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मोरनी (जैसे को तैसा)

कहानी : - नटखट मोरनी

एक घने से जंगल में बहुत नटखट मोरनी रहती थी । वह सभी को बहुत परेशान करती थी । वह किसी के पकड़ में नहीं आती थी ।
एक दिन जंगल के कुछ जानवरों ने मिलकर एक योजना बनायी कि हमें जैसे के साथ तैसा ही व्यवहार करना चाहिए । वह हमको और हमारे बच्चों को हमेशा परेशान करती - रहती है तो हम भी उसके बच्चों को परेशान करें ताकि वह भविष्य में ऐसा नहीं कर सके और उसको सबक मिल सके । योजना पर अमल किया गया । सियार और गिद्ध इस काम के लिए नियुक्त किए गये । सियार और गिद्ध दोनों मोरनी की अनुपस्थिति में उसके निवास स्थान पर जाते और उसके बच्चों को छिपा देते । मोरनी अपने बच्चों को न पाकर बैचेन हो इधर - उधर ढूँढती, लेकिन बच्चे न मिलते । बच्चे शाम को आते, लेकिन वे भयवश कुछ भी न बता पाने मे असमर्थ रहे ।
अब ये क्रम रोज का हो गया । इधर मोरनी इनके यहाँ आती और ये मोरनी के यहाँ पहुँच जाते ।
रोज ये घटना घटती रहती । अब मोरनी भी परेशान रहने लगी । वह बाहर जाने से पहले अपने बच्चों के बारे में सोचती रहती है । जब मोरनी बाहर जाने लगती है, तो उसके बच्चें उससे लिपट जाते और उसे जाने न देते है उसको वही रोकने का प्रयास करते है ।
वही अचानक मोरनी किसी भयानक आशंका से ग्रसित हो गयी । उसने बाहर जाना बंद कर दिया और रोज अपने बच्चों को जंगल में घुमाती और उन्हें खेल खिलाती । जंगल में लगे फल - फूलों से बच्चों को परिचित कराती और उनका महत्व बताती रहती है ।
एक दिन उधर से सियार और गिद्ध निकले तो मोरनी के बच्चे उन्हें देखकर, उन दोनों की ओर इशारा कर, चिल्लाने और रोने लगते है और भय से कांपने लग जाते है । मोरनी मन ही मन में समझ गयी कि मैं इनको और इनके बच्चों को हमेशा परेशान करती रहती थी, इसलिए इन्होंने हमारे साथ ऐसा किया । मोरनी को अपनी गलती का अहसास हुआ । मोरनी ने सियार और गिद्ध को अफने पास बुलाया और आपनी गलती की माफी माँगने लग जाती है ।
वही सियार ने बोला - " तुम्हारे पँखों के कारण हम तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते थे, क्योंकि तुम तुरंत उड़ जाती थी, इसलिए हमें मजबूरी में बच्चों के साथ ऐसा करना पड़ा । तुम्हें अपनी गलती का अहसास हुआ, ये बहुत ही अच्छा है, हमारे और तुम्हारे लिए ।"
सियार के रुकने पर गिद्ध बोला - " मोरनी बहिन ! अब तुम हमारे यहाँ आ जा सकती हो । अब तुम्हें और हमें कोई भय नहीं है । मैं यह खुशखबरी सभी जानवरों को सुनाऊँगा, सब बहुत खुश होंगे ।"

यह कहकर वे दोनों चले गये और मोरनी की सारी बातें सभी जानवरों को बतायीं । सभी बहुत खुश थे । कहते हैं कि - " करोगे अच्छा तो, भरोगे अच्छा ।"

संस्कार संदेश : - हमें हर किसी के साथ उपकार और प्रेमपूर्ण वर्ताव करना चाहिए ।

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