तेरी बिंदिया रे DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

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तेरी बिंदिया रे

1.
बड़ा नायाब सा रिश्ता है
उनका और मेरा
ना मैं उनके अपनो मे शामिल हुँ
ना वो मेरे गैरो मे शामिल हैं
बस मिलते है हम, जब भी कहीं
तो कभी वो अपनी नजरें चुरा लेते हैं
तो कभी हम अपनी पलकें झुका लेते हैं

2.
तेरे ख्यालो से अब बाहर निकल चुकी हुँ मैं
तेरी यादों को अब पीछे छोड़ चुकी हुँ मैं
मेरा हर वो लम्हा जिसमे शामिल था तु
उस हर इक लम्हें को भुला चुकी हुँ मैं
जीना है अब मुझे सिर्फ अपने लिये
हर वो शख्स जिसने धोखा दिया
हर उस शख्स को अपनी जिदंगी से निकाल चुकी हुँ मैं

3.
तुझे है पाना, बस तेरा ही हो जाना
मुझे नही अब किसी ओर को चाहना
मेरे जीवन का नहीं अब कोई ठिकाना
ना धड़कनो मे रवानगी है, ना आँखो मे कोई सपना
होठों पर मेरे बस एक तेरा ही तराना
खामोशी भी अब मुझे डसती है
ना जाने कब बितेगा ये जुदाई का जमाना
मुझे बस तुझे है पाना, किसी और को नही अब चाहना

4.
समझने मे भले ही उसे वक्त लगा होगा
लेकिन बिछड़ कर मुझसे वो रोया तो होगा
मैं नहीं थी हरगिज बेबफा उसके लिये
ये महसुस कर तु भी कभी पछताया तो होगा
जिस जगह पर था, तेरा मेरा आना जाना
वहाँ पर अकेले जाते तु कभी हिचकिचाया तो होगा

5.
महफिलें वो अपनी सजाते हैं, दुनिया मेरी वीरान करके
इल्जाम दे भी तो क्या दे उन्हेंं, जिन्हे इल्म ही नहीं इस बात का
महरूफ है वो मेरी हालत से बखुबी, फिर भी खुश है वो मुझे बर्बाद करके

6.
वो एहसास भी क्या खुब था, जब तु मेरे करीब था
हर गम से जुदा थी मै, जब तु मेरा हबीब था
मुक्कदर से मिला था मुझे तु, ये मेरा नसीब था
ख्वाहिश नही थी कोई बाकी इक तुझे पाने के बाद
हाँ ये बात अलग है कि दिल से उतर गया था तु
एक मुददत के बाद

7.
रातो को जागना मजबुरी थी मेरी
तेरी याद जो सोने नहीं देती थी
उठ - उठ कर तुझे खोजना मजबुरी थी मेरी
तेरे सपने जो आँख मेरी लगने नहीं देते थे
बीच रात उठ कर तेरा नाम लेना मजबुरी थी मेरी
मेरे ख्बाबो मे जो तस्वीर थी मेरी

8.
सुबह अपने बगीचे मे चिड़ियों कि चहचाहट के बीच सुकुन से बैठकर चाय पीने का आनंद ही कुछ और होता है
दो पल सुकुन से बिताने के, फिर तो वही भाग दौड़ शुरु पुरे दिन

9.
तेरे लिये अपने घर कि दहलीज नहीं पार करनी मुझे
तुने भी तो जाते वक्त कहाँ पुकारा था मुझे
अब जा चुका है तु जिदंगी से मेरी
नहीं चाहती मैं बर्बाद करना अब गृहस्थी मेरी
भुल चुकी हुँ अपने अतीत को मै
क्या कभी मिले थे तु और मैं
याद नहीं करना अब मुझे वो मंजर
जब बेबफाई का तुने घोपा था खंजर
जा दफा हो मेरी जिदंगी से तु
ना होना कभी फिर मुझ से रूबरू
बहुत मुश्किल से संवारा है घर मैंने अपना
भुलकर तुझे पाने का हर एक सपना

10.
मैं अब रही ना मैं
तुने चुरा लिया मुझे ही मुझसे
ये अहसास भी अजीब है
कुछ समझ ना आता क्युँ तु मेरे इतने करीब है
चाहकर भी जुदा नहीं हो पाती हुँ
तेरे ख्याल से ही तेरी यादो मे खो जाती हुँ

11.
आज उनसे बात हुई, एक मुदद्त बाद ही सही
पर उनसे बात हुई, कुछ नई तो कुछ पुरानी हुई
कुछ सुनी तो कुछ अनसुनी हुई
पर आज उनसे बात हुई
कुछ शिकवे, कुछ शिकायत हुई
पर फिर भी बात हुई
उसमे रूठना था, कुछ मनाना भी
कुछ उन्होनें कहा कुछ हमने भी
फिर भी खुश हुँ इस बात से कि
उनसे बात हुई
कहीं से ही सही, किसी ने ही सही
शुरूआत तो हुई, आज उनसे बात हुई

12.
मै मुस्कान किसी के होठों कि बनु
कोई मेरे ख्याल से ही मुस्कुरा उठे
मै वो हसीन ख्याल बनु
जो मुझे अपनी आँखो मे बसाना चाहे
मैं किसी के लिये वो हसीन ख्बाब बनु
मेरे दीदार मात्र से ही कोई अपना दर्द भुल जाये
मैं किसी के लिये वो हसीन तस्वीर बनु