1.
वक्त कहाँ किसी का एक सा रहता है
आज बुरा तो कल अच्छा होता हैं
इसे याद रख कर किसी को क्या मिलता है
याद रखना है, तो बस इतना कि उस वक्त कौन - कौन साथ देता है
2.
मेरी आरजू है कि तुझे एक बार मिलू
एक पल ना हटे मेरे सामने से तु
आ तुझे अपनी निगाहों मे भर लू
तु सजा दे जो, तेरे साथ उमर कैद की
तो मै जिदंगी अपनी गुनाहो से भर लु
3.
क्या महसूस हुआ है तुम्हें कभी
तुम्हारी याद मे मैं कितनी रात जगी
छोड़कर हर खुशी को बस तुम्हारी खुशी देखी
रात निकल जाती है रोते रोते
सुबह उठकर फिर सबसे छुपकर अपना मुँह धोते
अब सोचती हूँ क्या कहुँ तुझे
क्योंकि मैं जो भी कहूँ, झूठ लगता है तुझे
4.
यूँ ही नहीं किसी कि मुस्कुराहट पर फिदा होता है ये दिल
हमने देखा था उसके होठों का वो काला तिल
जब वो मुस्कुराते थे, तो खिलती थी जैसे गुलाब कि पंखुड़ियाँ
उसकी इसी मुस्कुराहट ने ही तो बढ़ाई थी हमारी नजदिकियाँ
5.
पता है जैसी दिखती हूँ अभी
वैसी नहीं थी मैं कभी
लोगो ने लोगो को परखना सिखाया मुझे
उस परख मे मैंने पाया तुझे
हर किसी पर भरोसा ना कर
ये भी बताया मुझे
अब किसी पर जल्दी से भरोसा नहीं आता
ना हि अब किसी से भी मेरा नाता
पता है ऐसी नहीं थी मैं पहले
जैसी दिखती हुँ मैं तुम्हें
6.
हरी - भरी महकी बगीया हो
चिड़ियों कि भी चहचाहट हो
गुलाबी ठंड का अहसास हो
फिर कोई साथ हो या ना हो
बस गरमा गरम एक कप चाय का साथ हो
7.
आंसा नहीं होता जिदंगी का सफर
पर हर सफर पार करना भी जरूरी है
लाज़मी है गिरना, पड़ना और बढ़ना
लेकिन बिखर कर फिर संभलना भी जरूरी है
कि राह मे मुश्किले कई मिलेंगी तुम्हें
पर हर मुश्किलो को तुम्हे पार करना भी जरूरी है
8.
अपने तजुर्बे से ये जाना मैंने, अक्सर खामोशियाँ ही अच्छी होती है
अल्फाजो से अक्सर रूठ जाते है लोग
जिदंगी गुजार दी, सबको खुश करने मे
और जो खुश हुए, वो कहाँ अपने थे
और जो अपने थे, मालुम हुआ वो तो कभी खुश हुए ही नहीं थे
बहुत समेटा मैंने अपने हाथो मे वक्त को
फिर समझाया खुद को, ये वक्त है बदलेगा जरूर एक दिन
9.
मैं तो बिना वजह डरे जा रही थी
ये सोच मरे जा रही थी
तुने जो छोडा़ साथ मेरा तो मैं कहाँ जाऊँगी
कोई नहीं मेरा, मैं कैसे निभाऊँगी
लेकिन जब टूटा भ्रम मेरा, तो ये जाना
तु था ही कब मेरा, और मैं पागल तेरे लिये मरे जा रही थी
10.
माना खुबसूरत तो नहीं मैं
मगर इतना पता है सादगी से भरी हूँ मैं
माना ज्यादा समझ तो नहीं है मुझमे
मगर इतना पता है नादान भी नहीं हूँ मैं
चाँद कि रोशनी जैसी तो नहीं हूँ मैं
हाँ मगर चमक से भरी हूँ मैं
किसी के लिये खास ना सही मैं
हाँ मगर बेवजह भी नहीं हूँ मैं
माना किसी के लिये अच्छी नहीं हूँ मै
हाँ मगर इतनी बुरी भी नहीं हूँ मैं
11.
तेरे लिये रूक भी जाऊं गर
लेकिन पहले मुझसे वादा तो कर
साथ निभायेगा तु उम्र भर
ना छोड़ेगा मुझे यूँ राह पर
साथ मुझे भी तेरा चाहिये
बस तू रह जा मेरा बन कर
12.
जिसको प्यार कर सके वो है तू
जिस पर एतबार किया वो है तू
जिसे अपना कहा वो है तू
जिसका सपना देखा वो है तू
जिसके बारे मे बात करते है वो है तू
जिसकी फरियाद करते है वो है तू
जिसके लिये जीते है वो है तू
जिस पर मर मिटे है वो है तू
मेरी सुबह तू, मेरी शाम तू
मेरे हर दिन का आगाज भी तू
तू ही तू सब जगह
कभी जानकर, तो कभी बेवजह