐसा होता है,
कि हमे जिनका साथ पसंद होता है,
जिनके साथ हम जिदंगी के सफर मे साथ चलना चाहते है,
उनहे तो हमारे साथ कि जरूरत ही नही होती