फूलों की ख़ुशबू DINESH KUMAR KEER द्वारा कुछ भी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

फूलों की ख़ुशबू

1.
कोई रिश्ता तो जरूर है
तेरे मेरे दरमियां
पर क्या ये मैं कह नहीं पा रही
तू है कि समझता ही नहीं
और मैं तुझे समझा नहीं पा रही
दर्द मेरे दिल का तु जानता ही नहीं
कितनी मोहब्बत है तुझसे ये मानता ही नहीं
और अब मैं ये दूरी तुझसे सह नहीं पा रही
बड़ा अजीब सा है, ये तेरा, मेरा रिश्ता
जो तु नहीं जानता
और इक मैं जो तेरे बैगर रह नहीं पा रही

2.
चेहरा तेरा मेरी आँखो का सुकुन है
हर लम्हा जो चेहरे पर मेेरे लाता नुर है
एक पल भी ओझल जो होता है तु
तो ऐसा लगता है जैसे सब कुछ फिजुल है

3.
फर्क तो बहुत पड़ता है, लोगो कि बातों का
फिर भी उनकी सुन लेती हुँ
पता है हर किसी को नहीं समझा सकती
इसलिए अब रहने देती हुँ
मैं अपनी किस्मत को तो नही बदल सकती
इसलिए जो भी है उसका साथ देती हुँ
अभी इतने भी मजबूत नही बने हम
इसलिए खुद को थोड़ी तकलीफ सहने देती हुँ

4.
बेपनाह प्यार है आपसे मुझे
आप भी कर पाओगे क्या
मैं सिर्फ आपकी हुँ, और आप मेरे
ये बात सबको कह पाओगे क्या
मुझे सिर्फ साथ चाहिए आपका
मेरा साथ उम्र भर निभा पाओगे क्या
बहुत चाहती हुँ मैं आपको
आप भी चाह पाओगे क्या
मैं खुद पर आपको हक देती हुँ
आप खुद को मुझे सौंप पाओगे क्या

5.
तु ले ले अपनी बाँहों में
मै टुट कर बिखरना चाहती हुँ
जमाने कि तमाम बंदिशो को तोड़ कर
बस तेरी होना चाहती हुँ
जहाँ मिलते हो ये जमीं और आसंमा
वहाँ तेरे संग घर बसाना चाहती हुँ
जानती हुँ ये महज इक ख्बाब है मेरा
पर इसे सच करना चाहती हुँ
जानती हुँ हकिकत नहीं बन सकता तु मेरी जिदंगी कि
इसलिये तो तेरे संग ख्यालो मे ही सही, पर जीना चाहती हुँ

6.
थोड़े उलझे हुए मिजाज कि लड़की हुँ मैं
कभी - कभी खुद कि ही बातों मे गुम हो जाती हुँ मैं
तुम हिम्मत कि बात मत करना मुझसे
कभी - कभी बड़ी बातो पर अपना सब्र तो कभी छोटी बातो पर रो जाती हुँ मैं
बात - बात पर रूठ जाने कि आदत है मुझे
इसलिये कभी - कभी खुद से ही खफा हो जाती हुँ मै
वजह जो भी हो हालातो कि,नहीं जानती
पर फिर भी बहुत ज्जबाती हो जाती हुँ मै
कभी - कभी बहुत खुश नजर आती हुँ मै
तो पता नहीं फिर कयुँ अगले पल मायुस हो जाती हुँ मै
सोचती हुँ क्या मेरी जैसी और भी होगी
फिर चल छोड़ कह कर मन को बहलाती हुँ मै
मै वो लड़की हुँ जो इस मतलब कि दुनिया मे रहती है
पर फिर भी हर रिश्ते को दिल से निभाती हुँ मैं

7.
वो नज़र भी क्या कमाल थी
हमने सोचा कि निहार रहे है
हमारा मुस्कुराता हुआ चेहरा
लेकिन हम तो गलत साबित हुए
वो तो हमारी आँखो मे छिपे हुए दर्द को पड़ रहे थे
एक हम थे जो अपने दर्द को मुस्कुराहट मे छिपा रहे थे
और एक वो थे जो हमारी आँखों को पड़ रहे थे

8.
मोहब्बत, क्या है ये मोहब्बत
किसी को याद करना है मोहब्बत
या उसके ख्यालो मे जीना है मोहब्बत
किसी को चाहना है मोहब्बत
या उसकी चाहत मे अपनी उम्र गुजार देना है मोहब्बत
किसी को पाना है मोहब्बत
या किसी को बस दुर से ही देखना है मोहब्बत
किसी पर मर मिटना है मोहब्बत
या किसी के साथ जीना है मोहब्बत
किसी को खुद को सौंप देना है मोहब्बत
या किसी को बिना स्पर्श किये प्यार करना है मोहब्बत
जो भी है बेहद खुबसुरत एहसास है ये मोहब्बत

9.
मन कहे सब छोड़, कहीं दूर चल
इस मोह माया के जंजाल से बाहर निकल
क्युँ सोचे है इतना, किसी के लिये
ये दुनिया एक भँवर है,इसमे ना फँस
जो तेरे नसीब मे है, वो मिलकर रहेगा
जो नहीं वो पाकर भी खो देगा
जीवन है एक बार मिलता, जा इसे खुलकर जी
बाकि सब उस ऊपर वाले कि मर्जी

10.
मन मंदिर मे बसी है तुम्हारी सुरत
भाये ना इसके आगे अब कोई और सुरत
तुझ संग जो प्रीत लगी है
वो फिर किसी और के लिये ना जगी है
भाये हो इस मन को सिर्फ तुम
रहती हुँ तुम्हारी ही यादों मे गुम
अब तुम इसे चाहे जो समझो मीत मेरे
अधुरे है तुझ बिन अब गीत मेरे